भारत और इंडिया का विवाद, जानबूझकर पैदा किया गया विवाद है। इसका उद्देश्य है, विपक्षी एकता गठबंधन को, नुकसान पहुंचना और आरएसएस के धर्म आधारित राष्ट्रवाद की चाशनी में एक और भटकाऊ…
अरुण शौरी के लेख हाउ हिस्ट्री वाज़ मेड अप ऐट नालंदा (दि इण्डियन एक्स्प्रेस, 28 जून 2014) को पढ़कर हैरत हुई जिसमें उन्होंने अपने अज्ञान को ज्ञान का मुलम्मा चढ़ाकर अपने पाठकों को पेश किया है।…
शशि अहलावत यह लेख बिहार में स्थित नालंदा बौद्ध महाविहार के ध्वंस की कथा से सम्बन्धित है। व्यापक प्रचलन में कथा यह ही रही है कि पूर्वी भारत में अपने बारहवीं शताब्दी…
मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ-डॉ.आंबेडकर लेकिन डॉ.आंबेडकर जिसे पागलपन मानते थे, वह ‘प्रोजेक्ट हिंदुत्व’ का…
1 मई को आज जब हम अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाते हैं, तो इसके इतिहास में जाने की ज़हमत नहीं उठाते हैं, लेकिन ये इतिहास की लंबी लड़ाई से उपजे अधिकारों का सिलसिला है।…
महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी का निधन 22 फ़रवरी 1944 को हुआ था। वे जेल में थीं। महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता की उपाधि देने वाले नेता जी सुभाषचंद्र बोस उन्हें पूरे भारत…
शहादत दिवस पर विशेष “मैंने मुसलमानों में से एक नवयुवक निकालकर भारतवासियों को दिखला दिया, जो सब परीक्षाओं में पूर्ण उत्तीर्ण हुआ। अब किसी को यह कहने का साहस न होना चाहिए…
यह तस्वीर एस.के.यादव की है जो हिंदी-पट्टी में फोटो पत्रकारिता का जाना-पहचाना नाम हैं। इन दिनों इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फोटो पत्रकारिता पढ़ा रहे एस.के.यादव कभी वहाँ से निकलने वाले अख़बारों की शान हुआ…
हद तो ये है कि हिंदू राष्ट्र के विचार को पागलनपन बताने वाले सरदार पटेल को बीजेपी कई सालों से अपना नायक बताने में जुटी है। सच्चाई ये है कि सरदार पटेल पक्के…
आरएसएस और बीजेपी को इसके लिए धन्यवाद ज़रूर देना चाहिए कि उसने इतिहास में लोगों की दिलचस्पी नए सिरे से पैदा की। बीजेपी और संघ के प्रचारतंत्र ने नेहरू को विलेन बनाने के…
‘‘सीमा पार के हमारे विरोधी कह रहे हैं कि यह हिंदू और मुसलमान का झगड़ा है. हम कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों की मदद करने के लिए वहां गए हैं, कश्मीर की बहुसंख्यक…
जो हिंदू अपने धर्म को आरएसएस के कुएँ में गिरने से बचाना चाहते हैं, उनका फ़र्ज़ है कि वे इस नफ़रती हिंदुत्व के विरुद्ध 'बंधुत्व' का झंडा बुलंद करें! नई दुनिया उन्हें सम्मान…
1968 में ही ललई सिंह जी ने ‘दि रामायना: ए ट्रू रीडिंग’ का हिन्दी अनुवाद करा कर ‘सच्ची रामायण’ नाम से प्रकाशित कर दिया। छपते ही सच्ची रामायण ने वह धूम मचाई कि…
तो दोस्तों, देश कहां जा रहा है, कोई सवाल नहीं है. कहने वाले कहते हैं, और सही कहते हैं, कि भाई ये ना पूछो कि कहां जा रहा है, कि कहीं तो…
“आपने हमें भेड़ियों के आगे फेंक दिया।” बंटवारे की खबर मिलने के बाद, यह गंभीर और कड़ी प्रतिक्रिया, थी सरहदी गांधी, खान साहब अब्दुल गफ्फार खान, यानी बादशाह खान की। यह वाक्य…
डॉ.अमरनाथ दिसंबर 1920 में ‘सरस्वती’ से विदा लेते समय ‘संपादक की विदाई’ शीर्षक अपने संपादकीय में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ने लिखा है, “मैं सेवा का अर्थ अच्छी तरह जानता हूँ. अतएव मैं…
महान उपन्यासकार प्रेमचंद ने स्त्री शिक्षा और विवाह पर ये विचार 1933 में व्यक्त किये थे। यानी लगभग 80 साल पहले। तब भारत न आज़ाद हुआ था,न संविधान लागू हुआ था और न…