गिरीश मालवीय
आपातकाल लग चुका है…बल्कि यह आपातकाल से भी बदतर है… यह जंगलराज है।
भरे हुए मन से यह पोस्ट लिख रहा हूँ। दिमाग में बहुत से सवाल घूम रहे है कि हम कहाँ आ गए हैं…. फ़ेसबुक पर एक पत्रकार मित्र है जिनेंद्र सुराना। नीमच में रहते हैं। पत्रकार बिरादरी के बहुत से म्यूच्यूअल फ्रेंड भी हैं। अक्सर पोस्ट पर आते हैं, लिखा हुआ शेयर करते हैं, चर्चाए होती रहती हैं।
कल रात अचानक साढ़े आठ बजे उनका फोन आया। मैं फैमिली के साथ ऑन रोड था। उनके स्वर मे घबराहट थी। बताने लगे कि उन पर पद्मावती से संबंधित फ़ेसबुक पोस्ट लिखने पर खरगोन पुलिस ने रेप यानी बलात्कार की धारा लगा कर मुकदमा दर्ज किया है!
यह सुनकर मैं हतप्रभ रह गया। क्या यह सम्भव है? मुझे लगा कि वह कहीं मजाक तो नहीं कर रहे? जल्दी में उनका फोन कट गया। देर रात घर पर आकर बहुतेरे प्रयास किये फोन लगाने के पर उनका फोन लगा नहीं, उनकी फेसबुक प्रोफाइल चेक की कुछ पता नही लगा!
जब उनके नाम से गूगल किया तब पता लगा कि वो जो कह रहे है वह सौ फीसदी सच है। खरगोन पुलिस के एसपी ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया की सोशल मीडिया फेसबुक पर की गई इस विवादित पोस्ट से महिलाओं का मान भंग करने की दुष्प्रेणा मानते हुए कोतवाली थाने मे धारा 376/117 292, 505 (2), 67( क) के तहत प्रदेश में सम्भवत: पहला प्रकरण दर्ज किया गया है।
NDTV ने भी यह खबर रात में ही पब्लिश की है।
वह जिस 24 नवम्बर की पोस्ट की बात कर रहे थे मैंने भी उस पोस्ट पर कमेंट किया था कि ‘यह क्या है’? जवाब में उन्होंने एक अखबार की खबर का फोटो चस्पा किया था जिसके आधार पर उन्होंने वह बात कही थी जिसे आपत्तिजनक माना जा रहा है, यानी वह बात कहने के लिये उनके पास पूरे प्रूफ मौजूद थे और उसके बाद उन्होंने वह पोस्ट लिखी, और उस पोस्ट में कुछ भी आपत्तिजनक मुझे तो नहीं लगा।
ऐसे ही हम लोग भी रोज किसी वेबसाइट या अखबार की खबर को आधार बना कर रोज पोस्ट करते हैं। पर सिर्फ एक राजनीतिक पोस्ट लिखने पर मुकदमा कायम कर लेना, गिरफ्तार करने के लिए पुलिस भेज देना, और वो भी बलात्कार की धारा लगा कर? यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सबसे अधिक कठिन दौर है।
इंदिरा की इमरजेंसी में भी सरकार के खिलाफ लिखने पर रोक थी पर सरकार की तंजपूर्वक आलोचना करने पर पत्रकार के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज हो जाए यह सिर्फ जंगलराज में संभव है।