राजस्व गुप्तचर निदेशालय (डीआरआइ) के अधिनिर्णायक ने निदेशालय द्वारा गौतम अडानी की एक फर्म को आयातित ऊर्जा उपकरण के मूल्य को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाए जाने के एक फर्जीवाड़े में थमाया गया दूसरा नोटिस खारिज कर दिया है। इससे अडानी को कुल 5000 करोड़ से ज्यादा का फायदा हुआ है।
अडानी एंटरप्राइजेज़ की कंपनी महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन कंपनी, इलेक्ट्रोजेन इन्फ्रा एफजेडई यूएई और अमदाबाद आधारित कंपनी पीएमसी प्रोजेक्ट्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के ऊपर आरोप है कि इन्होंने पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर की श्रेणी में बाहर से मंगवाये ऐसे उपकरणों का दाम 380 फीसदी बढ़ाकर दिखाया था जिन पर शून्य या पांच फीसदी से कम ड्यूटी लगती है।
दिवाली से ठीक एक दिन पहले 18 अक्टूबर को करीब 300 पन्ने के अपने फैसले में डीआरआइ के एडजुकेटिंग अथॉरिटी केवीएस सिंह ने कहा, ”मैं एमईजीपीटीसीएल, पीएमसी, ईआइएफ और विनोद शांतिलाल अडानी उर्फ विनोद शांतिलाल शाह के खिलाफ कारवाई को ड्रॉप करता हूं…।”
दि इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक डीआरआइ द्वारा अडानी की दो और कंपनियों को भेजे गए पहले कारण बताओ नोटिस को भी खारिज कर दिया गया था। पहले नोटिस में अडानी के ऊपर 3974.12 करोड़ और दूसरे नोटिस में अडानी के ऊपर 1493.84 करोड़ के फर्जीवाड़े का आरोप था।
कुल मिलाकर अडानी की कंपनियों ने 5467 करोड़ का अधिमूल्यन किया था और ये नोटिस उसे 2014 में भेजे गए थे। सरकार ने दोनों ही कारण बताओ नोटिसों को खारिज कर के करदाताओं की जेब से 5000 करोड़ अडानी को तोहफ़े में दे दिए।
दि इंडियन एक्सप्रेस से साभार