संपादकों की संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने राजस्थान सरकार के उस अध्यादेश पर ”गंभीर चिंता” जताई है जिसमें नेताओं, अफसरों, लोकसेवकों और जजों की जांच करने के लिए सरकारी मंजूरी की बात कही गई है। इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए आज राजस्थान विधानसभा में पेश किया जा रहा है।
एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष राज चेंगप्पा, महासचिव प्रकाश दुबे और कोषाध्यक्ष कल्याणी शंकर के दस्तखत वाला एक बयान कहता है, ”ऐसा न्यायपालिका और नौकरशाही से बचाने के लिए किया गया था लेकिन वास्तव में यह मीडिया को प्रताडि़त करने, सरकारी लोकसेवकों के गलत कृत्यों को छुपाने संविधान में प्रदत्त प्रेस की आज़ादी का दमन करने का एक खतरनाक औज़ार है। एडिटर्स गिल्ड चाहता है कि राजस्थान सरकार अध्यादेश को तुरंत वापिस ले और इसे कानून बनाने से बाज़ आए।”
एडिटर्स गिल्ड का पूरा बयान यहां राज चेंगप्पा की फेसबुक वॉल पर पढ़ा जा सकता है:
ध्यान रहे कि रविवार को इस मुद्दे पर राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने एक तीखा संपादकीय लिखते हुए इस अध्यादेश की आलोचना की थी। उसके बाद संपादकों की संस्था का यह बयान आया है।
सोशल मीडिया पर भी इस अध्यादेश को लेकर माहौल गरम है। ट्विटर पर #Rajasthan और #HitlerRaje हैशटैग ट्रेंड कर रहा है।