कलर्स टीवी का मशहूर रियलिटी शो ‘इंडियाज़ गॉट टैलेंट’ अपने सातवें सीज़न में पहुंच चुका है और लंबे समय से इस शो की निर्णायक रहीं बीजेपी की सांसद किरण खेर ने अब धीरेे-धीरे अपना सियासी रंंग दिखाना शुरू कर दिया है। वे न केवल अल्पसंख्यक प्रतिभागियों को अब खुलेआम बेइज्जत कर रही हैं, बल्कि केंद्र सरकार की चलायी योजनाओं का इस मंच से प्रचार भी कर रही हैं।
रविवार 5 जून, 2016 को रात 10 बजे प्रसारित सातवें एपिसोड में कम से कम दो बार किरण खेर ने अपनी राजनीतिक संबद्धता का प्रदर्शन कार्यक्रम के बीच में किया। अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा और फिल्मकार करन जौहर के साथ निर्णायक मंडल में बैठी खेर ने अचानक बिना संदर्भ के एक मौके पर प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ योजना का जि़क्र कर डाला और इस बहाने एक भावनात्मक संदेश दर्शकों को दे दिया। ज़ाहिर है, दर्शक को यह लग सकता है कि बेटी बचाओ अभियान का ऐसा प्रचार अचानक उन्होंने किया होगा, लेकिन हर एपिसोड की चूंकि तय स्क्रिप्ट होती है इसलिए अकेले दोष खेर को नहीं दिया जा सकता।
इसके बावजूद किसी कलाकार पर की जाने वाली टिप्पणियां बेशक स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं होती होंगी। तीनों निर्णायक अपनी की टिप्पणियों के खुद जिम्मेदार माने जाने चाहिए। इसी एपिसोड में जमाल नाम का एक कलाकार मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने आया था। उसने कुछ शुरुआती हरकतों के बाद शर्ट उतारकर अपनी छाती पर दो जलती मोमबत्तियां रख लीं और कुछ मूवमेंट करने लगा। पहले तो इसे देखकर करन जौहर और किरण खेर ने मुंह बिचकाया, उसके बाद जब कलाकार ने मोमबत्ती को निगल कर आग बुझा दी, तो दोनों निर्णायकों के चेहरे पर उभर आई नफ़रत की लकीरों को साफ देखा जा सकता था।
उससे पहले किरण खेर ने उसका नाम पू्छा। नाम सुनने के बाद खेर नेे उसे पहले फटकारा, उसके बाद पूछा कि अगर उसे कष्ट सहने का इतना ही शौक है तो वह फौज में क्यों नहीं चला जाता। खेर ने उसे सलाह दी कि उसे सरहद पर जाकर, सियाचिन की ठंड में जाकर देया के फौजियों की तरह कष्ट सहना चाहिए और देश की सेवा करनी चाहिए। इसी तर्ज पर करन जौहर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और उसे ना कर दिया। इस मामले में परिणीति चोपड़ा विनम्र दिखाई दीं।
ऐसे रियलिटी शो के बारे में अकसर यह सुनने को मिलता है कि बीच बीच में इसमें मनोरंजन के लिए जान-बूझ कर कुछ ऐसे कलाकार डाले जाते हैं जिन्हें लताड़ा जा सके और यह सारा सीक्वेंस बनावटी होता है। जैसे, कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में एक बार यह बात सामने आई थी कि कुछ दर्शक प्रायोजित होते हैं। अगर मान लिया जाए कि जमाल एक प्रायोजित कलाकार था, तब भी क्या उसे फौज में जाने की सलाह देने का क्या कोई तुक बनता था? इस तर्ज पर देखें तो हर गाने वाले को गायक बनना चाहिए, हर नाचने वाले को डांसर बनना चाहिए और हर साहसिक करतब दिखाने वाले को फौज में चले जाना चाहिए। अगर ऐसा ही है, तो फिर टैलेंट किसे कहा जाएगा और इस शो का क्या होगा, जो देश भर से टैलेंट खोजने का दावा करता है।
जमाल से इतने सारे सवाल पूछने और उसे राष्ट्रवादी ज्ञान देने के बजाय सीधे भी ना कहा जा सकता था। वैसे, कोई पलट कर किरण खेर से यह पूछ देता कि आपको तो संसद में होना चाहिए या अपने लोकसभा क्षेत्र चंडीगढ़ में होना चाहिए, तो उनका क्या जवाब होता?