गेंहू पर गदर – पैदावार कम, ज़रूरत ज़्यादा ‘दुनिया में हांके..घर में फ़ाके’ (टिप्पणी)

अजित साही अजित साही
ओप-एड Published On :


क्या आप जानते हैं कि आटे के दाम क्यों इतनी तेज़ी से बढ़ गए हैं? ताजमहल से फ़ुर्सत मिल गई हो तो रोटी-पानी की बात भी समझ लीजिए। हुआ ये है कि गेहूँ की पैदावर तेज़ी से गिर रही है और मुनाफ़ाख़ोर व्यापारी देश का गेहूँ विदेशों में बेच रहे हैं. ज़ाहिर है देशवासियों के लिए गेहूँ की कमी हो गई है।
ये सब न केवल पीएम मोदी की जानकारी में हो रहा है बल्कि दो महीने से प्रधानमंत्री ख़ुद ढिंढोरा पीट रहे हैं कि, देखो, हम दुनिया का पेट भरने के लिए रिकॉर्ड गेहूँ निर्यात करने जा रहे हैं। अब अचानक हालत ख़राब हो गई है तो अब जाकर भारत सरकार ने गेहूँ के निर्यात पर रोक लगा दी है। दरअसल गेहूँ को लेकर मोदी सरकार तब से झूठ का कारोबार कर रही है जबसे रूस ने यूक्रेन पर हमला किया।
दुनिया में सबसे ज़्यादा गेहूँ चीन पैदा करता है। भारत दूसरे नंबर पर है। सबसे ज़्यादा गेहूँ का निर्यात रूस करता है। यूक्रेन की पैदावर भी अच्छी है लेकिन यूक्रेन पर हमले के बाद झटपट झूठी ख़बरें प्लांट करानी शुरू हो गई कि अब भारत रूस की जगह ले लेगा और गेहूँ का रिकॉर्ड तोड़ निर्यात करेगा। अमेरिकी समाचार एजेंसी रायटर्स ने सोलह मार्च को ख़बर छापी कि भारत सरकार, निर्यात के लिए आक्रामक रणनीति तैयार कर रही है।  जिसके अंतर्गत लैब में टेस्टिंग शुरू हो गई है कि कौन सी क्वालिटी का गेहूं निर्यात होगा। साथ ही सरकार मालगाड़ी के डिब्बे बढ़ा देगी और बंदरगाह पर भी कैपेसिटी बढ़ा देगी।
फिर एक महीने पहले, ग्यारह अप्रैल को, एक अनाम सरकारी अधिकारी के हवाले से रायटर्स ने दोबारा ख़बर छापी की भारत में गेहूँ की बंपर खेती हुई है और अब भारत बढ़-चढ़ कर गेहूँ का निर्यात करेगा। अधिकारी ने ये भी कहा कि एशिया ही नहीं बल्कि यूरोप और अफ़्रीका में भी भारत गेहूँ बेचेगा। लेकिन तीन हफ़्ते बाद इसी रायटर्स ने पलटी मारी। दो मई को एक ख़बर में रायटर्स ने कहा कि इस साल भारत में गेहूँ की पैदावर में गिरावट आई है! जबकि फ़रवरी में मोदी सरकार ने दावा किया था कि इस साल भारत में ग्यारह करोड़ टन गेहूँ पैदा होगा, रायटर्स की दो मई की रिपोर्ट ने कहा कि अब अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं कि सिर्फ़ साढ़े दस करोड़ टन गेहूँ होगा। ये भी हवाबाज़ी है। एक अनाम व्यापारी के हवाले से रिपोर्ट ने कहा कि दस करोड़ टन गेहूँ ही हो जाए तो समझो ग़नीमत है।
इस सबसे परे अपनी विदेश यात्रा पर ठीक इसी दौरान पीएम अलग ही शान दिखा रहे थे। बर्लिन में उन्होंने दावा किया कि, दुनियावालों, परेशान मत हो. तुमको हम गेहूँ की कमी नहीं होने देंगे। भारत तुमको गेहूँ देगा और अब पलटी मारते हुए मोदी ने गेहूँ के निर्यात पर रोक लगा दी। अब अंग्रेज़ी अख़बार इकनॉमिक टाइम्स बता रहा है कि इस साल गेहूँ की कुल पैदावर साढ़े नौ करोड़ हो जाए तो बड़ी बात होगी यानी दो महीने में पैदावर का अनुमान साढ़े ग्यारह करोड़ टन से गिर कर साढ़े नौ करोड़ टन पर आ गया है। भगवान जाने वो भी होगा कि नहीं…
और सुनिए..अख़बार के मुताबिक़ इस साल सरकार ख़ुद पिछले साल के मुक़ाबले पचपन फ़ीसदी गेहूँ ख़रीद पाई है। मतलब ये कि सरकार के गोदामों में इस साल पिछले साल के मुक़ाबले लगभग आधा गेहूँ आने की आशंका है।
इस भयावह परिस्थिति का मतलब ये होगा कि डिस्काउंट पर या फ़्री आटा उपलब्ध कराने के लिए सरकार के पास पर्याप्त गेहूँ ही नहीं होगा। ज़ाहिर है कि सरकार को गेहूँ आयात करना पड़ेगा। लेकिन गेहूँ के अंतरराष्ट्रीय दाम आसमान छू रहे हैं। तो भारत को बहुत अधिक खर्च करके ये गेहूँ ख़रीदना होगा। लिहाज़ा महंगाई और ताबड़तोड़ बढ़ती जाएगी।
वैसे भी अगला साल, 2023, लोकसभा चुनाव से पहले का आख़िरी साल है। वोट की ख़ातिर सौ करोड़ लोगों को फ़्री राशन देना ही देना होगा। कहाँ से आएगा गेहूँ? लेकिन ये पूरी सरकार ही झूठ बोलने में लगी है। पिछले महीने ही खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया था कि इस साल भारत डेढ़ करोड़ टन गेहूँ निर्यात करेगा। रायटर्स की दो मई की रिपोर्ट मे एक अनाम गेहूँ व्यापारी ने कहा कि अगर एक टन गेहूँ भी निर्यात हो जाए तो बहुत होगा। और अब तो ख़ैर निर्यात पर रोक ही लगा दी है
‘अब्दुल को टाइट करने के चक्कर में देश का कबाड़ा करवा दिया है दक्षिणपंथियों ने। हमारी आँखों के सामने भारत डूब रहा है और जाहिल ताजमहल के नीचे मंदिर ढूँढ रहे हैं।’

अजित साही वरिष्ठ पत्रकार हैं, भारत में टीवी न्यूज़ के संस्थापक पत्रकारों में रहे हैं। वर्तमान में अमेरिका में पॉलिसी एडवोकेसी और सांप्रदायिकता-धार्मिक आज़ादी पर काम करते हैं। ये टिप्पणी, उनकी फेसबुक वॉल से साभार प्रकाशित है।