विज्ञापन और दृश्य प्रसार निदेशालय (डीएवीपी) ने 13 सितम्बर को जारी एक आदेश के माध्यम से कुछ प्रकाशनों का विज्ञापन दो महीने के लिए रोक दिया है। यह फैसला भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआइ) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का परिणाम है। यह फैसला डीएवीपी की विज्ञापन नीति 2016 के तहत लिया गया है। प्रतिबंधित प्रकाशनों की सूची में कुल अखबारों की संख्या 51 है।
जिन प्रकाशनों को अलग-अलग कारणों से प्रतिबंधित किया गया है, उनमें कुल 38 के ऊपर पेड न्यूज़ यानी पैसे लेकर खबर छापने का आरोप पीसीआइ ने लगाया है। इनमें अधिकतर छोटे प्रकाशन हैं लेकिन कुछ अहम प्रकाशनों में ओडिशा भास्कर, दिनाकरन, राज एक्सप्रेस भोपाल, वीर अर्जुन दिल्ली, हरि भूमि रायपुर और राज एक्सप्रेस इंदौर हैं।
कुल 51 प्रकाशनों की सूची में दैनिक जागरण के दिल्ली संस्करण का भी नाम शामिल है। उसके विज्ञापन रोके जाने की जो वजह बताई गई है वो निम्न है:
”शिकायकर्ता के खिलाफ जघन्य आक्षेप लगाया और विवादित समाचार के प्रकाशन के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं।”
ध्यान देने वाली बात है कि सोशल मीडिया पर दो दिनों से एक अफ़वाह फैलायी जा रही है कि डीएवीपी ने पेड न्यूज़ के नाम पर दैनिक जागरण का विज्ञापन रोक दिया है। यह पूरी तरह ग़लत है1 आदेश की प्रति में जागरण के दिल्ली संस्करण का ही नाम है और कारण उपर्युक्त बताया गया है जिसका पेड न्यूज़ से कोई लेना-देना नहीं है।
दैनिक जागरण के अलावा दि टाइम्स ऑफ इंडिया का भुवनेश्वर संस्करण और पुणे का महाराष्ट्र टाइम्स प्रतिबंधित किया गया है। दि टाइम्स ऑफ इंडिया के विज्ञापन रोके जाने का कारण निम्न है:
”एक समाचार से शिकायत जिसके संबंध में अख़बार ने अपनी गलती स्वीकार नहीं की है।”
महाराष्ट्र टाइम्स पुणे के संबंध में निम्न कारण बताया गया है:
”दूसरे के नाम से दर्ज टाइटिल का इस्तेमाल”
इस सूची में दो तरह के प्रकाशन शामिल है- एक वे जो डीएवीपी के पैनल पर हैं और दूसरे वे जो पैनल पर नहीं है। आदेश में कहा गया है कि वे अखबार जो डीएवीपी के पैनल पर न होते हुए भी प्रतिबंधित किए गए हैं, उन्हें दो महीने की प्रस्तावित अवधि 13.09.2017 से 12.11.17 के बीच दोबारा पैनल पर नहीं डाला जाएगा, भले ही वे प्रिंट मीडिया विज्ञापन नीति, 2016 की योग्यता पूरी करते हों।