राजधानी रायपुर के एक थाने में रविवार को धर्म परिवर्तन के मामले में एक ईसाई पादरी व ईसाई संगठन के दो पदाधिकारियों से मारपीट का मामला सामने आया है। जानकारी के मुतबिक दक्षिणपंथी हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा इस मारपीट को अंजाम दिया गाया है। पादरी का नाम हरीश साहू है और उन पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाकर संगठन से जुड़े लोगों ने पुलिस के सामने ही थाने में उन्हें पीटा है।
पुरानी बस्ती पुलिस थाने में पिटाई..
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। इस मारपीट में हरीश साहू को काफी चोट लगने की जानकारी भी सामने आई है। हरीश साहू पर धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए पुरानी बस्ती पुलिस थाने में उनकी पिटाई की गई। वहीं छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के महासचिव अंकुश बरियाकर और एक अन्य व्यक्ति प्रकाश मसीह के साथ भी मारपीट की गई। दक्षिणपंथी हिंदू संगठन के लोगो पर ईसाई धर्म के पुजारी और दो अन्य लोगों की पिटाई के साथ उन्हें प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया गया है।
Raipur police today called two Christian pastors on a complaint of RW that they were converting Hindus.
Soon RW goons barged into the thana and beat up the pastors in the presence of policemen.“If Christians are not safe even in thanas, what can we expect,” a pastor told me. pic.twitter.com/uE1Za9L1Lc
— Ashutosh Bhardwaj (@ashubh) September 5, 2021
पुलिस ने पादरी को थाने बुलाया..
पुलिस के मुताबिक, साहू पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाते हुए दक्षिणपंथी संगठन ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस ने उन्हें थाने बुलाया। पुलिस के बुाने पर पादरी, बरियाकर और मसीह के साथ थाने पहुँचे। उनके आने के बाद वहां मौजूद दक्षिणपंथी संगठन के कार्यकर्ताओं ने थाना इंचार्ज के सामने तीनों को पीटने के साथ उन्हें प्रताड़ित किया। हालांकि इस घटना के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव ने पुरानी बस्ती थाना के इंचार्ज (SHO) यदुमणि सिद्दर को लाइन हाज़िर कर दिया है।
इन धाराओं पर मुक़दमा दर्ज..
अंकुश बरियाकर ने घटना को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-147 (दंगा करना), 294 (अश्लील कार्य या गीत), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और धारा –506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह हटना कोई नई नही है ऐसा पहले भी कई बार और कई राज्यों में हो चुका है। यूपी हो, एमपी हो यह दिल्ली, कभी किसी समुदाय के साथ तो कि किसी समुदाय के लोगो के साथ। गौरतलब है कि यह घटना राज्य के कबीरधाम जिले के पोल्मी गांव में 100 से अधिक लोगों की भीड़ द्वारा 25 वर्षीय पादरी कवलसिंह परस्ते की कथित तौर पर पिटाई किए जाने के एक हफ्ते बाद की है। उस मामले में भी पादरी पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।
लेकिन सवाल ये है की आखिर धर्मांतरण के नाम पर भीड़ या किसी खास संगठन के लोग कब तक कानून को अपने हाथों में लेते रहेंगे? आखिर इनको बार-बार यह हिम्मत कहा से मिल रही है? कैसे पुलिस की मौजूदगी के बाद भी ऐसी घटनाओं को अंजाम दे लिया जाता है?