युनाइटेड किंगडम ब्रॉडकास्ट रेगुलेटर (ofcom) ने टाइम्स नाऊ को ख़बर दिखाने में पक्षपात करने को दोषी पाया है। यह ब्रॉडकास्ट कोड का उल्लंघन है। युनाइटेड किंगडम में प्रसारण बंद होने की आशंका से घिरे ‘टाइम्स ग्लोबल’ ने आश्वासन दिया है कि उसके प्रेजेंटर (ऐंकर या प्रस्तोता) अपनी व्यक्तिगत राय ज़ाहिर नहीं करेंगे और कंपनी अपने स्टाफ़ को ‘निष्पक्ष तरीक़े से ख़बर दिखाने’ के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए ट्रेनिग प्रोग्राम चलाएगी। कंपनी ने यह भी बताया है कि ऐसा करने वाले ऐंकर अर्णव गोस्वामी अब उसके साथ नहीं हैं।
ofcom की जाँच में पाया गया कि पिछले साल उड़ी में हुए आतंकी हमले के दौरान टाइम्स नाऊ ने ख़बर दिखाते वक़्त ‘निष्पक्षता’ के सिद्धांत का पालन नहीं किया जो प्रसारण संहिता के नियम 5.9 का उल्लंघन है। ofcom ने टाइम्स नाऊ के शो “न्यूज़ आवर” के उन तमाम संस्करणों को देखकर यह नतीजा निकाला है जिनमें भारत-पाक के बीच कश्मीर को लेकर बढ़ते विवाद पर लगातार चर्चा की गई थी।
जाँच रिपोर्ट में तमाम ऐसे उदाहरण दर्ज किए गए हैं जहाँ टाइम्स नाऊ ने समस्या के लिए पाकिस्तान की सरकार पर आरोप लगाए लेकिन किसी दूसरे नज़रिये को जगह नहीं दी। रिपोर्ट में ऐसी ट्रांस्क्रिप्ट भी है जहाँ ऐंकर पाकिस्तानी परिप्रेक्ष्य रख रहे किसी अतिथि की बात को अचानक काट दे रहा था।
रिपोर्ट कहती है-
“शो में पाकिस्तान की नीतियों और क्रियाकलापों को लेकर तमाम एकतरफ़ा बयान शामिल किए गए। पाकिस्तान पर भारत के ख़िलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लगाए गए, लेकिन इन गंभीर आरोपों (पाकिस्तान को बार-बार “असफल राज्य”, “आतंकी देश” “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ चुका देश” कहना) को देखते हुए कार्यक्रम में एक वैकल्पिक नज़रिये का होना ज़रूरी था, ख़ासतौर पर जिससे पाकिस्तान की सरकार का दृष्टिकोण ज़ाहिर हो पाता।”
ofcom के सवालों की गंभीरता को देखते हुए ‘टाइम्स ग्लोबल’ ने काफ़ी सधे ढंग से बचाव की कोशिश की है। उसने ‘निष्पक्षता के सिद्धांत’ का पालन करने का दावा करते हुए अपनी संपादकीय नीति को दुरुस्त बताया है, लेकिन अतीत की कुछ गड़बड़ियों का ठीकरा पूर्व एडिटर-इन चीफ़ अर्णव गोस्वामी पर फोड़ा है। टाइम्स ग्लोबल नेअपने जवाब में कहा है- “हम कुछ लोगों की इस राय को समझ सकते हैं कि कार्यक्रम के ऐंकर (अर्णव गोस्वामी) का रुख टकराव भरा था। वह अब चैनल के साथ नहीं हैं, संस्थान से बाहर जा चुके हैं।”
टाइम्स ग्लोबल ने अपनी संपादकीय नीति का बचाव करते हुए कहा है कि ‘जिस प्रेजेंटर (राहुल शिवशंकर) को मि.गोस्वामी की जगह लाया गया है, उनका अंदाज़ जुदा है। वे अपने शो में हर तरह की राय वालों को जगह देते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी निजी राय का असर ना दिखे।’
टाइम्स ग्लोबल ने कहा है कि इस जाँच रिपोर्ट के मद्देनजर मौजूदा टीम के साथ ofcom के नियमों और दिशा निर्देशों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसे लेकर ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित किए जाएँगे ताकि संवेदनशील विषयों पर कवरेज करते समय न्यूज़ टीम इन्हें हमेशा दिमाग़ में रखे।
ofcom ने अगस्त-सितंबर 2016 के दौरान प्रसारित हुए शो की जाँच की थी जब इसे अर्णव गोस्वामी पेश करते थे। टाइम्स से हटने के बाद अब वे रिपबल्कि टीवी लेकर जल्दी ही मैदान में आने वाले हैं।
ofcom एक नियामक संस्था है युनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा पारित क़ानूनों के तहत काम करती है। इसका काम यह देखना है कि प्रसारण क्षेत्र में कम्युनिकेशन एक्ट 2003 का पालन हो रहा है या नहीं। यह संस्था सीधे संसद के प्रति जवाबदेह है।
युनाइटेड किंगडम में टाइम्स नाऊ का प्रसारण नवंबर 2015 से हो रहा है। प्रसारण लाइसेंस के लिए ज़रूरी है कि वह नियामक क़ानूनों और दिशानिर्देशों का पालन करे।
वैसे, यूके में हुई इस घटना को देखते हुए भारत में नियामक संस्था की ज़रूरत को लेकर सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। भारत में तमाम चैनल रात दिन विद्वेष और विभाजनकारी कार्यक्रम पेश करते हैं जिन पर कोई रोक नहीं लग पाती। प्रसारकों की ओर से हमेशा ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’और ‘आत्मनियमन’ का हवाला दिया जाता है लेकिन हक़ीक़त में इनका कोई असर नहीं है।
CrowdNewsing से साभार।