छत्तीसगढ़ के जाने-माने और वरिष्ठ पत्रकार रुचिर गर्ग ने बुधवार को दैनिक ‘नवभारत‘ में पहले पन्ने पर जो त्वरित टिप्पणी लिखी है, वह पत्रकारिता के इस द्रोहकाल में विवेकपूर्ण साहस का अप्रतिम उदाहरण है। दैनिक ‘पत्रिका’ के संवाददाता प्रभात सिंह की गिरफ्तारी के संदर्भ में बस्तर में पत्रकारिता पर लगाए जा रहे पुलिसिया पहरे की आलोचना करती उनकी यह टिप्पणी भयावह है और साथ ही इस बात की चेतावनी भी देती है कि आपातकाल लागू करने के लिए किसी औपचारिक घोषणा की जरूरत अब नहीं रही। आपातकाल यहीं है और हम उसी के बीच जी रहे हैं।