मसला गंभीर है। निशाने पर हैं इंडिया टुडे न्यूज़ चैनल के नामी पत्रकार राजदीप सरदेसाई। लेकिन मसला जानने से पहले इसी चैनल के एक अन्य संपादक राहुल कँवल का एक ट्वीट देखें–
राहुल बता रहे हैं कि बीएचयू के कुलपति गिरीशचंद्र त्रिपाठी ने पीएम मोदी के रोड शो में शामिल होने की ख़बरों का खंडन किया है और इस पर क़ानूनी कार्रवाई की धमकी दी है। दिलचस्प बात यह है कि राहुल कँवल का यह ट्वीट किसी और को नहीं ख़ुद उनके वरिष्ठ सहयोगी संपादक राजदीप सरदेसाई को कठघरे में खड़ा करता है। राजदीप ने मोदी के रोडशो में कुलपति त्रिपाठी की ‘मौजदूगी’ को ट्विटर पर मुद्दा बनाया था।
कुलपति के मुताबिक कैच न्यूज़ ने भी इस ख़बर को चलाया था और वे इससे काफ़ी नाराज़ थे। इस मुद्दे पर वाराणसी में मौजूद पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने उनसे बात की जिसे कैच न्यूज़ ने अपनी सफ़ाई के साथ छापा है। हम यह रिपोर्ट आभार समेत छाप रहे हैं…
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी एक बार फिर विवादों में हैं, लेकिन इस बार मीडिया में उनकी मलामत एक गफ़लत पैदा होने के कारण हो रही है. त्रिपाठी के संबंध में वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई द्वारा किए गए दो ट्वीट से यह सारा विवाद खड़ा हुआ और अब उन ट्वीट की तथ्यात्मकता पर सवाल खड़ा हो रहा है.
राजदीप ने ये दोनों ट्वीट बीते 4 मार्च को वाराणसी में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में जीसी त्रिपाठी के शामिल होने को लेकर किए थे. राजदीप ने कहा था- ‘बीएचयू के वीसी मि. त्रिपाठी पीएम के राजनीतिक रोड शो में… ये कहां आ गए हम’. राजदीप ने इसके बाद एक और ट्वीट किया जिसका मजमून यूं है- ‘सिर्फ भारत में ही ऐसा हो सकता है कि एक टीवी चैनल का मालिक एनडीए का सांसद हो और वो खुद को आजाद बताए, या एक वीसी चुनावी रोडशो में शामिल हो और यूनिवर्सिटी खुद को स्वायत्त कहे.’
राजदीप का ट्वीट आने के साथ ही मीडिया में यह खबर वायरल हो गई. तमाम मीडिया समूहों ने इस पर खबरें, ओपिनियन और रिपोर्ट छापे. कैच न्यूज़ पर भी इस संबंध में एक ख़बर प्रकाशित हुई थी.
अब कुलपति त्रिपाठी ने रोडशो में हिस्सा लेने से साफ शब्दों में इनकार किया है. उन्होंने सिरे से उन खबरों को खारिज किया है जो सरदेसाई के ट्वीट के हवाले से लिखी गईं और जिनमें बताया गया कि वे मोदी के साथ बनारस के विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने गए थे.
बीएचयू कुलपति आवास पर हुई एक विस्तृत बातचीत में त्रिपाठी ने इस संबंध में छपी ख़बर और ट्वीट पर नाराज़गी जताते हुए कहा, ‘सवाल ये है कि पॉलिटिक्स के चलते यह सब हो रहा है.’ उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति का उनके नाम से हवाला दिया गया है, उसका नाम एसएन त्रिपाठी है. वे बोले, ‘एसएन त्रिपाठी ऐडमिनिस्ट्रेटर हैं, उन्हें वहां होना ही था. मैं आपसे बस इतना ही निवेदन करूंगा कि विश्वविद्यालयों को निहित स्वार्थों की राजनीति का केंद्र न बनाया जाए.’
यह संवाददाता जब वीसी आवास पर त्रिपाठी से मिलने पहुंचा, तो उनके साथ बीएचयू के जन संपर्क अधिकारी राजेश सिंह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध संस्था विश्व संवाद केंद्र के प्रभारी नागेंद्र भी उपस्थित थे. कुलपति ने परिचय के बाद छूटते ही कहा कि वे कैच न्यूज़ से बात नहीं करेंगे क्योंकि उनके बारे में झूठी ख़बर छापी गई है. करीब दस मिनट तक वे मीडिया को भला-बुरा कहते रहे.
उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री के रोडशो में शामिल होने संबंधी खबर छापने वाले सभी मीडिया समूहों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. इनमें कैच न्यूज़ भी शामिल है. बाद में एक अन्य वेबसाइट दि वायर ने इसी ख़बर को कुछ अतिरिक्त तथ्य के साथ प्रकाशित किया. इसमें रोड शो में शामिल बीएचयू के कुछ प्रोफेसरों ने वीसी त्रिपाठी के वहां मौजूद होने की पुष्टि की है. हालांकि इस ख़बर में पुष्टि करने वाले प्रोफेसरों के नाम नहीं हैं.
इस संबंध में राजदीप सरदेसाई से भी स्पष्टीकरण लिया जाना जरूरी था. राजदीप के ट्वीट का आधार और स्रोत पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनके प्रोड्यूसर ने वीडियो समाचार एजेंसी एएनआइ की फीड में त्रिपाठी को मोदी के साथ देखा था, इसके बाद ही उन्होंने त्रिपाठी के रोडशो में शामिल होने संबंधित ट्वीट किया था. उन्होंने इस फुटेज का एक स्क्रीनशॉट ट्विटर पर पोस्ट किया है.
त्रिपाठी का दावा है कि प्रधानमंत्री के साथ दिख रहा व्यक्ति वे नहीं बल्कि कोई और है. सरदेसाई उस फोटो में मौजूद व्यक्ति को ही कुलपति मानकर ट्वीट कर रहे थे.
सरदेसाई के प्रोड्यूसर राकेश झा ने फोन पर बताया कि उन्होंने एएनआइ की फीड में कुलपति त्रिपाठी को मोदी के साथ देखा था, हालांकि फीड दोबारा देखकर ही इसकी पुष्टि की जा सकती है.
त्रिपाठी का दावा है कि वे उस दिन टीवी पर रोड शो देख रहे थे. पत्रकारों के साथ कुलपति की चर्चा के दौरान मौके पर मौजूद विश्व संवाद केंद्र के नागेंद्र ने बताया, ‘वीसी साहब रैली में शामिल होने की ख़बर को देखकर इतना तनाव में थे कि उन्होंने मुझे बुलावा भेजा. मुझे खुद नहीं पता था कि क्या हुआ है.’
मोदी के रोड शो के संबंध में एक और ख़बर आई थी कि उसकी मंजूरी प्रशासन से नहीं ली गई थी. इस बारे में चुनाव आयोग ने बनारस के डीएम से रिपोर्ट मंगवाई है. नागेंद्र ने इस संबंध में एक दिलचस्प दलील पेश की, ‘यह रोड शो था ही नहीं. मोदीजी बनारस के लोकप्रिय सांसद हैं. पहली बार चुनाव में शहर आए थे और मंदिर का दर्शन करने गए थे. ज़ाहिर है, उन्हें देखने के लिए जनता बाहर आएगी ही.’
करीब घंटे भर चली बातचीत में त्रिपाठी ने बीएचयू के भगवाकरण के आरोपों का भी जमकर बचाव किया. उन्होंने कहा, ‘भगवा रंग सूर्य का होता है. भगवा रंग अग्नि का होता है. साधु-संत भगवा रंग पहनते हैं. अगर भगवाकरण का मतलब सूर्य सा प्रकाश, अग्नि की ऊर्जा और साधुओं जैसा त्याग है, तो बेशक कह सकते हैं कि वे भगवाकरण कर रहे हैं.’
वीसी त्रिपाठी ने कहा कि विगत कुछ समय से कुछ राजनीतिक दल कैंपसों में राजनीति करके माहौल बिगाड़ रहे हैं. उदाहरण के तौर पर उन्होंने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला कांड और जेनयू की घटना को गिनवाया. वे बोले ”राजनीतिक बहस हो, लेकिन विश्वविद्यालय राजनीतिक अभ्यास का मंच नहीं है. वह भी चुनाव के वक्त में. यह शुभ संकेत नहीं है.’
कुलपति त्रिपाठी ने बताया, ‘प्रधानमंत्री बीएचयू के लक्ष्मण दास अतिथि गृह में रुके थे, लेकिन मुझे इसकी जानकारी भी बाद में मिली. हम लोग अपने काम में लगे हैं, चुनाव लड़ने की फुरसत कहां? और आप लोग हमें चुनाव लड़वा रहे हैं!’
उन्होंने बताया कि कैसे यहां परिसर के भीतर 1975 से पहले आरएसएस का संघ भवन हुआ करता था जिसे बंद करवा दिया गया. उन्होंने बताया कि संघ की शाखा परिसर में पहले से लगा करती थी. त्रिपाठी कहते हैं, ‘कुछ भी नया नहीं है. मैं खुद शाखा में जाता था. मैं आरएसएस से हूं तो क्या हुआ, पीएम खुद आरएसएस के हैं. आपको उनसे भी दिक्कत होगी, तो पहले उन्हें हटाओ.’
कैच का पक्ष
बीएचयू के वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी के प्रधानमंत्री के रोडशो में शामिल होने की खबर आने के बाद कैच न्यूज़ ने सरकारी पदों पर बैठे व्यक्ति के राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की प्रक्रिया के कानूनी पहलू पर एक रिपोर्ट प्रकाशित किया था. इस संबंध में कैच ने उस दिन जीसी त्रिपाठी से संपर्क करने की कई कोशिश की पर उनसे संपर्क नहीं हो सका. कैच में प्रकाशित लेख वीसी त्रिपाठी के रोडशो में शामिल होने या न होने की पुष्टि नहीं करता है. 1975 में इंदिरा गांधी के चुनाव में आईएएस यशपाल कपूर की भूमिका और उस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर एक नजीर हमारे सामने थी जिसके आधार पर रिपोर्ट लिखी गई थी.