बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी सहित नागरिकता संशाेधन कानून के खिलाफ़ अकेले सड़कों पर लड़ रही उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी ने गुरुवार को अपने राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची जारी कर के इस वर्ष के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रति अपनी गंभीरता का परिचय दिया है। ये पदाधिकारी आगामी 24 जनवरी को सामाजिक न्याय के मसीहा कहे जाने वाले जननेता कर्पूरी ठाकुर की जयन्ती के मौके पर राज्य भर में आयोजित की जाने वाली मानव श्रृंखलाओं में अपने अपने जिलों के प्रभारी बनाए गए हैं।
गुरुवार को जारी इस सूची में इकनामिक टाइम्स दिल्ली के भूतपूर्व पत्रकार और टिप्पणीकार राहुल कुमार को राष्ट्रीय महासचिव घाेषित किया गया है और जमुई का प्रभार सौंपा गया है। इससे पहले भी रालोसपा ने पत्रकारों को अपने यहां अहम पदों पर जगह दी है। जनसत्ता के पत्रकार फजल इमाम मल्लिक रालोसपा के मीडिया प्रभारी हुआ करते थे जब यह पार्टी केंद्र में एनडीए के साथ गठबंधन में थी।
2019 के चुनाव से ठीक पहले रालोसपा ने एनडीए गठबंधन का साथ छोड़ा और इसकी कीमत भी चुकायी, जब उसे एक भी संसदीय सीट हासिल नहीं हुई। इसके बावजूद राज्य की तीन प्रमुख विपक्षी पार्टियों राजद, भाकपा(माले) और कांग्रेस के बीच रालोसपा ने बीते साल अपने संघर्षाें और मुद्दों के चयन के मामले में विशिष्टता का परिचय देते हुए जनता के बीच अलग से विश्वसनीयता हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। रालोसपा देश की पहली पार्टी है जिसने “हल्ला बोल दरवाज़ा खाेल“ अभियान के माध्यम से निजी क्षेत्र और मीडिया में आरक्षण की मांग को उठाने का काम किया।
रालोसपा के इस कायाकल्प के पीछे अभियान समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र नाथ का बड़ा हाथ बताया जाता है जो चार दशक तक राज्य में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ज़मीनी राजनीति करते रहे और पिछले ही वर्ष पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष के बतौर शामिल हुए। नाथ के पार्टी में आने का बड़ा असर यह पड़ा कि कम्युनिस्ट पार्टी के समर्पित नेताओं व काडरों की एक बड़ी फौज रालोसपा को बैठे बिठाए मिल गयी।
जमुई से राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए राहुल कुमार दिल्ली के अहम मीडिया संस्थानों में बरसों काम करने के बाद कुछ साल पहले ही अपने गृहजिला शेखपुरा लौटे हैं और वहां शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। दिल्ली में रहते हुए राहुल कुमार ने एआइएसएफ की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभायी थी और संगठन के प्रभारी भी रहे।
देश भर में क्षेत्रीय दलों सहित भाजपा विरोधी दलों में जिस तरीके से वाम राजनीति से आने वाले नेताओं की आमद पिछले दिनों शुरू हुई है अब यह एक ट्रेंड बन चुका है। जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे संदीप सिंह पहले कांग्रेस में गए। उसके बाद उत्तर प्रदेश से भाकपा (माले) और सीपीआइ के काडरों व नेताओं की बड़ी संख्या कांग्रेस में चली गयी। इसी तरह राजद में भी कुछ पूर्व वाम नेताओं की आमद देखी गयी। भाजपा के एकतरफा राज में विकल्पहीनता की स्थिति को देखते हुए वाम छात्र संगठनों से आने वाले युवाओं का क्षेत्रीय राजनीति को गले लगाना आने वाले दिनों के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।
दिल्ली में राहुल कुमार की पत्रकारिता को बरसों देखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार इस बात पर संतोष जाहिर करते हैं कि दिल्ली से निकल कर, प्रशिक्षित होकर युवा अपने अपने इलाकों में जा रहे हैं और स्थानीय विकास के मुद्दों पर राजनीति कर रहे हैं। वे कहते हैं, “सारी राजनीति दिल्ली में ही होगी तो इलाकों का क्या होगा। यह सुखद है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।”
रालोसपा ने अकेले दम पर जिस तरीके से आंदोलन के स्वरूप में अपनी राजनीति को लोकसभा की हार के बाद आगे बढ़ाने का काम किया है, वह जनता के बीच अपील कर रहा है। राहुल कुमार ने मीडियाविजिल से बात करते हुए बताया, “आने वाले दिनों में हम लोग किसानों और मजदूरों के मुद्दे को उठाएंगे और पिछले साल की तरह अतिपिछड़ा सम्मेलन भी करेंगे।”
कुमार के मुताबिक नागरिकता संशाेधन कानून के खिलाफ मुख्यधारा की विपक्षी और वाम पार्टियों ने जो विमर्श खड़ा किया है उसने जाने अनजाने भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाया है क्योंकि जनता के बीच हिंदू मुसलमान की धारणा और पुख्ता हुई है।
वे कहते हैं, “ज़रूरी है कि सीएए और एनआरसी के मुद्दे को भूमिहीनों के सवाल से जोड़ा जाए। सबसे पहले अगर इस कानून से कोई प्रभावित होगा तो वे हैं इस देश के आदिवासी और भूमिहीन दलित व अतिपिछड़ा समुदाय के लोग। रालोसपा इसी लाइन पर सीएए के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रही है।”
पार्टी के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री को नीतीश कुमार को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि यदि वाकई वे सीएए और एनआरसी के विरोध में हैं तो केवल जबानी जमाखर्च न करें बल्कि केरल की तरह विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर के दिखावें।
आपकी बातों पर बिहार की जनता को अब भरोसा नहीं रहा CM @NitishKumar जी, अगर वाकई में आपकी सरकार #CAA_NRC_NPR के विरोध में हैं तो केरल की तरह विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराएं।#समझो_समझाओ_देश_बचाओ#IndiaAgainstCAA_NRC_NPR
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLM) January 13, 2020
पार्टी ने सीएए−एनआरसी के खिलाफ अपने अभियान को “समझो समझाओ देश बचाओ” का नारा दिया है। इसके तहत राज्य के हर जिले में कुशवाहा का दौरा लग रहा है।
भारत में गरीबी, बेरोजगारी, बदहाली, अशिक्षा, अपराध, अन्याय, मंदी व महंगाई जैसी समस्याओं से परे लोगों को उलझाने के लिए सरकार द्वारा लाया गया #CAA_NRC_NPR के विरुद्ध आज मुंगेर से भागलपुर तक #रालोसपा द्वारा आयोजित #समझो_समझाओ_देश_बचाओ यात्रा का 8वां चरण।#IndiaAgainstCAA_NRC_NPR pic.twitter.com/f7yoU4adaD
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLM) January 17, 2020