पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में दो दशकों से भी लंबे समय से चल रही शांति प्रक्रिया पर समझौते की समय सीमा 31 अक्तूबर के करीब आने से इलाके में तनाव की स्थिति है. ‘द सिटीजन’ की खबर के मुताबिक आज अंतिम दिन भी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया. सशस्त्र विद्रोही नागा नेताओं ने कोई आधिकारिक जानकारी इस बारे में अब तक नहीं दी है कि क्या वार्ता को बढ़ाया जा सकता है, और यदि सभी पक्षों के बीच कोई समझौता हुआ है या नहीं.
RANJU DODUM reports from Kohima. #nagatalks #nagaaccord https://t.co/Vi72lVPx5i
— The Citizen (@TheCitizen_in) October 31, 2019
पूर्वोत्तर के प्रमुख उग्रवादी समूह एनएससीएन-आईएम नगाओं के लिए अलग झंडा और संविधान की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है.
इससे पहले नगालैंड में सात दशक पुरानी उग्रवाद समस्या के अंतिम समाधान निकालने के लिए बीते मंगलवार को लगातार दूसरे दिन की नगा शांति वार्ता में गतिरोध बरकरार रहा. केंद्र के वार्ताकार और राज्यपाल आरएन रवि ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुइवाह (एनएससीएन-आईएम) और सात संगठनों के शीर्ष संगठन के साथ अलग-अलग बातचीत की.
उधर मणिपुर के कई संगठनों ने प्रस्तावित शांति समझौते के विरोध में 31 अक्तूबर सुबह चार बजे से आधी रात तक यानी 20 घंटे तक विरोध जताने की अपील की है.
#NagaAccord
Cheksine Khongchat: Public Alert Rally on Naga Peace Talk on 30th October 2019 at Hatta and Konung Mamang, ImphalSee full gallery @ https://t.co/b04O944oRY
Photo Credit :: : Shanker Khangembam pic.twitter.com/wJWjQgqgpx
— E-Pao Manipur (@epaomanipur) October 31, 2019
ट्वीटर पर शांतनु नामक एक हैंडिल पर सूचना है कि इस वार्ता के बीच केंद्र ने नागालैंड-मणिपुर में सेना का टैंक तैनात कर दिया है.
#Nagaland & #Manipur Whatsapp groups are all agog with pictures of tanks being rolled in in anticipation of trouble following the presumed signing of the Naga accord by the govt, ignoring the most established group, NSCIN. pic.twitter.com/ACBnjjfuQS
— Shantanu (@shantanub) October 30, 2019
गौरतलब है कि केंद्र ने एनएससीएन-आईएम की अलग झंडे और संविधान की मांग को मानने से इनकार कर दिया है.सूत्रों के मुताबिक अलग झंडे और संविधान की मांग खारिज होने के बाद से शांति प्रक्रिया की कवायद पर खतरा मंडराने लगा है.
No separate national flag or constitution for Nagas. Naga peace deal will be concluded on Oct 31: interlocutor/Nagaland Gov R.N Ravi tells The Hindu.
Deal will be signed without NSCN-IM that signed the 2015 framework agreement in PM Modi's presence. I rpt https://t.co/o7zthPTSAC— Vijaita Singh (@vijaita) October 19, 2019
शांति वार्ता में शामिल नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आफ नगालैंड (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट ने असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के नगाबहुल इलाकों को लेकर ग्रेटर नगालिम के गठन की मांग उठाई.
नगालैंड के राज्यपाल एन. रवि इस शांति प्रक्रिया में केंद्र सरकार के मध्यस्थ हैं. इंस्टाग्राम पर मणिपुर टाइम्स पेज पर खबर के मुताबिक बुधवार को आयोजित विचार-विमर्श के दो दौर अनिर्णीत रहे,लेकिन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड ने ‘ग्रेटर नागालिम’ की मांग पर केंद्र के वार्ताकार आर.एन.रवि द्वारा प्रस्तावित समाधान को स्वीकार कर लिया है. लेकिन इस खबर की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि कई नगा गुट शांति समझौते से सहमत नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा एनएससीएन का इसाक-मुइवा के रुख को लेकर अनिश्चितता है. अलग झंडे व संविधान की मांग खारिज होने के बाद वह समझौते के लिए तैयार होगा या नहीं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. यह भी साफ नहीं है कि केंद्र ने नगा-बहुल इलाकों के एकीकरण की मांग पर सहमति जताई है या नहीं.
नगालैंड के पुलिस महानिदेशक टी. जान लांगकुमार ने कहा, पुलिस की सात बटालियन को रिजर्व रखा गया है. दो महीने का राशन और ईंधन जमा कर लिया गया है. मणिपुर के उखरूल जिले में प्रशासन ने संबंधित विभाग को जरूरी सामान जमा करने का निर्देश दिया है. ताकि समझौते के बाद अशांति या प्रतिकूल स्थिति पैदा होने पर खाद्यान्न की दिक्कत न हो. नगालैंड के बाहर सबसे ज्यादा नगा मणिपुर में ही हैं. यहां प्रशासन ने इंफाल पश्चिमी जिले के सभी पुलिसवालों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं. एनएससीएन (आई-एम) की पहली मांग नगा-बहुल क्षेत्रों के एकीकरण की है.
मणिपुर के दो असंतुष्ट नेताओं ने राजा लेशेम्बा सनाजाओबा का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हुए मंगलवार को ब्रिटेन में ‘निर्वासन में मणिपुर सरकार’ की शुरुआत की घोषणा की है.एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए याम्बेन बीरेन ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल का मुख्यमंत्री’ और नरेंगबाम समरजीत ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल का रक्षा और विदेश मंत्री’ होने का दावा किया.
The two leaders would make an appeal to Queen Elizabeth II and after getting an order from the Privy Council they would move the U.N. for recognition.https://t.co/TH2GcY6wPW
— The Hindu (@the_hindu) October 29, 2019
निर्वासित सरकार की घोषणा करने वाले मणिपुर के दो नेताओं पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का केस दर्ज किया गया है. इस मामले की शुरुआती जांच स्पेशन क्राइम ब्रांच करेगी. बाद में मामला नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) को सौंप दिया जाएगा क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय मामला है.
Manipur govt registers case of waging war against State against two Manipuri separatists who had launched 'govt in exile' in UK https://t.co/bHG5i8jyjG
— OpIndia.com (@OpIndia_com) October 30, 2019
इस बीच पूर्व राजा सनाजाओबा ने असंतुष्ट नेताओं की घोषणा की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि इस मामले में उनका नाम घसीटना घिनौनी हरकत है. इस तरह की घोषणा से समाज में नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होगा.
Erstwhile King of Manipur, Leishemba Sanajaoba: I condemn this in the strongest term, it was shocking that they (2 separatists who claimed to have set up Manipur’s ‘government in exile’ in UK) dragged my name. This will create negative energy in society. https://t.co/aHAzBfwzo6 pic.twitter.com/qqmRYmLj06
— ANI (@ANI) October 30, 2019