दिलीप मंडल
1. किस चुनाव क्षेत्र में किस जाति के कितने वोट हैं, इसका आंकड़ा किसी के पास नहीं है. बताते सभी हैं. यह बहुत बड़ा फ्रॉड है. धर्म के आधार पर जनगणना होती है. इसके अलावा SC, ST गिने जाते हैं. बाकी जो बताया जाता है, सब फर्जी है. अगर कोई बताए कि इस जाति के इतने वोट हैं, तो पूछ लीजिए, आपको कैसे पता? फिर सामने वाले का चेहरा देखिए. देश में 1931 के बाद जाति जनगणना नहीं हुई है.
2. पिछले चुनाव में किस जाति या धर्म के लोगों ने किस पार्टी को वोट दिया. यह आंकड़ा भी पूरी तरह फर्जी होता है. हमें अपने पड़ोसी के वोट के बारे में पक्का पता नहीं होता और पत्रकार लाखों लोगों के बारे में जान लेते हैं. पूछिए कि कैसे पता कि किस जाति ने किसे वोट दिया, और फिर सामने वाले का चेहरा देखिए.
3. किसी भी अखबार या चैनल की खबर देखते पढ़ते समय उसके मालिकाना यानी स्वामित्व के बारे में सोचिए. जैसे कि राजीव शुक्ला का चैनल होगा तो कांग्रेस को आगे दिखाएगा. रजत शर्मा और सुभाष चंद्रा बीजेपी को आगे दिखाएंगे. अंबानी के सारे चैनल इस समय बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं. सन टीवी डीएमके के लिए काम करता है. जया टीवी एआईएडीएमके के लिए. ईनाडु तेलुगु देशम के लिए.
4. चैनल और अखबार, आम तौर पर जिसकी सत्ता होती है, उसके साथ होते हैं. देखते-पढ़ते समय इसका ध्यान रखें.
5. साथ ही ध्यान रखें कि जो पार्टी सबसे ज्यादा विज्ञापन दे रही है, उसके हितों का ख्याल चैनलों और अखबारों को रखना पड़ता है.
6. लिखने वाले और बोलने वाले पत्रकार-एंकर की सामाजिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक रूझान का ध्यान रखें.
समाजशास्त्र में किसी भी लिखी या बोली बात को समझने की एक पद्धति यह है कि लिखने और बोलने वाले की जीवनी यानी बायोग्राफी को साथ में पढ़ें.
इससे धोखा होने की गुंजाइश कम रहेगी.