पत्रकारिता के बुनियादी प्रशिक्षण में जब ख़बर लिखना सिखाया जाता है तो किसी घटना के संदर्भ में धार्मिक समुदायों का नाम लेने को मना किया जाता है। मसलन, किसी साम्प्रदायिक दंगे की ख़बर में यह नहीं लिखा जाना होता है कि समुदाय कौन से थे, बल्कि इतना भर लिखा जाता है कि दो समुदायों के बीच दंगा हुआ। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि पाठकों के बीच नफ़रत न फैलने पाए और एक-दूसरे समुदायों के बीच स्थिति और तनावपूर्ण न होने पाए।
बीते दिनों में हमने देखा है कि खुलेआम धर्मों और जातियों का नाम लिखना एक रवायत सी बन गई है और इस पर कोई लगाम नहीं है। दूसरी बात यह भी है कि कभी-कभार धार्मिक पहचान को जताना इसलिए भी ज़रूरी हो जाता है जिससे सच सामने आ सके और भ्रम न फैले। दोनों ही स्थितियों में खबर लिखने वाले को अपना विवेक इस्तेमाल करने की जरूरत होती है।
यह समस्या किस तरह सच को झूठ और झूठ को सच बनाने की क्षमता रखती है, उसका ताज़ा उदाहरण बिजनौर की घटना है जहां दो समुदायों की झड़प में चार लोगों की जान चली गई है और पूरे शहर में तनाव का माहौल है। मारे गए चारों लोग मुस्लिम समुदाय से हैं। चूंकि ख़बर में मृतकों का नाम लिखना ही होगा और उनके नाम से उनकी धार्मिक पहचान ज़ाहिर हो जाएगी, लिहाजा घटना की वजह और उसके प्राथमिक दोषी की पहचान के साथ ”मैनिपुलेट” करने की गुंजाइश बन जाती है। बिजनौर के संबंध में कुछ हिंदी के अखबारों और वेबसाइटों ने यही काम किया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट में साफ़ तौर पर लिखा गया था कि बिजनौर में घटना की शुरुआत जिस लड़की के साथ छेड़खानी से शुरू हुई, वह मुस्लिम थी और उसे छेड़ने वाले हिंदू थे। उस लड़की के परिजनों ने छेड़छाड़ का विरोध किया जिसके बाद फायरिंग की गई और मुस्लिम समुदाय के चार लोग मारे गए। कैच न्यूज़ पर सादिक़ नक़वी ने अपनी ख़बर में बिजनौर के पुलिस अधीक्षक उमेश श्रीवास्तव का बयान दर्ज किया है जिसमें वे कहते हैं, ”एक मुस्लिम लड़की का जाट समुदाय के लड़कों ने उत्पीड़न किया। उसके बाद झड़प हो गई जिसमें जाट समुदाय ने फायरिंग कर के तीन लोगों को मार डाला।” http://www.catchnews.com/national-news/bijnor-three-killed-in-clash-between-jat-and-muslim-communities-1474010514.html
शुक्रवार की रात लखनऊ स्थित संगठन रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस नोट कहता है, ”रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बिजनौर के पैंदा ग्राम में दसवीं की मुस्लिम छात्रा के साथ गांव के संसार सिंह के परिवार के लड़कों द्वारा छेड़खानी की गई। जब छात्रा के परिजन शिकायत के लिए वे संसार सिंह के घर गए तो संसार सिंह के नेतृत्व में जाट समुदाय के लोगों ने जिस तरीके से पीड़ित छात्रा के परिजनों पर हमला करते हुए मुस्लिमों समुदाय के घरों पर हमला बोला उसने एक बार फिर मुजफ्फरनगर दोहराने की कोशिश की। सांप्रदायिक हिंसा में एक ही परिवार से सरफराज, अनीसुद्दीन, एहसान समेत एक महिला की गोली मारकर सांप्रदायिक तत्वों ने हत्या कर दी।”
वेबसाइट आइबीटाइम्स ने लिखा है कि मुस्लिम लड़कियों के एक समूह के साथ जाट समुदाय के लड़कों ने छेड़खानी की। लड़कियों के परिजनों के विरोध के बाद उन पर गोलियां बरसाई गईं।
http://www.ibtimes.co.in/uttar-pradesh-bijnor-alert-after-3-muslim-youth-killed-firing-693968
आइए, अब देखते हैं कि पीडि़त समुदाय यानी मुस्लिम लड़की के साथ छेड़खानी के बाद उसके परिजनों द्वारा किए गए विरोध के जवाब में उनके साथ हुई नाइंसाफी की ख़बर को हमारे कुछ मीडिया संस्थानों ने कैसे पेश किया।
दैनिक जागरण
”बिजनौर शहर से कुछ दूर स्थित कच्छपुरा और नया गांव की छात्राएं गांव पेदा के तिराहे से स्कूल जाने के लिए बसें पकड़ती हैं। ग्रामीणों को कहना है कि पेंदा के अल्पसंख्यक यहां छात्राओं से काफी दिन से छेड़छाड़ कर रहे थे। शुक्रवार सुबह फिर छेड़छाड़ को लेकर कहासुनी हुई और नौ बजे इसी मसले ने तूल पकड़ लिया। विवाद बढ़ा तो अचानक पथराव और फायरिंग शुरू हो गई। गोली लगने से अहसान (32) की मौके पर ही मौत हो गई जबकि अनीसुद्दीन (50) और सरफराज (22) ने अस्पताल लाते समय दम तोड़ दिया। दर्जन भर लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन मौतों के बाद गुस्साए लोगों ने बाइक व झोपड़ी को भी आग के हवाले कर दिया। दिल्ली-पौड़ी हाईवे पर अहसान का शव रखकर जाम लगा दिया। पुलिस के सामने भीड़ खून का बदला खून के नारे लगाती रही। वाहनों में तोडफ़ोड़ भी की।”
इस ख़बर से पाठक को बताया जा रहा है कि छेड़ने वाले ”अल्पसंख्यक” समुदाय से थे और लड़की हिंदू थी। इससे यह अर्थ निकलता है कि छेड़खानी का विरोध हिंदुओं ने किया और झड़प में मुसलमानों की जान चली गई। यह घटना को सिर के बल खड़ा कर देता है और एक झटके में सच को झूठ बना देता है, साथ ही बहुसंख्यक हिंदुओं के मन में मुस्लिमों के प्रति नफ़रत पैदा कर के उनके ध्रुवीकरण की कोशिश करता है जिससे सीधे तौर पर सांप्रदायिक दक्षिणपंथी हिंदूवादी पार्टी भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश है। यूपी चुनाव के मद्देनज़र दैनिक जागरण के खेल को समझा जाना और उसका परदाफाश किया जाना बहुत ज़रूरी है।
यह काम अकेले जागरण नहीं कर रहा, बल्कि कुछ और वेबसाइटें महीन तरीके से घटना के सच को ”मैनिपुलेट” कर रही हैं जिनमें अधिकतर हिंदू संगठनों की वेबसाइटें हैं।
ऐसी ही एक वेबसाइट है हिंदू एग्जिस्टेंस डॉट ओआरजी। इस वेबसाइट ने बिना किसी इशारें के साफ़ झूठ लिखा है:
Sumit Singh | HENB | Meerut | Sept 16, 2016:: Death toll rose to four on Friday in the communal violence that occurred after an incident of eve-teasing of a Hindu girl allegedly by some Muslim youths in Bijnor district of Uttar Pradesh.
इस वेबसाइट ने अपनी ख़बर के शीर्षक में ही लड़की को हिंदू बता दिया है। समझा जा सकता है कि दैनिक जागरण अपनी ख़बरों की खुराक कहां से ले रहा है और उसका एजेंडा क्या है।
ध्यान रहे कि कांधला और कैराना से हिंदू आबादी के कथित पलायन पर भी दैनिक जागरण ने झूठ का पुलिंदा प्रकाशित किया था और उसके खिलाफ कैराना के लोगों ने थाने में तहरीर भी दी थी। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश चुनाव के नजदीक आते-आते दैनिक जागरण अपनी हिंदूवादी साजिशों को खुलेआम ख़बरों की मार्फत पेश कर रहा है। झूठी ख़बर छापने के लिए क्यों न जागरण के खिलाफ प्रेस परिषद में शिकायत दर्ज करायी जाए?