26 जनवरी को कासगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर हिंदी मीडिया लगभग एकमत है कि झगड़ा तिरंगा यात्रा पर पथराव से शुरू हुआ। चूँकि आज तक नंबर एक चैनल है और उसे सबसे तेज़ रहना है तो उसने जो दंगल शुरू किया उसमें सच को पहली पटकनी देते हुए यह सवालिया दाँव भी मारा गया- तिरंगा भारत में नहीं फहरेगा तो क्या पाकिस्तान में फहरेगा ?
ज़ी न्यूज़ से ऐसे ही ज़हरीले ‘दंगल’ कराने के लिए आज तक लाए गए रोहित सरदाना अपने काम में माहिर हैं। इस ख़बर में यह बात ग़ायब है कि बड्डूनगर जहाँ झगड़ा हुआ, वहाँ दरअसल मुस्लिम समुदाय तिरंगा ही फहरा रहा था। लेकिन सरदाना ने बताया कि तिरंगा फहराने पर आपत्ति जताई गई। आगे यह कि क्या वंदे मातरम और भारत माता की जय सांप्रदायिक नारे हैं ?
वाक़ई ऐसा कर पाना आसान नहीं है। यह सिर्फ़ ज़मीर को चाँदी के सिक्कों के लिए गिरवी रखना नहीं है, उसे मार देना है। यह भारतीय संविधान के प्रति भरी हुई घृणा है जो भारत नाम के विचार को नष्ट करने के लिए देश को दंगों की आग में झोंकना चाहता है।
आज तक को कोई शक़ नहीं कि तिरंगा यात्रा पर हमले से वबाल शुरु हुआ। संदेश यह है कि मुसलमान तिरंगा यात्रा पर हमला कर देते हैं। आज तक के दंगल में यह जिक्र ही नहीं कि झगड़ा जहाँ शुरू हुआ,वहाँ मुस्लिम समुदाय तिरंगा फहरा रहा था। यूपी के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एस.आर.दारापुरी के मुताबिक मामला बिलकुल उलट था।
वाक़ई हक़ीक़त यही है कि एबीवीपी और वीएचपी के बाइक सवारों की तिरंगा यात्रा (जिसमें भगवा झंडा भी ख़ूब थे) वहाँ से निकलना चाहती थी जहाँ मुस्लिम समुदाय गणतंत्र दिवस समारोह के लिए झंडारोहण की तैयारी कर रहा था। झगड़ा करने का पूरा इरादा बनाकर आए थे, यह मुसलमानों की देेशभक्ति पर संदेह करने वाले नारों से साफ़ था।
वैसे, क्या यह सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए कि तिरंगा यात्रा में भगवा ध्वज क्या कर रहे थे ? क्या 26 जनवरी को भगवा ध्वज फ़हराना संविधान का अपमान नहीं है। कहीं यह तिरंगा को धीरे-धीरे दरकिनार करने की योजना तो नहीं। याद कीजिए आज़ादी के तुरंत बाद आरएसएस ने तिरंगे को देश के लिए अशुभ बताया था और पूरी बीसवीं सदी ग़ुजर गई, नागपुर के आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया गया।
बीबीसी हिंदी के डिजिटल एडिटर राजेश प्रियदर्शी इस पर एक गंभीर टिप्पणी की है है–
Rajesh Priyadarshi —”पहले तिरंगे पर क़ब्ज़ा होगा, उसके बाद उसे आडवाणी की तरह लपेटकर किनारे रख दिया जाएगा ”
लेकिन देश के नंबर एक चैनल को इन सवालों से कोई लेना देना नहीं। उसे तो बस आग लगानी है.. न, न…यह कोई आरोप नहीं है। घटना की शुरुआत कैसे हुई, यह वीडियो देखिए। ख़बर24 एक्सप्रेस की ख़बर है। आप देख सकते हैं कि झंडारोहण स्थल पर भगवा झंडों के साथ पहुँची तिरंगा यात्रा कैसे रास्ते को लेकर झगड़ रही है और शुरुआती नारा ही है- ‘भारत में रहना है तो वंदे मातरम कहना है। ”
तो क्या यह 2019 की तैयारी है। हर हाल में दंगा फैलाकर वोट की फ़सल काटी जाएगी। वरना 26 जनवरी पर ऐसी बाइक रैलियाँ यूपी में कब निकलती थीं?
बर्बरीक