जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत से जुड़ी सुनवाई के सिलसिले में महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जमा कराए गए दस्तावेज़ कई मामलों में एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं। ये कागज़ात एक रिपोर्ट के साथ जमा किए गए हैं जिसे महाराष्ट्र राज्य गुप्तचर विभाग (एसआइडी) के आयुक्त संजय बर्वे ने राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के लिए तैयार किया है। इन काग़ज़ात की प्रतियां उन याचिकाकर्ताओं को सोंपी गई हैं जिन्होंने नागपुर में 2014 में लोया की रहस्यमय मौत की जांच की मांग की थी। ये काग़ज़ात केस की परिस्थितियों पर कई और सवाल खड़े कर रहे हैं तथा द कारवां द्वारा इस मामले में उजागर की गई चिंताजनक विसंगतियों में से एक का भी समाधान कर पाने में नाकाम हैं। इनसे यह भी संकेत मिलता है कि रिकार्ड में जानबूझ कर ऐसी हेरफेर की गई रही होगी जिससे लोया को दिल का दौरा पड़ने से हुई स्वाभाविक मौत की एक कहानी गढ़ी जा सके।
द कारवां में 26 जनवरी 2018 को प्रकाशित अतुल देव की स्टोरी के मुताबिक महाराष्ट्र के गुप्तचर विभाग (एसआइडी) ने सुप्रीम कोर्ट में जमा कराई अपनी रिपोर्ट के खंड 3.8 में दावा किया है कि उसने ”श्री ईश्वर बहेटी की भूमिका के बारे में कारवां की रिपोर्ट में उठाए गए संदेह” को दूर कर दिया है। एसआइडी का कहना है कि बहेटी को लोया की मौत की खबर अपने ”बड़े भाई” ”डॉ. हंसराज गोविंदलाल बहेटी (निवासी लातूर)” से मिली जिन्हें ”01/12/2014 को तड़के कॉल आई थी और श्री लोया की सेहत के बारे में बताया गया था।”
लोया का पार्थिव शरीर नागपुर से उनके निवास स्थान मुंबई के बजाय उनके गृहजिले लातूर भेजा गया जहां उनके परिवार ने उसे हासिल किया। अनुराधा बियाणी ने द कारवां को बताया था कि ईश्वर बहेटी नाम का एक लातूर निवासी शख्स, जिसे वे ”आरएसएस के कार्यकर्ता” के रूप में पहचानती हैं, परिवार के पास आया था, उन्हें नागपुर जाने से रोका था और यह सूचना दी थी कि लाश रास्ते में है और वहीं आ रही है। लोया की मौत के कई दिन बाद बहेटी ने उनका मोबाइल फोन परिवार को लौटाया जिसमें सारे कॉल रिकॉर्ड और संदेश डिलीट किए हुए थे। यह साफ़ नहीं हो सका है कि बहेटी को ये सारा विवरण कैसे पता था और उसके पास लोया का मोबाइल फोन कहां से आया।
एसआइडी ने इसी बहेटी नाम के आदमी की भूमिका को सुप्रीम कोर्ट में जमा दस्तावेज़ों में पूरी तरह नकार दिया है और इस तरह लोया की हत्या के मामले में आरएसएस की संलिप्तता का एंगल ख़तम करने की कोशिश की है। ऐसा करने की कवायद में हालांकि गुप्तचर विभाग ने इस अहम सवाल की उपेक्षा कर दी है कि आखिर लोया की मौत के वक्त उनके साथ मौजूद चार जजों सहित अन्य लोग कैसे यह जानते थे कि इसका समाचार लोया के परिवार तक पहुंचाने के लिए लातूर में हंसराज बहेटी से संपर्क करना है।
द कारवां ने हंसराज बहेटी और दांडे अस्पताल के मालिक डॉ. पिनाक दांडे के आरएसएस के साथ रिश्ते की खबर दिसंबर वाली फॉलो अप रिपोर्ट में दी थी। एसआइडी की रिपोर्ट जहां इस दावे को खारिज करने का प्रयास करती है कि ईश्वर बहेटी के आरएसएस से संबंध हैं, वहीं यह ध्यान दे पाने में नाकाम रहती है कि दरअसल हंसराज बहेटी के संघ के साथ संपर्क बिलकुल स्पष्ट हैं। एसआइडी की रिपोर्ट लोया के मोबाइल फोन का कोई जि़क्र नहीं करती है या इस बात का कि आखिर ईश्वर बहेटी के माध्यम से वह फोन जज के परिवार तक कैसे पहुंचा जबकि कायदे से उसे पुलिस के कब्जे में होना चाहिए था और पंचनामे में लोया के पास से ज़ब्त सामानों की सूची में उसे दर्ज होना चाहिए था। बाद में कायदा यह बनता था कि बिना किसी छेड़छाड़ के उसे पुलिस लोया के परिवार को लौटा देती।
द कारवां की दिसम्बर में छपी फॉलो अप स्टोरी में लोया की मौत के साथ आरएसएस के सम्बन्ध पर बताया गया था:
दांडे ने 2016 में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल का चुनाव प्रगति पैनल के प्रतिनिधि के बतौर लड़ा था। यह समूह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और शिव सेना के समर्थन वाला पैनल था। उस चुनाव में प्रगति पैनल ने वैद्यकीय विकास मंच या वीवीएम नाम के उन चिकित्सकों के समूह के साथ गठजोड़ किया था जो आयुर्वेद और होमियोपैथी के अभ्यासी हैं और यह समूह बीजेपी के साथ कथित तौर पर संबद्ध है। वीवीएम के प्रमुख हैं डॉ. अशोक कुकाडे, जो लोया के गृहजिले लातूर में स्थित विवेकानंद अस्पताल के संस्थापक न्यासी हैं। अशोक कुकाडे आरएसएस के पुराने सदस्य हैं। वे संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रह चुके हैं और महाराश्ट्र के पश्चिम क्षेत्र के संघचालक भी रह चुके हैं, जिसके अधिकार क्षेत्र में गुजरात भी आता है। कुकाडे इंडियन मेडिकल असोसिएशन की लातूर शाखा के परामर्श बोर्ड में हैं। इसी बोर्ड में एक डॉ. हंसराज बहेटी भी हैं, जो ईश्वर बहेटी नाम के उस शख्स के भाई हैं जिसने लोया के परिवार के मुताबिक 1 दिसंबर को लोया की मौत की सूचना मिलने के बाद परिवार को नागपुर जाने से हतोत्साहित किया था और जिसने तीन दिन बाद लोया का मोबाइल फोन उन्हें सौंपा, जिसके सारे रिकॉर्ड मिटे हुए थे। दांडे के फेसबुक पेज पर मैत्री परिवार संस्था नाम के संगठन के आयोजनों में उनकी कई तस्वीरें दिखती हैं। यह संस्था अपनी वेबसाइट पर खुद को स्वामी विवेकानंद से प्रेरित ”एक सामाजिक संगठन” बताती है। इस संस्था के 2016 में आयोजित एक पुरस्कार समरोह में मुख्य अतिथि आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत थे।
यह स्टोरी द कारवां पर 26 जनवरी 2018 को प्रकाशित स्टोरी का एक अंश है और साभार है।