यह एक अच्छी शुरुआत है जिसके लिए एनडीटीवी को बधाई दी जानी चाहिए। आमतौर पर टीवी बहसों का अंदाज़ तूतू-मैमे वाला होता है। कोई एक वाक्य भी पूरा कर पाये तो बड़ी बात। लेकिन मुस्लिम आबादी के मिथ को लेकर जो बहस शुरू हुई उसे एनडीटीवी ने शास्त्रार्थ को रूप दे दिया। 22 अगस्त को वरिष्ठ पत्रकार क़मर वहीद नक़वी ने वीडियो ब्लाग के रूप में मुस्लिम आबादी को लेकर प्रचारित किये जा रहे तमाम आँकड़ों को उचित परिप्रेक्ष्य देकर बदनीयती का पर्दाफ़ाश किया था। ज़ाहिर है,आरएसएस को अपने चीफ़ मोहन भागवत के उद्गार को प्रश्नांकित किया जाना पसंद नहीं आया। संघ विचारक के रूप में चैनलों में प्रतिष्ठित राकेश सिन्हा ने इसका विरोध किया। एनडीटीवी ने उन्हें अपनी बात कहने का मौक़ा दिया। राकेश सिन्हा ने PEW (यह रिसर्च सेंटर एक अमेरिकी थिंक टैंक है) के आँकड़ों के ज़रिये बताया कि कैसे मुस्लिम आबादी का बढ़ना एक सच्चाई है। एनडीटीवी ने इस पर नक़वी जी का जवाब माँगा और उन्होंने PEW के ही आँकड़ों के आधर पर साबित किया कि राकेश सिन्हा अर्थसत्य बोल रहे हैं। उन्होंने आबादी वृद्धि के संदर्भ को विस्तार देते हुए उन्हीं आँकड़ों के ज़रिये यह बात साबित की। 24 अगस्त की शाम रवीश कुमार के प्राइम टाइम में यह कार्यक्रम प्रसारित हुआ। कुल मिलाकर एक दर्शक के लिए किसी विषय को समझने के लिहाज से यह शास्त्रार्थ शैली प्रभावी हो सकती है। वैसे, ग्राफ़िक्स बनवाने में कुछ लापरवाही बरती गई है इसीलिए नक़वी जी की बात और पर्दे में दिख रहे आँकड़ों में कुछ फ़र्क़ नज़र आया। उम्मीद है कि इसे ठीक करा दिया जाएगा क्योंकि इंटरनेट पर यह कार्यक्रम लंबे समय तक मौजूद रहेगा और देखा जाएगा। नीचे देखिये राकेश सिन्हा और नक़वी जी का शास्त्रार्थ—