असेंबली में गूँजा ‘पीएम-चरित मानस’, ‘सीडीप्रिय’ मीडिया ने गोल की ख़बर!

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9 सितंबर 2016 को दिल्ली विधानसभा में एक अनोखी घटना घटी। दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्र ने मंत्रिपरिषद से बरख़ास्त किये गये संदीप कुमार की ‘सेक्स सीडी’ पर चर्चा के दौरान गुजरात के मशहूर स्नूपगेट का ऑडियो सुना डाला। इस ऑडियो में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एक पुलिस अफ़सर से बात करते हुए एक लड़की का पीछा करने और उससे मिलने वाले लड़के की सारी रिपोर्ट देने का निर्देश दे रहे हैं जो कि ‘साहेब’ को चाहिए। यही नहीं, उन्होंने इस संदर्भ में आईएस अफ़सर प्रदीप शर्मा का सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामा भी बाँटा और पढ़ा।  मिश्र ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी ने आरोप लगने के 15 मिनट के अंदर आरोपी मंत्री को बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन बीजेपी ऐसे तमाम मामलों पर चुप्पी साध जाती है।

बहरहाल, यहाँ मुद्दा मीडिया की चुप्पी का है। पहली बार देश की किसी विधानसभा में किसी मंत्री ने प्रधानमंत्री का चरित्र चित्रण किया और वह रिकॉर्ड में है, लेकिन किसी टीवी चैनल ने इस ख़बर को दिखाने की हिम्मत नहीं की। अख़बारों में भी इक्का-दुक्का ही रिपोर्ट करने की हिम्मत जुटा पाये। ऐसा नही कि स्नूपगेट कोई नया मामला है। कुछ साल पहले इस पर जमकर हंगामा हुआ था। सवाल यह है कि अगर मीडिया बिना किसी शिकायत के संदीप कुमार की सीडी में दिख रहे ‘अपराध’ की कई दिनों तक चटख़ारेदार चर्चा करता है तो फिर विधानसभा की कार्यवाही में दर्ज होकर इतिहास का हिस्सा बन चुकी इस स्नूपगेट चर्चा पर उसकी फूँक क्यों सरकती है..?

यह सिर्फ़ एक मसला नहीं है। पिछले दिनों राहुल गाँधी की सभा के बाद हुई खाट-लूट की ख़बर को राष्ट्रीय विमर्श बनाने वाले मीडिया ने सूरत में बीजेपी की सभा में कुर्सियाँ उछालने और अमित शाह की हुई फ़जीहत से भी लगभग आँख मूँदे रखी।

बहरहाल, मीडिया विजिल में देखिये वह ‘संवैधानिक चर्चा’, जिसके कवरेज के सवाल ने मीडिया की साख पर थोड़ी मिट्टी और डाल दी है।