स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के निधन की ख़बर जब दिल्ली आई, उस वक्त गंगा सद्भावना यात्रा के उनके अहम साथी और समर्थक दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर हो रहे कार्यक्रम में मौजूद थे। आनन-फानन में मूर्धन्य पर्यावरणविद् ज्ञानेंद्र रावत, ग्रीफ्ट के निदेशक व गंगा सद्भावना यात्रा के प्रमुख डा.जगदीश चौधरी, प्रख्यात भूविज्ञानी प्रभु नारायण, पयॊवरणविद सुबोध नंदन शमॊ ने हरिद्वार का रुख किया और देर रात ऋषिकेश पहुंचे। मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह भी उसी रात वहां पहुंचे। उसके बाद वहां क्या हुआ, इसकी रिपोर्ट मीडिया में कहीं नहीं है। शुक्रवार देर रात ऋषिकेश से वापस ग़ाजि़याबाद आए ज्ञानेंद्र रावत ने पूरी घटना के बारे में मीडियाविजिल से बात की और बताया कि कैसे स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को एम्स ने तकरीबन बंधक बनाकर रखा हुआ था और उनके अंतिम दर्शन करने की इजाज़त नहीं दी जा रही थी। माहौल बिगड़ने पर एम्स को जब घेरने की बात आई, तो कुछ कांग्रेसी नेताओं के दखल से बात बनी। रावत ने स्वामी सानंद की मौत को सरकारी हत्या करार दिया है। देखें वीडियो और नीचे पढ़ें उनका बयान: (संपादक)
पर्यावरणविद् ज्ञानेंद्र रावत द्वारा जारी वक्तव्य
“गंगा की अविरलता – निमॆलता, गंगा के लिए खास तरह का कानून बनाये जाने, उत्तराखण्ड में गंगा पर बन रहे बांधों को निरस्त करने, गंगा में खनन बंद किये जाने हेतु २२ जून से हरिद्वार के मातृ सदन में आमरण अनशन कर रहे प्रख्यात पर्यावरणविद, आईआईटी कानपुर के पूवॆ पर्यावरण तकनीकी विभाग के प्रमुख एवं समूचे देश में गंगा भक्त के नाम से विख्यात ८६ वषीॆय प्रोफेसर जी.डी.अग्रवाल उफॆ स्वामी सानंद की सरकार ने १० अक्टूबर को दोपहर मातृ सदन से जबरिया उठाकर रिषीकेश एम्स में ले जाकर ११ अक्टूबर को हत्या कर दी है।
विडम्बना यह कि अपनी मांगों के सम्बंध में स्वामी सानंदजी ने प्रधानमंत्रीजी को बार-बार पत्र लिखे लेकिन प्रधानमंत्री जी ने किसी भी पत्र का उत्तर नहीं दिया और न ही उन्होंने और न ही सम्बंधित मंत्रालय द्वारा कोई आश्वासन ही दिया गया। सरकार की हठधमिॆता का प्रमाण इससे ही लग जाता है कि एम्स रिषीकेश द्वारा स्वामीजी के अनुयायियों, भक्तों, पर्यावरणविदों, वाटरमैन के नाम से दुनिया में प्रख्यात राजेन्द्र सिंह, सुप्रीम कोटॆ के जाने-माने वकील एम. सी.मेहता, गंगा बेसिन अथारिटी के सदस्य रहे रवि चोपड़ा, प्रख्यात भूविज्ञानी प्रभूनारायण, मुझे एवं स्वामीजी के सहयोगियों, संतों, उनके शिष्यों तक को सुबह नौ बजे से दो बजे तक उनके अंतिम दशॆन तक नहीं करने दिये।
यही नहीं उनके अंतिम दशॆन हेतु दिये पत्र की रसीद तक एम्स के निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने नहीं दी। चार घंटे के विरोध, निदेशक कायॊलय के बाहर धरने दिये जाने और मीडिया में इसका प्रसार होने के बाद और उपर से आदेश मिलने पर एम्स निदेशक, पुलिस और जिला प्रशासन ने काफी जद्दोजहद के बाद स्वामीजी के अंतिम दशॆन करने दिये।
एम्स से आने के बाद मातृ सदन हरिद्वार में स्वामी शिवानंद सरस्वती जी ने स्वामीजी के भक्तों, संतों की उपस्थिति में घोषणा की कि गंगा के लिये सानंदजी द्वारा किया बलिदान व्यथॆ नहीं जायेगा। ११३ दिनों से अनशनरत युवा सन्यासी गोपालदास अब मातृ सदन में ही अपना अनशन जारी रखेंगे। अब समूचे देश में गंगा यात्रायें, धरने और जनजागरण किया जायेगा।
स्वामीजी के साथ राज्य और केन्द्र सरकार की हठधमिॆता,अमानवीय व्यवहार, संवेदनहीनता और उनके अंतिम दशॆन का अवसर देने में हीलाहवाली इसका जीवंत प्रमाण है कि सरकार मां गंगा की मुक्ती के लिये संघषॆ करने वालों को जीवित नहीं रहने देगी। सरकार कुछ भी करे इतना तय है कि सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और मां गंगा इस अपराध का दंड इस सरकार को अवश्य देगी।”