अर्नब का वीडियो देखकर चिंता होती है कि क्‍या टीवी ऐंकर वाकई लाइलाज मनोरोग की चपेट में हैं!

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अर्नब गोस्‍वामी को ये क्‍या हो गया है? इसमें कोई दो राय नहीं कि वे जब से टीवी पर आए हैं आग ही उगल रहे हैं लेकिन चुनाव परिणाम से ठीक एक दिन पहले उनका गुस्‍सा जिस तरीके से रिपब्लिक टीवी की स्‍क्रीन पर आमंत्रित अतिथियों पर निकला है, वह किसी गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट की ओर इशारा करता है।

चुनाव में फर्जीवाड़े के आरोपों पर अर्नब गोस्‍वामी इतना भड़क गए कि अपनी कुर्सी छोड़ कर वे खड़े हो गए और टहलते हुए लगातार बोलने लगे। बिना कॉमा, फुलस्‍टॉप के। क्‍योंकि फलाना फलाना… तो चुनाव फर्जी था? क्‍योंकि ढेकाना ढेकाना… तो चुनाव फर्जी था? सवाल दर सवाल।

और वे जैसे ही कुर्सी छोड़ कर स्‍टूडियो के बीच में आए वे गोल-गोल घूमने लगे और साथ ही कैमरा भी घूमने लगा। जैसे मुग़ल-ए-आज़म में मधुबाला ‘’प्‍यार किया तो डरना क्‍या’’ वाले गीत के आखिरी शॉट में घूमती हैं और कैमरा शीशमहल को दिखाते हुए पैरों की थाप पर घूमता है, ठीक वैसे ही कैमरे और अर्नब की जुगलबंदी शुरू हो गई।

एक बार को यह समझ नहीं आया कि अर्नब चक्‍कर खाकर गिर पड़ेंगे या दर्शक को देख-देख कर चक्‍कर आ जाएगा?

वे घूमते-घूमते डेस्‍क के पास गए और वक्‍ताओं से कहने लगे कि खड़े होकर माफी मांगिए। मने अकेले अपना खड़ा होना और टहलना उन्‍हें काफी नहीं था कि दूसरों को भी कुर्सी से उठाने लगे।

लालू प्रसाद यादव देखते तो कहते कान का नस फट जाएगा, धीरे बोलो। वाकई, अर्नब को इतना हाइपर नहीं होना चाहिए। उन्‍हें किसी मनोचिकित्‍सक के पास जाना चाहिए। वीडियो देखिए और सोचिए क्‍या इस देश के टीवी ऐंकर किसी लाइलाज मनोरोग से ग्रस्‍त हो चुके हैं।


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