एबीपी न्यूज़ टीआरपी चार्ट पर पता नही कितने ऊपर पहुँचा, लेकिन साख के संसार में अब वह एक गिरा हुआ चैनल है। जिस तरह से बीजेपी और उसकी सरकारों को लेकर उसने प्रचार अभियान चला रखा है, वह अपने ही अतीत से पूरी तरह नाता तुड़ाने जैसा है। ज़्यादा दिन नहीं हुए जब एबीपी को तुलनात्मक रूप से संवेदनशील चैनल माना जाता था। संपादकीय में संतुलन था और ख़बर पुख़्ता होने पर वह किसी की भी ‘बजा’देता था।
लेकिन मोदी-योगी युग में वह स्टार नयूज़ से एबीपी में बदली टीम शायद पत्रकारिता का ककहरा ही भूल गई। हालत यह है कि महाराष्ट्र में ‘एबीपी माझा’ को ‘बीजेपी माझा’ बताते हुए सोशल मीडिया में बायकॉट अभियान चल रहा है। एबीपी की यह नई ख़याति इस हद तक हो गई है कि टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप की ऑनलाइन टीम ने बाक़ायदा एक स्पूफ़ जारी किया है।
इस स्पूफ़ में एबीपी को ‘योगी पी’ चैनल के रूप में दिखाया गया है जो यूपी के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़र्राटे गिन रहा है। न्यूज़ रूम में खड़ी सिफ़ारिशी ऐंकर ‘योगी-ता’ खर्राटे बढ़ जाने की ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए ना सिर्फ़ रिपोर्टर बेग़ैरत का लाइव दिखाती है बल्कि चैनल के इनहाउस एक्सपर्ट पराजय विद्रोही से एक्सपर्ट कमेंट भी लेती है जो ‘चुन्नियाँ डाई करने से लेकर गोबर गैस तक’ पर एक्सपर्ट कमेंट दे सकते हैं। (माना जा रहा है कि यह इशारा विजय विद्रोही के लिए है।)
वैसे, यह एक नई घटना है जब ख़ुद टीवी चैनल चलाने वाले किसी समाचार समूह ने डंके की चोट पर किसी दूसरे चैनल का मज़ाक बनाया हो। इस ‘स्पूफ़’ के पीछे न्यूज़ एडिटर नीरज बधवार का दिमाग़ है जो नहीं मानते कि ऐसा करने के पीछे उनकी कोई ख़राब नीयत थी। उन्होंने ‘मीडिया विजिल’ से कहा कि पिछले कुछ दिनों से एबीपी लगातार योगीमय दिख रहा था। यह लोगों के बीच चर्चा का विषय था जिसे उन्होंने एक स्वरूप दे दिया । बहरहाल, सोशल मीडिया पर यह स्पूफ़ वायरल हो रहा है।
वैसे, चैनलों में राजनेताओं का मज़ाक उड़ाने की रवायत पुरानी है। पर ऐसा करते-करते वे वहाँ जा पहुँचे हैं जहाँ लोग सड़क चलते उनका मज़ाक बना रहे हैं। हाँ, इस बीच संपादकों का सालाना पैकेज करोड़ों का हो चला है। कुछ को तो पूरी नींद भी मयस्सर है ! वीडियो देखें–
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