शनिवार 6 मई, 2017 को मीडियाविजिल की ओर से दिल्ली में आयोजित संगोष्ठी में पत्रकार और सामाजिक संगठन रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पत्रकारों को जागरूक करने से बेहतर है कि दमन के क्षेत्रों में समाज को मीडिया के प्रति जागरूक किया जाए।
उन्होंने आज़मगढ़ के संजरपुर का उदाहरण गिनवाया जहां की जनता मीडिया के चरित्र को लेकर इतनी जागरूक हो गई है कि वहां कोई कैमरामैन पहुंचता है तो लोग उससे पूछते हैं कि वो कहां से आया है, क्या करने आया है, इत्यादि और उसके हिसाब से उसे बरतते हैं।
नवादा के दंगे से लेकर बेगुनाह मुसलमान लड़कों को आतंक के मामलों में झूठे तरीके से फंसाए जाने के बारे में विस्तार से अपने अनुभव बताते हुए राजीव ने मीडिया पर कुछ ज़रूरी बातें रखी हैं जिन्हें नीचे दिए वीडियो में देखा जा सकता है। वीडियो नेशनल दस्तक से साभार है।