मोदी के समर्पित वोटर रहे बनारस के डेढ़ लाख पटेलों के बीच NOTA की बात कहां से आ गई?

शिव दास
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बनारस से समाजवादी पार्टी के वरिष्‍ठ नेता और यूपी कैबिनेट में पूर्व मंत्री रहे सुरेंद्र सिंह पटेल पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं। सुरेंद्र पटेल सेवापुरी से विधायक रह चुके हैं और पटेलों (कुर्मी) के बड़े नेता हैं। पटेल समुदाय भाजपा का वोटर माना जाता है। संख्‍याबल के मामले में मुस्लिमों और ब्राह्मणों के बाद यह तीसरे स्‍थान पर आता है और माना जाता है कि इसकी ताकत डेढ़ लाख वोटों की है। ये डेढ़ लाख वोट अगर भाजपा से बिदक गए तो नरेंद्र मोदी की जीत का मार्जिन न केवल काफी कम हो जाएगा बल्कि वे संघर्ष में आ जाएंगे।

अभी की स्थिति यह मानी जा रही है कि अनुप्रिया पटेल के भाजपा के साथ होने के कारण पटेल वोट मोदी को ही जाएंगे लेकिन इसमें दो पेंच फंसे हुए हैं। एक हैं अनुप्रिया की मां कृष्‍णा पटेल जो कांग्रेस के साथ हैं और दूसरे हैं सुरेंद्र पटेल, जिन्‍होंने 29 अप्रैल को बनारस में नामांकन के ठीक अगले दिन 30 को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर के घोषणा कर दी कि वे बनारस में सपा प्रत्‍याशी का प्रचार नहीं करेंगे और नोटा दबाने के लिए मतदाताओं से कहेंगे।

उन्‍हें पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने चार बार बुलाकर बनारस के संबंध में सलाह ली। इन्‍होंने तीन विकल्‍प सुझाए थे और चौथे व अंतिम विकल्‍प के तौर पर अपनी उम्‍मीदवारी सुझायी थी। इसके बजाय पहले सपा ने शालिनी यादव को आधिकारिक उम्‍मीदवार बनाया, फिर तेज बहादुर को यादव को साइकिल पर चढ़ाया और उनका नामांकन निरस्‍त होने के बाद शालिनी यादव ही आखिरी विकल्‍प बची थीं जो नामांकन कर चुकी थीं, तो उन्‍हीं को मैदान थमा दिया गया। सुरेंद्र पटेल के सुझाये तीनों विकल्‍पों के नाकाम हो जाने के बाद उपजी इस उहापोह से वे खासे मोहभंग की स्थिति में आ गए हैं।

सातवें चरण का आधिकारिक स्‍टार प्रचारक होते हुए भी उन्‍होंने पार्टी अध्‍यक्ष से कह दिया है कि वे बनारस में चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। कांग्रेस में जाने की संभावनाओं से भी उन्‍होंने इनकार नहीं किया है, लेकिन कहा है कि वे जीते जी और मरने के बाद भी भाजपा में नहीं जा सकते क्‍योंकि मोदी ने पांच साल में देश को झूठयुक्‍त बना दिया है।

मीडियाविजिल के शिव दास के साथ संक्षिप्‍त बातचीत में सुरेंद्र पटेल ने बनारस के मतदाताओं से 100 फीसदी मतदान करने को कहा और नरेंद्र मोदी के झूठ का पदाफाश करने के लिए नोटा दबाने का आह्वान भी किया।

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