जज ने 15 दिन में अमित शाह को छोड़ दिया ! चार्जशीट के 10 हज़ार पन्ने कब पढ़े ?

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सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़ केस में अमित शाह को अदालत के कठघरे में बुलाने पर ज़ोर देने वाले जज ब्रजमोहन लोया 1 2014 दिसंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में मर गए। 15 दिन बाद जो जज साहब इस केस को सुनने आए, उन्होंने 9 साल से चल रहे केस को (जिसमें दस हज़ार पन्नों की चार्जशीट सीबीआई ने दाख़िल की थी)  महज़ 15 दिन में समझ लिया और फ़ैसला सुना दिया कि अमित शाह को राजनीतिक कारणों से फँसाया गया है।

“ उन्हें इतने पन्ने पढ़ने का मौका कब मिला, हमें नहीं मालूम।  जज लोया के अंतिम संस्कार में शामिल होने बहुत से जज आए थे, सबने कहा कि तुम्हारे दोस्त के साथ धोखा हो गया। हमें तय करना होगा कि हमें कैसा जज चाहिए- ऐसा या फिर लोया जैसा?”

यह सावल लातूर बार एसोसिएशन के एडवोकेट उदय गवारे का है। उदय गवारे 15 जनवरी को दिल्ली में आयोजित उस जनसुनवाई को संबोधित कर रहे थे जो जज लोया की संदिग्ध मौत और लोकतंत्र पर इसके प्रभाव पर आयोजित की गई थी। एआईपीएफ की ओर से आयोजित इस जनसुनवाई को इस केस को कारवाँ पत्रिका के ज़रिए सामने लाने वाले पत्रकार निरंजन टाकले, कारवाँ के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल और सुप्रीम कोर्ट की मशहूर वकील इंदिरा जय सिंह ने भी संबोधित किया। इस संबंध में एक छोटा सा लेकि ज़रूरी वीडियो न्यूज़ क्लिक ने तैयार किया है जिसे हम आभार सहित शेयर कर रहे हैं।


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