अमरेश मिश्र के कई परिचय हैं। पत्रकारिता जगत उन्हें 26/11 को हुए हमले की कॉन्सपिरेसी थियरी का प्रसारक मानता है। अकादमिक और प्रकाशकीय जगत के लिए वे 1857 के गदर के इतिहासकार हैं। राजनीतिक व्यक्तियों के लिए वे कांग्रेस के बौद्धिक प्रतिनिधि हैं। फिल्मी दुनिया उन्हें ‘’बुलेट राजा’’ के पटकथा लेखक के रूप में जानती है। वैसे तो वे उन्नाव के रहने वाले हैं, लेकिन कम लोगों को मालूम है कि अमरेश मिश्र का जन्म बनारस में हुआ था और पढ़ाई इलाहाबाद में हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुराने लोग उन्हें छात्र जीवन में भाकपा (माले) का काडर बताते हैं। इतने विविध परिचयों के धनी अमरेश मिश्रा अपनी टिप्पणियों और राजनीतिक कर्म के लिए दो बार जेल भी जा चुके हैं। उन्होंने उन्नाव मे रहकर पिछले दिनों किसान क्रांति दल और 1857 के नायक मंगल पांडे सेना का गठन किया। वे भारत की आजादी की पहली लड़ाई को किसानों का विद्रोह मानते हैं।
यहीं से हिंदू राष्ट्रवाद का उनका काउंटर-नैरेटिव या प्रत्याख्यान पैदा होता है, जिसे लेकर आजकल वे बनारस में डेरा डाले हुए हैं। उनका ताजा परिचय यह है कि वे नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनारस लोकसभा से प्रत्याशी भी हैं। अमरेश भारत प्रभात पार्टी के बैनर से मोदी और उनकी विचारधारा को चुनौती दे रहे हैं। वे बनारस में विपक्ष के बाकी प्रत्याशियों को डमी मानते हैं और हिंदुत्व के बरअक्स काशी के सनातन मूल्यों का आह्वान कर रहे हैं।
मीडियाविजिल के शिव दास ने अमरेश मिश्र से बनारस से उनके चुनाव लड़ने के कारणों पर लंबी बातचीत की है।