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यह हमने कैसा समाज रच डाला है…?
दिनो दिन बर्बर होती जा रही है राजधानी में कोई सुरक्षित नहीं है ! कवि भी नहीं !
हमारे दौर के चर्चित कवि देवी प्रसाद मिश्र को कल शाम पूर्वी दिल्ली में डीटीसी बस के एक कंडक्टर-ड्राइवर ने पीट दिया। उन्होंने मोदी जी के स्वच्छता अभियान का हवाला देकर उन्हें खुले में पेशाब करने पर टोका था। देवी प्रसाद मिश्र की नाक से ख़ून बह रहा था जब उन्होंने इस घटना का बयान दिया। नीचे पढ़िये कवि और पत्रकार प्रियदर्शन की यह फे़सबुक टिप्पणी और उससे भी नीचे देखिए कवि देवी प्रसाद मिश्र का बयान-
“हिंदी को उसकी कई मार्मिक और मूल्यवान कविताएं देने वाले देवी प्रसाद मिश्र को कल एक बस के कंडक्टर और ड्राइवर ने पीटा- बस इसलिए कि उन्होंने कंडक्टर के खुलेआम पेशाब करने पर एतराज किया और शिकायत की चेतावनी दी। सामान्य समझदारी कहती है, ऐसी चीजों को अनदेखा करना चाहिए। वे भी आंख मूंद कर बढ़ जाते तो सुरक्षित रहते। लेकिन इस सामान्य समझदारी का जो कवच हम हमेशा पहने रहते हैं, वह कभी-कभी दरक जाता है। लिखने और बोलने की आदत प्रतिरोध के लिए मजबूर करती है। लेकिन उसका जो नतीजा होता है, वह देवी प्रसाद मिश्र ने कल रात भुगता। उनके इस वीडियो में ख़ौफ़नाक कुछ भी नहीं है। बस उनकी नाक से निकलता खून जम गया है- बस उनकी आवाज़ बहुत आखिरी में कुछ कांपती और नम हो जाती है।
यह कोई कविता नहीं है, हमारे निष्ठुर समय का वह निरा गद्य है जिसमें संवेदनशीलता अपराध है, प्रतिरोध असहाय और कातर है, अट्टहास करती एक सामूहिक बर्बरता ही सच है, एक कवि की नाक से बहता खून ही यथार्थ है। जिस वक्त रामजस कॅालेज परिसर में कुछ गुंडे पुलिस के मौन संरक्षण में छात्रों और शिक्षकों को पीट रहे थे, उस वक्त पूर्वी दिल्ली के एक हिस्से में एक कवि अपने चेहरे पर घूंसे झेल रहा था। क्या ये दोनों कथाएं आपस में मिलती और कुछ कहती हैं ? “