मंगलवार 3 अक्टूबर को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भव्य परिसर का दस दिन पुराना भयावह सन्नाटा टूटा। छात्राएं अपने घरों से लौट कर हॉस्टल में आईं। विश्वनाथ मंदिर से लेकर तमाम ज्वाइंटों पर छात्र-छात्राओं को एक साथ बात करते और खाते-पीते देखा गया। माहौल सामान्य लग रहा था, लेकिन एक अजीब सा तनाव भीतर ही भीतर बना हुआ था कि आगे क्या होगा। क्या कुलपति के छुट्टी पर चले जाने या महिला के चीफ प्रॉक्टर बनने से कुछ बदलाव आएगा? आंदोलन की आंच से निकले परिसर के कुछ आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं से मौके पर बनारस में मौजूद मीडियाविजिल के कार्यकारी संपादक अभिषेक श्रीवास्तव ने टहलते-फिरते हलकी-फुलकी बातचीत की।