एक पत्रकार का बुनियादी काम है जनहित के मसलों पर सत्ता से सवाल करना और सत्ता में बैठे लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करना। यह बात जाने कितनी बार कही गई होगी और दिन भर में जाने कितनी जगहों पर कितनी बार कही जाती होगी, लेकिन पिछले दो दिन से दुनिया भर में वायरल हो रहे तीन मिनट के एक वीडियो ने इसे एक मौजूं संदर्भ बख्शा है।
भारत में, जहां टीवी चैनलों के आने के बाद से सवाल करने की परंपरा पत्रकारिता में कम होती गई है, ऐसा लगता है कि मानो पत्रकारों का काम केवल नेताओं के बयानों के प्रसारण तक सीमित रह गया है। वे बयान चाहे कितने ही ज़हरीले, असामाजिक व असंवैधानिक क्यों न हों, पत्रकार अपने मंचों पर उन्हें सहर्ष जगह दे देते हैं बगैर यह सोचे हुए कि आखिर इसका परिणाम क्या होगा।
इस संदर्भ में दि गार्डियन के एडिटर-ऐट-लार्ज गैरी यंग का वह वायरल वीडियो देखा जाना चाहिए, जो गुरुवार की रात 10 बजे चैनल 4 पर प्रसारित हुई पौन घंटे की एक डॉक्युमेंट्री का अंश है। यंग की यह डॉक्युमेंट्री अमेरिका में श्वेत लोगों के बीच उभार मार रहे नए किस्म के नस्लवाद की पड़ताल करती है, जिसका प्रतिनिधि चेहरा एक नेता हैं रिचर्ड स्पेंसर। स्पेंसर पिछले दिनों वर्जीनिया प्रांत में हुए एक नस्लभेदी दंगे में शामिल रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। यंग जब स्पेंसर से मिलने जा रहे थे, तो वे उन्हें मंच देने से जुड़े खतरों को भी बखूबी समझ रहे थे। यह इंटरव्यू जुलाई 2017 का है, जिसके कुछ दिनों बाद वर्जीनिया में दंगा भड़का।
इस छोटे से वीडियो में हम पाते हैं कि स्पेंसर की भाषा भारत के हिंदुत्ववादी नेताओं की भाषा के जैसी है। उन्हें राष्ट्र की बहुत चिंता है। उन्हें श्वेतों की बहुत चिंता है। वे यंग से कहते हैं कि यह देश उनका नहीं है। यंग इस पर प्रतिवाद करते हैं। स्पेंसर अश्वेतों को वैसे ही बाहरी मानते हैं जैसे भारत के हिंदुत्ववादी नेता मुसलमानों को ‘गैर’ मानते हैं। यंग ने जिस साहस, विनम्रता और साफ़गोई से स्पेंसर से सवाल किए हैं और उन्हें तीन मिनट में खारिज कर दिया है, क्या ऐसा साहस भारत के पत्रकार दिखा सकते हैं?
इस वीडियो को भारतीय पत्रकारिता के लिए एक सबक के रूप में पत्रकारिता संस्थानों में दिखाया और पढ़ाया जाना चाहिए। दि गार्डियन पर यंग लिखते हैं, ”(स्पेंसर को मंच देने में) जोखिम इस बात का है कि इसे देखने के बाद लोग उनके विचारों से लोग और ज्यादा सहमत होंगे या कम। लेकिन मोटे तौर पर उनका प्रदर्शन और प्रतिक्रिया देखने के बाद हम कह सकते हैं यह जोखिम ऐसा थ जिसे उठाया जाना ठीक रहा।”