रिहाई मंच ने लखनऊ में 28 अक्तूबर की रात मस्जिद के इमाम पर प्राणघातक हमले की कड़ी निंदा करते हुए ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। सृजनयोगी आदियोग और रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने इमाम मौलाना अब्दुल मुकीम से मुलाकात की।रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरह से जेल वाली मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल मुकीम पर रात में ग्यारह बजे मस्जिद के अंदर तलवार से हमला किया गया उससे जाहिर होता है कि इस सरकार में हत्यारों को कानून लागू करने वाली संस्थाओं का कोई भय नहीं है। इससे साफ होता है कि हमलावरों की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सत्ता में पैठ है।
विगत में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जिससे इस तरह का संदेह स्वभाविक है। उन्होंने सहारनपुर में कथित रूप से गोरक्षकों की भीड़ द्वारा शहीद कर दिए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि पुलिस प्रशासन और उत्तर प्रदेश शासन का रवैया उनके प्रति बहुत उदासीन रहा है। सुबोध के हत्यारोपियों की जेल से रिहाई के बाद फूल-मालाओं से स्वागत करते हुए जो जयकारे लगाए गए उस पर योगी आदित्यनाथ की चुप्पी साफ करती है कि यह सब सत्ता संरक्षण में हो रहा है। अपराधियों को गोली से जवाब देने की बात कहने वाले डीजीपी भी अपने इंस्पेक्टर के हत्यारोपियों पर सिर्फ खामोश ही नहीं आजतक भाजयुमो-हिन्दू युवावाहिनी का नाम तक नहीं लिया जिसके पदाधिकारियों ने घटना को अंजाम दिया।
मंच अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ही हत्या के बाद उसकी सही तरीके से विवेचना न करके मुकदमे को कमज़ोर किया और बाद में हत्यारोपियों के खिलाफ उनकी लचर पैरवी के चलते हत्यारोपियों को आसानी से ज़मानत मिलने का मार्ग प्रशस्त किया। वहीं भाजपा गौहत्या के नाम पर कानून अपने हाथ में लेने वालों के पक्ष में खड़ी है। अब हमलावर भीड़ में शामिल और घटना स्थल पर मारे गए सुमित की मूर्ति बनाकर उसे महिमामंडित करने का आपराधिक प्रयास किया जा रहा है लेकिन पुलिस प्रशासन खामोश तमाशाई बना हुआ है। एक बार फिर संदेह होता है कि गोडसे की मूर्ति स्थापित करने वालों के प्रति मौनी बाबा बने रहे प्रशासन को इस घटना से भी कोई आपत्ति नहीं है। इस घटना से आहत दिवंगत इंस्पेक्टर का परिवार सदमे में है। उनके पिता ने आत्महत्या तक करने की चेतावनी दी है लेकिन इसके बावजूद सरकार या प्रशासन को अपने ही शहीद इंस्पेक्टर की इतनी ही चिंता है कि उनकी ओर से उन्हें कोई आश्वासन भी नहीं दिया गया।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि योगी सरकार में सरकार या पुलिस प्रशासन की आलोचना करना अपराध बन गया है। राजधानी के पत्रकार असद रिज़वी पर फर्जी मुकदमे की भर्त्सना करते हुए कहा कि पहले पुलिस की तरफ से उन्हें प्रशासन की आलोचना न करने के लिए चेतावनी दी गई और बाद में पत्रकार धर्म निभाने के अपराध में फर्जी मुकदमा कायम कर दिया गया। मंच महासचिव ने मौलाना अब्दुल मुकीम के हमलावरों को गिरफ्तार करने और पत्रकार असद रिज़वी के खिलाफ कायम मुकदमे को वापस लेने मांग करते हुए कहा कि सरकार शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के परिवार को इंसाफ दिलाए और उनके हत्यारोपियों का महिमामंडन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे।
राजीव यादव ने कहा कि प्रदेश में एनकाउंटर के नाम पर पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक युवाओं की हत्या की जा रही है। उनके परिजन को एफआईआर और मेडिकल रिपोर्ट से वंचित रखकर अदालती कार्रवाइयों से रोकने का प्रयास किया जा रहा है जिससे वे सदमे का शिकार हो रहे हैं। आज़मगढ़ के जयहिंद यादव जिन्हें पुलिस ने कथित एनकाउंटर में मारा था जिसकी मानवाधिकार आयोग जांच कर रहा है, के पिता शिवपूजन यादव का अवसाद और सदमे से देहान्त हो गया। लेकिन मॉबलिंचिंग करने वालों और गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के प्रति कोई कठोरता दिखाई नहीं देती बल्कि उसके बरअक्स उन घटनाओं की विवेचना से लेकर अदालती पैरवी इतनी लचर की जाती है कि अपराधी आसानी से कानून के शिकंजे से बाहर आ जाएं। उन्होंने कहा कि इतने पर बस नहीं किया जाता बल्कि उनके जयकारे लगाए जाते हैं और प्रशासन हत्यारोपियों के जयकारों पर मूक दर्शक बने रहने को ही तरजीह देता है।
विज्ञप्ति : रिहाई मंच द्वारा जारी