15 सितंबर को लखनऊ के जालौन में महात्मा गांधी की प्रतिमा को तोड़ने वालों को गिरफ़्तार कर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए गाँधी प्रातिमा जीपीओ, हजरतगंज पर प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शन में गांधी-अम्बेडकर का अपमान नहीं सहेगा हिन्दोस्तान, राष्ट्रपिता की प्रतिमा तोड़ने वाले देशद्रोहियों को जेल भेजो, बाबा-ए-कौम गांधी का अपमान नहीं सहेगा हिन्दोस्तान, बाबा-ए-कौम का अहसान नहीं भूलेगा हिन्दोस्तान जैसे नारे लगे.
वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति को तोड़ने वाले लोग हारी हुई मानसिकता से ग्रषित लोग हैं. ऐसा कृत्य करने वाले लोग वाद संवाद में विश्वास नहीं रखते उन्हें सिर्फ हिंसा के माध्यम से अपने विचारों को थोपना आता है. गोडसे के वारिसों को यह जान लेना चाहिए कि गोडसे ने राष्ट्रपिता की हत्या वर्षों पहले की लेकिन उनके विचार आज ही नहीं सदियों तक जिंदा रहेंगे. वक्ताओं ने कहा कि मोदी-योगी सरकार के संरक्षण में आए दिन अम्बेडकर और गांधी की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है अगर सरकार अलीगढ़ में राष्ट्रपिता के पुतले पर गोली चलाने वालों के खिलाफ़ कार्रवाई करती तो आज गोडसे के वारिसों की हिम्मत नहीं होती कि वह राष्ट्रपिता की मूर्ती तोड़ें.
धरने में मुख्य रूप से सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के नेता पन्नालाल सुराना, मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित डा. संदीप पाण्डेय, रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब, राजीव यादव, सृजनयोगी अदियोग, शकील कुरैशी, रॉबिन वर्मा, प्रदीप पाण्डेय, अवध विकास मंच अध्यक्ष शम्स तबरेज़, मुर्तज़ा अली, मोहम्मद अफाक, फ़हीम सिद्दीकी, शरद पटेल, अभिभावक मंच से रवीन्द्र, अभ्युदय, प्रवीण श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।