उत्तर प्रदेश के ललितपुर में रूह कंपा देने वाला एक मामला है, जो आपका क़ानून व्यवस्था पर भरोसा ही हिला देगा। ललितपुर में एक थाने के अंदर, शिकायत कराने गई, नाबालिग रेप पीड़िता के साथ ही पुलिसकर्मी पर रेप का आरोप लगा है। इस मामले में फिलहाल शुरुआती कार्रवाई हुई है, जिसमें एडीजी कानपुर जोन ने पाली थाने के सभी पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है। इसके अलावा आरोपी इंस्पेक्टर सस्पेंड करते हुए, झांसी रेंज के डीआईजी से 24 घंटे में इस मामले पर पूरी रिपोर्ट मांगी गई है।
इस एक्शन के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से ये ही कहा गया है कि ये रिपोर्ट आने के बाद पुलिसकर्मियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि सख़्त क़ानूनी कार्रवाई क्या हो सकती है, इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। क्योंकि अगर इस पर आई रिपोर्ट में, इन आरोपों को लेकर पुष्टि होती है तो जिन धाराओं में मुक़दमा दर्ज होना चाहिए – उनमें तो पहले ही आरोपी इंस्पेक्टर पर केस दर्ज किए जा चुके हैं। लेकिन इस मामले में थाने के बाकी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई होगी, क्योंकि ये संभव नहीं है कि उनको इस बारे में जानकारी न हो।
मामला क्या है?
ललितपुर जिले के पाली थाने के इंचार्ज समेत, 6 लोगों पर एक 13 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप का आरोप लगा है। एसपी निखिल पाठक के मुताबिक, पाली थाना क्षेत्र में आने वाले एक इलाके की रहने वाली इस 13 वर्षीय लड़की को उसके ही गांव के 4 लड़के, 22 अप्रैल, 2022 को धोखे से, बहला-फुसलाकर भोपाल ले गये। भोपाल में इन लड़कों ने, उसके साथ तीन दिन तक, गैंगरेप किया। इसके बाद इन चार आरोपियों ने इस बच्ची को पाली थाने में पहुंचाया और लड़की को थाना इंचार्ज को सौंप कर, ख़ुद फ़रार हो गये थे-जो अपने आप में संदेहास्पद मालूम होता है। इसके बाद, पाली थाने के इंचार्ज ने पीड़ित को उसकी रिश्तेदार के साथ चाइल्ड लाइन भेजा। लेकिन दो दिन बाद उसे थाने में बुलाया गया और आरोपों के मुताबिक पाली थाना इंचार्ज ने बयान लेने के बहाने इस नाबालिग लड़की को एक कमरे में ले जाकर इसके साथ रेप किया।
पुलिस की कार्रवाई?
इस मामले में चाइल्ड लाइन पर शिकायत हुई और एसपी ने सभी आरोपियों पर नाबालिग के साथ गैंगरेप, पोस्को, SC /ST एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा कर, पाली थाना इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया गया। पाली थाना इंचार्ज तिलक धारी सरोज सहित 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करावाया था. ख़बर लिखे जाने तक, 6 आरोपियों में से पुलिस ने अभी एक ही गिरफ्तारी बताई थी और पूरा पाली थाना, जांच पूरी होने तक लाइन हाज़िर कर दिया गया था।
उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार, दोनों ही राज्य को पिछले 5 साल से अपराध मुक्त कर देने, अपराधियों के हौसले तोड़ देने का दावा कर रहे हैं। लेकिन इस मामले में सारी हदें पार होती दिखी हैं, जहां अब आम नागरिक ये सोचने पर मजबूर है कि आख़िर वो थाने में भी अपने साथ हुए अपराध और हिंसा की शिकायत करने जा सकता है कि नहीं। विपक्ष की ओर से इस बात को लेकर, यूपी सरकार पर हमला शुरू हो गया है। हालांकि अभी भी भयमुक्त और अपराध मुक्त यूपी के पोस्टर, इन थानों के बाहर भी लगे हुए हैं।