उत्तर प्रदेश: बाढ़ का रौद्र रूप मचा रहा है तबाही, 21 ज़िले प्रभावित


अगस्त का महीना मानो तबाही साथ लगाया है। कहीं लोग बढ़ते पानी में गिर कर अपनी जान गवा रहे हैं। कहीं गाड़ियां बही जा रही हैं, तो कहीं घर की छतों पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। सिर्फ यूपी में भी जल आपदा नही बल्कि इस समय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, ओडिशा और बंगाल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से तबाही मची हुई है।


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उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर लोगों पर परेशानियों का सबब बन कर बरपा है। राज्य के कई शहरो में गंगा, यमुना का जल लोगों के घरों में घुस चुका हैं। कई गांव तो ऐसे हैं जहां से संपर्क भी टूट गया है। गंगा अपने कदम बढ़ाते हुए राज्य के 21 जिलों के 357 गांव को बाढ़ से प्रभावित कर चुकी है। इनमे हमीरपुर, जालौन और बुंदेलखंड सबसे अधिक प्रभावित हैं। बंदायू, गाजीपुर, प्रयागराज और बलिया में खतरे के निशान से ऊपर पानी बह रहा हैै।

वाराणसी में लोग पलायन हो मजबूर..

जबकि यूपी के वाराणसी में पानी खतरे के निशान के पास पहुंच चुकी है। उत्तर से लेकर दक्षिण बनारस तक 12 हजार से अधिक घर बाढ़ के कारण प्रभावित हैं। वरुणा क्षेत्र में बड़ी संख्या में बाढ़ ग्रस्त लोग पलायन हो मजबूर हो गए हैं। जलस्तर बढ़ने के कारण एक तरफ तो शहरी कॉलोनियों में पानी घुसने लगा है, वहीं दूसरी ओर गलियों में नाव चलनी शुरू हो गई हैं। नदी का पानी तेज़ी से बड़ रहा है।

  • चेतावनी बिंदु-70.26 मीटर
  • खतरे का निशान-71.26 मीटर
  • सोमवार सुबह पूर्वानुमान- 71.22 मीटर है

जल पुलिस ने गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए गंगा में निगरानी बढ़ा दी गई है। वाराणसी में आधा दर्जन से अधिक बाढ़ राहत शिविरों में कहीं व्यवस्था हाईफाई मिल रही है तो, कही पीड़ितों को ठीक से भोजन और दवाई नहीं मिल रही है।

 

इटावा का भी हाल बुरा..

यूपी के इटावा का हाल भी बाढ़ के पानी से बेहाल हो गया है प्रशासन के मुताबिक यमुना में आई बाढ़ से अजीतमल और औरैया तहसील के 24 गांव प्रभावित हैं ।

कानपुर में भी नाव का सहारा..

कानपुर का बांदा मार्ग बाढ़ से प्रभावित है। यमुना की सहायक नोन और ससुर खदेरी नदी भी उफान पर हैं। दोनों नदियों पर बने पुल बाढ़ में डूब चुके हैं। जिससे यातायात बुरी तरह से प्रभावित है और वाहनों का आवागमन बंद हो गया है। लोगों को आवागमन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा हैं।

मिर्ज़ापुर खेत-खलिहान और घरों में पानी..

मिर्ज़ापुर में भी बाढ़ लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। खेत-खलिहान और घरों में पानी घुस गया है। शहर के प्रमुख घाट पूर्ण रूप से डूब चुके ।

गाज़ीपुर में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर..

वहीं गाज़ीपुर जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों में पानी घुस चुका है। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है जिस कारण तटवर्ती इलाकों के लोग दहशत में हैं।

बलिया में भी निशान पार कर 2 मीटर ऊपर..

यूपी के बलिया में गंगा खतरा का निशान पार कर 2 मीटर ऊपर बह रही है। हालांकि अभी बाढ़ से कोई नुकसान नहीं हुआ है, पर बाढ़ वाले इलाके में बसे कुछ गांव प्रभावित जरूर है, अभी तक कुल 15 गांव प्रभावित हैं और 200 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

 

गंगा और यमुना दोनों का जलस्तर खतरे के निशान पार..

प्रयागराज का हाल भी कुछ ऐसा ही है। गंगा और यमुना दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। जिससे शहर के कई बाढ़ से प्रभावित हैं।

  • फाफामऊ – सोमवार सुबह गंगा का जलस्तर 85.08 मीटर
  • छतनाग – 84.29 मीटर
  • यमुना – नैनी में जल स्तर 84.90 मीटर

बाढ़ में डूबी शहरों की पूरी व्यवस्था..

अगस्त का महीना मानो तबाही साथ लगाया है। कहीं लोग बढ़ते पानी में गिर कर अपनी जान गवा रहे हैं। कहीं गाड़ियां बही जा रही हैं, तो कहीं घर की छतों पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। सिर्फ यूपी में भी जल आपदा नही बल्कि इस समय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, ओडिशा और बंगाल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से तबाही मची हुई है। उत्तर भारत और पूर्व के कई राज्यों में सड़कों पर भरे पानी में आधे डूबी लोग और वाहन इस बात ही गवाही दे रहे हैं कि बाढ़ ने शहरों की पूरी व्यवस्था को डुबो दिया है। महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचा रखी है और उत्तर प्रदेश का हाल तो आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं। यूपी के दर्जनों जिले बाढ़ की चपेट में हैं।


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