कांग्रेस ने तो संकेत दे दिया कि दरवाज़े खुले हैं, क्या आज़म खान जाएंगे?

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उत्तर प्रदेश Published On :


क्या कांग्रेस आज़म खान पर डोरे डाल रही है? प्रदेश कांग्रेस कमिटी के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम के बयान को देखें तो लगता है कि कांग्रेस का नया नया प्रेम और सहानुभूति आज़म के प्रति उमड़ी है। आज़म की टेक लेकर कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन आलम ने अखिलेश यादव की खूब आलोचना की है।

मामला आज़म खान के बहनोई ज़मीर खान के बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने बताया था कि आज़म ने उनसे मुलाक़ात में कहा था कि समाजवादी पार्टी ने इस बुरे दौर में उनसे किनारा कर लिया है। बात कही आज़म ने अपने बहनोई से, शिकायत की गयी समाजवादी पार्टी की, लेकिन इस निजी संवाद में कूद पड़ी है कांग्रेस, जिसने अखिलेश यादव से इस बाबत स्पष्टीकरण मांग लिया है।

कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने दो दिन पहले दिलचस्प बयान दिया कि आजम खान ने अपने साले ज़मीर खान से सपा द्वारा किनाराकशी की जो बात कही है उससे मुस्लिम समाज बहुत पहले से वाकिफ़ था। आज बस इतना हुआ है कि आज़म खान ने मुसलमानों के दिल की बात कह दी है। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज़म खान ने सपा की जिस तरह पिछले तीन दशक से सेवा की वैसी किसी दूसरे सपा नेता ने नहीं की लेकिन सपा ने आज योगी सरकार द्वारा साम्प्रदायिक द्वेष के कारण फ़र्ज़ी मुक़दमों में जेल भेज दिए जाने के बावजूद उनको अकेला छोड़ दिया है जो सिर्फ़ दुखद ही नहीं बल्कि मुसलमानों के साथ धोखा है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज़म खान को 30 साल की सेवा का ऐसा इनाम देकर सपा ने साफ कर दिया है कि वो मुसलमानों से केवल वोट लेना जानती है, उनके साथ खड़ा होना नहीं जानती। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को समझ लेना चाहिए कि जब सपा आज़म खान जैसे अपने बड़े नेताओं के साथ नहीं खड़ी हो सकती तो वो फ़र्ज़ी मुक़दमों में फंसाये जाने वाले आम मुसलमानों के साथ कैसे खड़ी हो सकती है।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले आलम ने अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आज़मगढ़ के बिलरियागंज में मुस्लिम महिलाओं के बर्बर दमन के बावजूद यादव के वहां न पहुंचने को लेकर बयान दिया था और समाजवादी पाटी को हिंदुत्व की सेवा करने वाली पार्टी कहा था। अब उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के चेहरे आज़म खान के बहाने आलम ने इसी बात को दुहराया है कि अखिलेश अपनी मुस्लिम विरोधी मानसिकता के कारण अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं गए जबकि वहां जिनपर योगी की पुलिस ने नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध करने पर बर्बर दमन किया था।

लगता है कांग्रेस ने इसी कहाने आज़म खान को संकेत दे दिया है कि उसके दरवाज़े आज़म के लिए खुले हैं। सौ टके का सवाल ये है कि क्या आज़म तीस बरस पुरानी राह छोड़कर कांग्रेस की शरण में जाएंगे?


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