भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ यहां घंटाघर (चौक) में चल रहे महिलाओं के शांतिपूर्ण धरने से शनिवार को आठ व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और आंदोलन समर्थकों के विरुद्ध फिर से एफआईआर दर्ज करने की कड़ी निंदा की है।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को एक बयान जारी कर जेल भेजे गये आंदोलनकारियों की रिहाई और मुकदमे वापस लेने की मांग की। उन्होंने इसे नागरिक अधिकारों पर हमला बताया और इसे रोकने की मांग की। कहा कि सीएए-एनआरसी-एनपीआर के विरोध में और नागरिकता, संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए 30 जनवरी को, जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या हिंदू राष्ट्रवादियों ने कर दी थी, भाकपा (माले) प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित करेगी।
इस बीच, माले नेता ने कहा कि सीएए-विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा की न्यायिक जांच की मांग पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए सोमवार को जो निर्देश जारी किये, वे योगी सरकार के लिए झटका हैं। आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने से हकीकत उजागर होगी, जिसे सरकार अब तक छुपाये थी।