ऐपवा नेता जीरा भारती पर हमले के खिलाफ माले का प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने अपनी प्रदेश कमेटी की सदस्य व ऐपवा नेता जीरा भारती पर मिर्जापुर में हुए जानलेवा यौन हमले के खिलाफ शनिवार को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के माध्यम से पार्टी ने हमलावरों को अतिशीघ्र गिरफ्तार करने, महिला व दलित उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्रवाई कर न्याय दिलाने, दबंगों-अपराधियों को सत्ता-संरक्षण पर रोक लगाने, लोकतांत्रिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे हटाने और पुलिस उत्पीड़न रोकने की मांग की। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए हर जिले में पार्टी नेताओं ने विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा।

राजधानी लखनऊ में लालकुआं पार्टी कार्यालय, चिनहट, इंदिरानगर, गोमतीनगर, आशियाना व अलीगंज में माले कायकर्ताओं ने घरों से विरोध प्रदर्शन किया। बाद में पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रभारी रमेश सेंगर के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट में सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया।

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि योगी सरकार में कानून-व्यवस्था के नाम पर दबंगों-माफिया-अपराधियों को खुली छूट दे रखी है, जिससे वे बेखौफ होकर दलितों, महिलाओं और कमजोर वर्गों पर जुल्म कर रहे हैं। मिर्जापुर में गरीबों की आवाज, संघर्षशील दलित महिला, लोकप्रिय माले नेता व पूर्व लोकसभा प्रत्याशी जीरा भारती पर सामंती लम्पटों ने गत एक जुलाई को घर लौटते समय रास्ता रोक कर जानलेवा हमला किया और उनके निजी अंगों पर लात मारी। गंभीर रूप से चोटिल अवस्था में भी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुश्री भारती को नाकों चने चबाने पड़े, क्योंकि हमलावरों के दबाव में पुलिस उन्हें टरकाती रही और कार्रवाई के बजाय मामले पर दिनभर लीपापोती करने का प्रयास करती रही। जनदबाव में अगले दिन देर शाम एफआईआर दर्ज हुई, हालांकि घटना के तीसरे दिन तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। सुश्री भारती की गंभीर चोटों की जांच व इलाज के लिए मिर्जापुर अस्पताल प्रशासन ने वाराणसी रेफर किया है।

नेताओं ने कहा कि इसी तरह, चंदौली के चकिया में गत 30 जून को भाकपा (माले) व खेत मजदूरों के नेता कामरेड विदेशी के घर पर चढ़कर पत्नी व परिवार की महिलाओं पर शरीरिक हमला करने की घटना में मुख्य अभियुक्त जिला पंचायत सदस्य महेंद्र राव को पुलिस बचा रही है। पुलिस ने मुख्य अभियुक्त का नाम एफआईआर में शामिल ही नहीं किया और उसके इशारे पर दबाव बनाने के लिए पीड़ित परिवार के खिलाफ भी फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया।

वक्ताओं ने कहा कि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग कर सरकार की नीतियों का शांतिपूर्ण विरोध करने पर भी वामपंथी कार्यकर्ताओं और अन्य एक्टिविस्टों पर पुलिस द्वारा मुकदमे कायम किये गए हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। माले नेताओं पर हाल में ऐसे मुकदमे लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद, प्रयागराज व अयोध्या में पुलिस द्वारा दर्ज किये गए हैं। वक्ताओं ने आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी मुकदमों को निरस्त करने की अपील की।

प्रदेशव्यापी आह्वान पर विरोध प्रदर्शन लखनऊ के अलावा मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, गोरखपुर, देवरिया, प्रयागराज, रायबरेली, अयोध्या, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मथुरा आदि जिलों में हुआ। राज्य सचिव सुधाकर यादव ने वाराणसी में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और इलाज के लिए पुलिस देखरेख में वहां पहुंचीं सुश्री भारती से मुलाकात की।

 

आयुषी सिंह की आत्महत्या सरकार की संवेदनहीनता का परिणाम- वर्कर्स फ्रंट

आशा ज्योति महिला हेल्पलाइन 181 में कार्यरत आयुषी सिंह की आत्महत्या के बाद प्रशासन जागा है। अपर श्रमायुक्त लखनऊ ने आयुषी सिंह के परिवार को 8 लाख 15 हजार 4 सौ का मुआवजा देने व एक सप्ताह में सभी कर्मियों को वेतन भुगतान करने का आदेश दिया है।

आत्महत्या की घटना संज्ञान में आने के बाद वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर के नेतृत्व में आशा ज्योति में काम करने वाली रूचि और दिव्या ने अपर श्रमायुक्त से मुलाकात कर पत्र दिया। जिसके बाद अपर श्रमायुक्त ने सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके को आशा ज्योति में काम करने वाली सभी महिलाओं महिला कर्मचारियों को एक सप्ताह के अंदर समस्त बकाए वेतन का भुगतान कर अभिलेखों के साथ तलब किया है साथ ही उन्होंने उन्नाव में कार्यरत सेवा वूमेन हेल्पलाइन वर्कर आयुषी सिंह के परिजनों को 814400 रुपए मुआवजा देने का निर्देश भी दिया है।

आशा ज्योति महिला हेल्पलाइन 181 की उन्नाव में कार्यरत कर्मचारी आयुषी सिंह की आत्महत्या पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने इसे सरकार की संवेदनहीनता का परिणाम कहा।

उन्होंने कहा की मोदी जी द्वारा जिस माडल को देश के लिए अनुकरणीय बताया जा रहा है, उत्तर प्रदेश की सरकार चलाने का वह योगी मॉडल एक विफल माडल साबित हुआ है महिला कर्मचारियों को इस सरकार में ग्यारह महीने से काम कराकर वेतन का भुगतान नहीं किया गया और पिछले जून माह में उन्हें नौकरी से हटाने का आदेश थमा दिया गया। परिणामस्वरूप आशा ज्योति वूमेन हेल्पलाइन में काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं बेहद संकट के दौर से गुजर रही हैं और उन्हें जीवन चलाना कठिन हो गया है। कोविड-19 के इस दौर में नौकरी से निकालने का आदेश तो उनके लिए व्रजपात से कम नहीं है।

महिलाओं को घरेलू हिंसा, बलात्कार व अन्य प्रकार के उत्पीड़न से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा  चलाई जा रही इस आशा ज्योति वूमेन हेल्पलाइन में कार्यरत आयुषी के साथ काम करने वाली उन्नाव की सलमा ने बताया कि किराए के अभाव में एक तारीख को उन लोगों को अपना कमरा खाली करना पड़ा था और कल जब अपर श्रमायुक्त लखनऊ द्वारा नौकरी से नहीं निकालने का निर्देश दिया। तो इसे लेकर वह जिला प्रोबेशन अधिकारी उन्नाव से मिली थी। जिन्होंने इसे मानने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप आयुषी जबरदस्त अवसाद में चली गई थी और शायद यह भी एक वजह हो सकती है जिसके कारण उसने आत्महत्या की।

सलमा ने बताया कि आयुषी का पति विक्रम सिंह बेहद बीमार और बेरोजगार था और उसकी 5 साल की लड़की थी। इसको लेकर वह चिंतित रहती थी लेकिन ऐसी दुर्घटना हो जाएगी इसकी कल्पना हम लोगों ने नहीं की। आयुषी के पिता सुरेंद्र सिंह ने भी अपने पत्र में यह कहा है कि वेतन न मिलने से और नौकरी से निकालने का नोटिस मिलने से वह और तनाव में चली गई थी।


 


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