प्रयागराज के बसवार गांव में अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा व ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के बैनर तले विशाल सभा हुई, जिसमें महिलाओं समेत हजारों बालू मजदूरों व किसानों ने भाग लिया। इस रैली के जरिये लोगों ने खेती के तीन कानून, बिजली बिल 2020 तथा जमुना नदी में नाव से बालू खनन करने पर रोक के 24 जून 2019 के आदेश को वापस लेने तथा सभी फसलों का एमएसपी का नया कानून बनाने के लिए आवाज बुलंद की।
सभा को संबोधित करते हुए ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ व किरती किसान यूनियन पंजाब के नेता जतिन्द्र सिंह ने कहा कि देश भर में खेती की जमीन, खेती के प्रारूप व मंडियों को कॉरपोरेट से बचाने का आन्दोलन चल रहा है, जिसके तहत दो लाख से ज्यादा किसानों ने देश की राजधानी को घेरा हुआ है। आपकी नदी में मजदूरों के काम को बचाने की लड़ाई भी इसी संघर्ष का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि ये कानून कम्पनियों को खेती से मुनाफा कमाने के लिए मंडियों में खरीद की छूट, जमाखोरी की छूट, कालाबाजारी की छूट देते है और अनाज व दाल के दाम डेढ़ गुना तक बढ़ाने छूट देते है। उन्होंने कहा कि पूरे पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान मजबूती के साथ लंबे समय के लिए इस आंदोलन को लड़ने के लिए दिल्ली में बैठे हैं। आपको भी इसी तरह के आंदोलन यहां पर विकसित करने चाहिए।
एआईकेएमएस महासचिव डा आशीष मित्तल ने कहा कि मोदी सरकार कॉरपोरेट का संकट हल करने के लिए गरीबों से उनके जीवन के संसाधन छीन रही है और मुनाफा कमाने के लिए उन्हें कॉरपोरेट के हवाले करना चाहती है। देश में विदेशी कंपनियों की लूट को बढ़ावा दिया जा रहा है। बैंक बीमा और तमाम सरकारी क्षेत्र में इन कंपनियों को सरकार बढ़ावा दे रही है और अब किसानों की जमीन, नदी और जीविका छीनने पर उतारू है। इसीलिए मोदी जी देश के किसानों को परजीवी कहते हैं और विदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने को आत्म निर्भरता बताते हैं।
सभा को संबोधित करते हुए किसान पार्टी के डॉक्टर बी एल वर्मा ने लोगों को पूर्वी उत्तर प्रदेश में लड़ाइयां संगठित की अपील की। वक्ताओं में सुरेश निषाद, वंदना निषाद, विनोद निषाद, करण निषाद, रामू निषाद, चंद्रावती निषाद, आदि शामिल थे। संचालन हीरालाल और अध्यक्षता राम कैलाश कुशवाहा ने किया।