भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने योगी शासन में आदिवासियों की हत्या, दलितों पर हमले की बढ़ रही घटनाओं, वामपंथी कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न और सीएए-विरोधी आंदोलनकारियों पर दमन के खिलाफ शनिवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन किया। शारीरिक दूरी समेत कोविड-19 से बचाव के मानदंडों का पालन करते हुए यह विरोध प्रदर्शन घरों, पार्टी कार्यालयों, गांवों और कार्यस्थलों पर किया गया।
राजधानी लखनऊ में माले कार्यकर्ताओं ने लालकुआं स्थित पार्टी कार्यालय, बख्शी का तालाब, मड़ियांव और गोमती नगर में प्रदर्शन कर प्रतिवाद व्यक्त किया। लखनऊ के अलावा, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, भदोही, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, देवरिया, रायबरेली, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, गोंडा, मथुरा और बिजनौर में भी प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांगपत्र भेजे गए।
इस मौके पर भाकपा माले नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के शासन में लॉकडाउन के दौरान आदिवासियों, दलितों और कमजोर वर्गों पर हमले की घटनाएं बढ़ गई हैं। सोनभद्र के दुद्धी में अवैध खनन का विरोध करने के कारण बीते तीन सप्ताह के भीतर दो-दो आदिवासियों रामसुंदर गोंड़ व गोरख गोंड़ की हत्या हो गयी। लेकिन हत्या को अंजाम देनेवाला खनन माफिया पुलिस की पकड़ से बाहर है। यही नहीं, हत्यारों को जेल भेजने की मांग करने वाले ग्रामीणों को मुंह बन्द रखने की धमकियां मिल रही हैं।
नेताओं ने कहा कि योगी राज में सामंती दबंगों-अपराधियों के बढ़े हौसले के कारण दलित उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। मुख्यमंत्री के जिले गोरखपुर में गगहा थानाक्षेत्र के पोखरी गांव में बीते 12 जून को दलित टोले पर हथियारबंद हमला कर आधा दर्जन दलितों को गंभीर रूप से घायल करने वाले सामंती ठाकुर हमलावर नामजद होने के बावजूद गिरफ्तार नहीं किये गए हैं। इसी तरह, आजमगढ़ में गंभीरपुर थानाक्षेत्र के तियरी व उबारपुर गांवों और सीतापुर में हरगांव थानाक्षेत्र के लालपुर में दलितों पर हिंसक हमले के आरोपी सत्ता संरक्षण में आजाद हैं।
लखनऊ के हरदासी खेड़ा में बीते 15 जून को मजदूर परिवार की रिहाइशी झोंपड़ी कब्जा कर भाजपा कार्यालय खोलने वाले भाजपाइयों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि इसका विरोध करने वाले परिवार की महिलाओं के खिलाफ ही मुकदमा पंजीकृत कर दिया।
प्रतापगढ़ में पटेल किसानों पर पुलिस के साथ मिलकर हमला करने वाले सामंती ब्राह्मण हमलावरों को बचाने के लिए पीड़ित किसानों को ही जेल भेज दिया गया और जब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने दबाव बनाया, तब जाकर हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई। इस पर योगी सरकार के एक मंत्री ने हमलावरों का बेशर्मीभरा बचाव करते हुए आयोग को अपनी कार्रवाई रोकने के लिए पत्र तक लिख डाला।
माले नेताओं ने कहा कि लखीमपुर खीरी में खनन माफिया के खिलाफ ज्ञापन देने पर माले के किसान नेता कमलेश राय समेत प्रतिनिधिमंडल को ही गिरफ्तार करवा कर जेल भेज दिया गया। मिर्जापुर में माले नेता भक्तप्रकाश श्रीवास्तव पर भाजपा नेता के इशारे पर हमला हुआ और पुलिस ने एफआईआर पीड़ित माले नेता के खिलाफ ही लिख दी। इसी तरह मुरादाबाद, अयोध्या में भी प्रवासी मजदूरों के पक्ष में आवाज उठाने के कारण माले नेताओं पर फर्जी मुकदमे पुलिस द्वारा कायम कर दिये गए।
वक्ताओं ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून की वापसी के लिए शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने और आंदोलन को समर्थन देने के लिए कई छात्र-युवाओं, महिलाओं, संस्कृतिकर्मियों, मानवाधिकारवादियों, बुद्धिजीवियों व समाजसेवियों के खिलाफ राजधानी के ठाकुरगंज थाने से लेकर अन्य जगहों पर मुकदमे कायम किये गए हैं। हाल-फिलहाल लॉकडाउन में ढील के साथ ही, इन आंदोलनकारियों, खासकर आंदोलन की अगुवा महिलाओं को नोटिसें जारी कर थाने बुलवाने और उनका पुनः उत्पीड़न करने की कार्रवाई पुलिस द्वारा शुरू की गई है। प्रतिपूर्ति के नाम पर कई जाने-माने समाजसेवियों से वसूली का भी नोटिस योगी सरकार द्वारा जारी किया गया है। यह शांतिपूर्ण विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला, दमनात्मक और बदले की कार्रवाई है। इसे फौरन रोका जाना चाहिए।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने वाराणसी में प्रदर्शन का नेतृत्व किया। लखनऊ में राज्य स्थायी समिति सदस्य रमेश सेंगर, राज्य समिति सदस्य राधेश्याम मौर्य व मीना, सोनभद्र में माले नेता शशिकांत कुशवाहा व सुरेश कोल, मिर्जापुर में खेत मजदूर सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जीरा भारती, चंदौली में जिला सचिव अनिल पासवान, गाजीपुर में केंद्रीय समिति सदस्य ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा व जिला सचिव रामप्यारे, आजमगढ़ में वरिष्ठ माले नेता जयप्रकाश नारायण व ओमप्रकाश सिंह, मऊ में वसंत कुमार, गोरखपुर में राजेश साहनी व राकेश सिंह, देवरिया में शशिकांत कुशवाहा व प्रेमलता पांडेय, इलाहाबाद में डा. कमल उसरी व सुनील मौर्य, लखीमपुर खीरी में केंद्रीय समिति सदस्य कृष्णा अधिकारी व आरती राय, सीतापुर में अर्जुनलाल, अयोध्या में अतीक अहमद, गोंडा में मो. जमाल, रायबरेली में विजय विद्रोही, मथुरा में राज्य समिति सदस्य नसीर शाह व बिजनौर में तालिब चौधरी ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
मुख्यमंत्री को भेजे गए मांगपत्र में सोनभद्र के दोहरे आदिवासी हत्याकांड की न्यायिक जांच, हत्यारों की गिरफ्तारी, मृतकों के परिजनों को बीस-बीस लाख रुपये की आर्थिक सहायता, दलित उत्पीड़न की घटनाओं में हमलावरों की गिरफ्तारी, माले नेताओं और सीएए-विरोधी एक्टिविस्टों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने और उनका उत्पीड़न रोकने की मांग की गई।
भाकपा-माले राज्य सचिव, अरुण कुमार द्वारा जारी विज्ञप्ति पर आधारित