लखनऊ, 19 फरवरी। भाकपा (माले) के दो सदस्यीय जांच दल ने शुक्रवार को उन्नाव के असोहा थानांतर्गत बबुरहा गांव का दौरा कर उस पीड़ित दलित परिवार से भेंट की, जिसकी तीन नाबालिग बेटियां बुधवार देर शाम निकट के खेत में पड़ी मिली थीं और जिनमें से दो की मौत हो गई थी जबकि तीसरी गंभीर हालत में कानपुर के अस्पताल में भर्ती है।
जांच दल ने उन्नाव से लौटकर आज लखनऊ में अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए में कहा कि घटना संदिग्ध है और सब कुछ वैसा ही नहीं है, जैसा शासन-प्रशासन की ओर से बताया जा रहा है। लिहाजा पूरे मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए, ताकि सच सामने आए। इसके पहले, जांच टीम के सदस्यों ने मृतका की मां और पिता से उनके घर पर, पास-पड़ोस के परिवारों व गांव के अन्य लोगों से बात की।
टीम की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन घटना को लेकर कुछ तो पर्देदारी कर रहा है। टीम को पीड़ित परिवार तक पहुंचने के लिए भारी पुलिस बंदोबस्त, बैरिकेडिंग, रोकटोक व कई रास्तों से पुलिस द्वारा लौटा दिए जाने के बाद अंततः खेतों से होकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचने का विकल्प चुनना पड़ा। परिवार के सदस्यों पर पुलिस की कड़ी नजर है। पिता सहमे हुए मिले और पुलिस के डर से बोल नहीं पा रहे थे। मां का रो-रो कर बुरा हाल है और वह घटना को लेकर पुलिस की बात से असहमत दिखीं। गांव के कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बच्चियों के साथ कुछ वैसा हुआ है, जिसे प्रशासन द्वारा सामने नहीं लाया जा रहा है।
रिपोर्ट में सवाल किया गया है कि आखिर योगी सरकार ने क्या छुपाने के लिए गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया है? लोगों को गांव में घुसने देने और पीड़ित परिवार से मिलने देने से पुलिस क्यों रोक रही है? जांच दल ने घटना के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि भाजपा सरकार में महिलाएं बिल्कुल सुरक्षित नहीं रह गई हैं। टीम ने पीड़ित परिवार को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने, मौत से जूझ रही बेटी के बेहतर इलाज और दोषियों को कठोरतम सजा देने की मांग की।
टीम में भाकपा (माले) के राज्य स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) के सदस्य रमेश सेंगर और इंकलाबी नौजवान सभा (इंनौस) के प्रांतीय नेता ओम प्रकाश राज शामिल थे।