उत्तराखंड के पहाड़ों में पिछले दो महीने से सड़क की मांग को लेकर अनोखा आंदोलन चला रहे हैं। 70 गाँवों के निवासी नन्दप्रयाग घाट चौड़ीकरण की मांग करते हुए पिछले दो महीने से क्रमिक अनशन और भूख हड़ताल पर डटे हुए हैं। आंदोलनकारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में 19 किमी लंबी मानव श्रंखला बना चुके हैं।
जनांदोलन के 56वें दिन अचानक 17 दिनों से लगातार भूख हड़ताल पर बैठे व्यापार संघ अध्यक्ष चरण सिंह नेगी की तबियत बिगड़ने के बाद उनकी जगह पर बैठे देवेंद्र जमालू ने सख्त शब्दों में बताया कि “जबतक सड़क चौड़ीकरण के लिए सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं होती तबतक उनके सहित सभी आंदोलनकारी साथी धरना स्थल से नहीं हटेंगे”
उत्तरखंड में चमोली जिले के दूरस्थ विकासखंड गांवो में पिछले करीब दो महीनों में वो सब देखने को मिला जो कभी 70 के दशक में इसी जिले में चिपको आंदोलन के रूप में देखने को मिला था। ऐसे गैर राजनैतिक जनांदोलन के सैलाब को देखकर अब सत्तापक्ष भी प्रदेश में बैकफुट में आ गया है वहीं विपक्षी दलों को 2022 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र अब प्रदेश की राजनीती में हावी होने का रास्ता मिल चुका है।
गौरतलब है की उत्तर प्रदेश शासित राज्य के दिनों में तत्कालीन सरकार के दौरान नंदप्रयाग-घाट सड़क निर्माण 1965 के दशक में किया गया, राज्य बनने के साथ आसपास के क्षेत्रों में बढ़ती आबादी के साथ बढ़ते वाहनों की आवाजाही से इस सड़क पर भी दबाव बढ़ता गया। बढ़ते वाहनों की आवाजाही से छह मीटर की संकरी सड़क पर भी दबाव बनता गया जिसका शिकार कई बार स्थानीय ग्रामीणों सहित आने वाले पर्यटक भी बनते चले गए, ग्रामीणों के अनुसार अबतक कई ग्रामीण संकरी सड़क होने की वजह से काल के गाल में भी समा चुके है।
विकासखंड घाट की आबादी लगभग 40 हज़ार से ज़यादा की है जिनमे 70 से अधिक ग्राम पंचायतें निवास करती हैं, जो की नंदप्रयाग-घाट सड़क मोटरमार्ग को सीधा एक रूट से जोड़ती है। पर्यटन की दृष्टि से भी अहम ये सड़क नंदादेवी राजजात कुरुड़ मार्ग के लिए अहम मानी जाती है साथ ही साथ अक्सर बाहरी पर्यटक भी इसी रूट से होते हुए निजमुला घाटी, ग्वालदम, बेदनी और थराली के खूबसूरत बुग्याल के दीदार करने के लिए इसी अहम पड़ाव से गुज़रते है।
क्या है ग्रामीणों की मांग ?
70 गाँवों के निवासी नन्दप्रयाग घाट चौड़ीकरण की मांग करते हुए पिछले दो महीने से से क्रमिक अनशन पर डटे हुए हैं और साथ ही पिछले 21 दिनों से भूख हड़ताल पर भी बैठ चुके हैं। मीडिया विजिल की टीम ने जब धरने पर बैठे व्यापार संघ अध्यक्ष चरण सिंह नेगी से मामले को जानना चाहा तो उनका कहना था की “उनके क्षेत्र की जनता के साथ सरकारों द्वारा भारी वादा खिलाफी की गई है, चाहे पूर्ववर्ती सरकार हो या वर्तमान की त्रिवेंद्र रावत सरकार हो। दो वर्ष पूर्व जब उपचुनावों के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत यहां आए थे तब घोषणा सहित सभी को जिओ दिखाकर पूर्ण विश्वास से कह गए थे की उनके द्वारा नंदप्रयाग-घाट को डेढ़ लेन चौड़ीकरण यानी (छह से नौ मीटर) को स्वीकृति दे दी गई है और जल्द ही यह कार्य भी शुरू हो जाएगा”, लेकिन अब तक कार्य शुरू नहीं हुआ, अब जबतक त्रिवेंद्र सरकार नंदप्रयाग घाट को डेढ़ लेन चौड़ीकरण के अपने वादे को पूरा नहीं करती तबतक हम सभी आंदोलनकारी साथी यहां से नहीं हटेंगे।
आंदोलन के शुरूआती दिनों से धरना स्थल पर व्यापार संघ अध्यक्ष चरण सिंह नेगी, टैक्सी यूनियन अध्यक्ष मनोज कठैत, महावीर सिंह बिष्ट, सुरेंद्र नेगी व क्षेत्र पंचायत सदस्य दीपक रतूड़ी डटे हुए है, जिनको 70 से अधिक ग्राम सभाओ का भी भारी समर्थन मिल रहा है। ये सभी आंदोलनकारी लगातार क्रमिक अनशन को चला रहे थे लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित त्रिवेंद्र सरकार की उनकी मांगो पर भारी बेरुखी के बाद अब इन सभी ने पिछले 21 दिन पहले भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है। धरना स्थल पर बैठे दो आंदोलनकारियो की 8वें और 56वें दिन अचानक तबियत बिगड़ने के बाद चरण सिंह नेगी और दीपक रतूड़ी को डॉक्टरों द्वारा हायर सेंटर के लिए रैफर कर दिया गया है। बता दें कि अबतक आंदोलनकारियों सहित ग्रामीणों की मांग को कई विपक्षी दल, संगठनों सहित श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र नेताओ द्वारा भी समर्थन मिल चुका है।
50वें दिन आंदोलन स्थल पर पहुँचे भाकपा माले के नेता इंद्रेश मैखुरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा की “ये सरकारों की ही नाकामयाबी है जो अपने वादों पर भी टिक नहीं पाती है, आंदोलनकारियों से ऐसा बैर जबकि प्रदेश भी आंदोलन से ही बना है। मुख्यमंत्री को तुरंत अपने वादे पर संज्ञान लेना चाहिए ताकि ऐसा न हो उनका वादा मात्रा चुनावी जुमला बनकर रह जाए”, वहीं कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी नंदप्रयाग-घाट मोटर मार्ग के लिए आंदोलनरत ग्रामीणों के समर्थन में 55वें दिन एक दिन का मौन व्रत रख अपना रुख बता दिया।
19 किमी मानव श्रृंखला
35वे दिन सांकेतिक धरना प्रदर्शन करते हुए ग्रामीणों ने अनोखे तरीके से जनांदोलन का रुख अपनाया जिससे सरकार सहित पूरे प्रदेश की नज़र इस जनांदोलन की तरफ पहली बार मुख्य तौर पर पड़ी, जब 70 गाँवों के बच्चे, महिलाए और बुज़ुर्गों ने 19 किमी मानव श्रंखला बनाते हुए नन्दप्रयाग से घाट विकासखंड तक जोड़ दिया। प्रदेश में पिछले कुछ दशकों में कभी शायद ही ऐसा आंदोलन देखने को मिला हो जो प्रदेश के अखबारों के फ्रंट पेज की जगह बन पाया हो, वहीं गणतंत्र दिवस का मौके पर सभी ग्रामीणों द्वारा नंदप्रयाग से घाट तक तिरंगा रैली निकालकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रतीकात्मक भारत माता के एक हाथ में तिरंगा था तो दूसरे हाथ में मांगो से लिखी हुई तख्ती।
हाल ही में त्रिवेंद्र सरकार द्वारा राज्य में ब्लॉक मुख्यालों को आने वाली सड़कों को डबल लेन बनाए जाने के फैसले पर आंदोलनकारी चरण सिंह नेगी कहते हैं कि हमारे इस आंदोलन की ही बदौलत सरकार अब जागी है लेकिन इसका हमें कब फायदा मिलेगा जबकि हमारी यह सड़क भी कर्णप्रयाग और थराली विधानसभा के 70 से अधिक गाँवों के लोगो के लिए जिला मुख्यालय जाने के लिए मुख्य मार्ग है और हम तो डेढ़ लेन की बात कर रहे हैं। वही बीमार चरण सिंह नेगी की जगह आंदोलन पर बैठे देवेंद्र जमालू कहते है कि पूर्व में लोक निर्माण विभाग द्वारा 19 किमी के दायरे में सड़क के नौ मीटर में आने वाले पेड़ों की छपान ली गई है और डीपीआर के कार्य भी पूर्व में संपन्न किए गए है, तो अब सरकार को इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय भी स्वीकृति देनी चाहिए।
मीडिया विजिल से आंदोलन के आगामी भविष्य पर बात करते हुए व्यापर संघ अध्यक्ष चरण सिंह नेगी ने बताया कि “अगर उनकी मांगो पर सरकार कोई ठोस फैसला नहीं लेती तो वे और सभी ग्रामीण मिलकर राज्य सरकार के बजट सत्र का विरोध करेंगे, वही आगामी ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में होने वाले विधानसभा सत्र का घेराव भी करेंगे ” ।
स्वतंत्र पत्रकार दीपक रावत की रिपोर्ट