तीन कृषि कानून निरस्त होने के बाद शनिवार को किसानों ने एक अनोखा प्रदर्शन किया। किसानों ने खुद को कैदियों की तरह बांध कर अपनी मांगे उठाई। हरियाणा के सोनीपत जिले में कुंडली सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के दौरान बाहर मौजूद विभिन्न संगठनों के किसानों ने खुद को बेड़ियों में बांधकर हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया, और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी भी की।
70 साल से किसानों को बंदी बनाकर रखा जा रहा…
दरअसल, किसानों द्वारा खुद को बेड़ियों में बांधकर प्रदर्शन करने के पीछे उनका कहना है कि 70 साल से किसानों को बंदी बनाकर रखा जा रहा है। यही वजह है कि उन्होंने सरकार को चेतावनी देने के लिए खुद को जंजीरों में जकड़ रखा है। बैठक के दौरान किसानों ने दो टूक कहा था कि उन्हें एमएमपी पर कमेटी का गठन मंजूर नहीं है। अब सरकार सीधे एमएसपी गारंटी कानून बनाए, तभी किसान यहां से वापस जाएंगे। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक में 5 सदस्यों की कमेटी मनाई है जो सरकार से अपनी मांगों को लेकर हर मुद्दे पर बात करेंगी।
किसान को आज तक कुछ नहीं मिला..
बेड़ियों में बंधे किसान ने कहा कि जब तक एमएसपी का कानून नहीं बनता तब तक वह इसी तरह जंजीर में बंधे रहेंगे। सही मायने में एमएसपी का गारंटी कानून मिलने पर ही किसान आजाद होंगे। वहीं, राजस्थान के झुंझुनू से पहुंचे कैलाश कुमार ने कहा कि किसान को आज तक कुछ नहीं मिला है। कानून काले बादल थे, जो चले गए लेकिन अब एमएसपी गारंटी कानून के बिना वापस नहीं जाएंगे।
सरकार मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाहती है..
अंबाला से कुंडली बार्डर पहुंचे किसान नरेश सरवन ने कहा कि जब किसान दिल्ली की सीमा तक भी नहीं पहुंचे थे, तब से ही उनकी अहम मांगों में एमएसपी गारंटी कानून शामिल है। सभी किसान नेताओं ने मुख्य मंचों से हर बार कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ-साथ एमएसपी की मांग की है। सरकार कमेटी बनाना चाहती है जिसका सीधा सा मतलब है कि सरकार मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाहती है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।