दिल्ली बॉर्डर पर मनाया गया मई दिवस, किसान-मज़दूर के साझा संघर्ष का संकल्प!

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
आंदोलन Published On :


संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस विज्ञप्ति

 

आज सयुंक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सयुंक्त आह्वान पर देश भर में मई दिवस को “मजदूर किसान एकता दिवस” के तौर पर मनाया गया। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरने पर हज़ारो मजदूरो ने पहुंचकर किसान आंदोलन व मांगो का समर्थन किया। मंच पर भी केंद्रीय ट्रेड यूनियन से लेकर स्थानीय मजदूर नेताओ ने अपने विचार रखे।

किसान नेताओं का कहना है कि कोरोना की आड़ में केंद्र सरकार ने किसानों-मजदूरों और आम नागरिकों पर सीधे हमले किये। जिस समय देश महामारी से गुजर रहा है उस समय महामारी से लड़ने के बजाय तीन खेती कानून व चार लेबर कोड जैसी कई महामारियां पैदा करने का काम सरकार ने किया है।

किसान नेताओ ने कहा कि किसान मजदूर एकता से डरे हुए भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओ में मजदूरो को किसानों के खिलाफ भड़काने की भी कोशिश की। कई तरीकों से मजदूरो को इस आंदोलन से दूर रखने की कोशिश की गई परंतु मजदूर भी उतने ही पीड़ित है, इसलिए वे भी किसानों के साथ पूरी भागीदारी निभा रहे है।

लेबर कोड व खेती कानूनो पर बोलते हुए नेताओ ने कहा कि आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम मजदूरों की रोजी-रोटी पर सीधा व तीखा हमला है। निजी क्षेत्र के हाथों में मजदूरो का भविष्य चला जायेगा। वहीं मंडी कानून व ठेकेदारी कानून भी मजदूरो का शोषण बढ़ाएंगे और रोजगार के मौके घटायेंगे।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि आज कोरोना महामारी में जिस तरह सरकारी तंत्र फेल हुआ है वह इस सरकार की नाकामयाबी दिखाती है। नए लेबर कोड मजदूरो के स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा को दरकिनार कर बनाए गए है। मजदूरो व गरीबों के लिए कोरोना काल में वैक्सीनेशन व अन्य मेडिकल सेवाएं उपलब्ध नहीं है। सरकार को निजीकरण व कॉरपोरेटीकरण बंद करना चाहिए व सरकारी संस्थाओं में विनिवेश करना चाहिए।

सयुंक्त किसान मोर्चा सभी मजदूरो, किसानो व आम नागरिकों को आज के “मजदूर किसान एकता दिवस” के सफल आयोजन की बधाई देता है व आने वाले समय मे मिलकर जन संघर्ष लड़ने की उम्मीद करता है।

जारीकर्ता – अभिमन्यु कोहाड़, बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

सयुंक्त किसान मोर्चा
9417269294
samyuktkisanmorcha@gmail.com

(156 वां दिन, 1 मई 2021)

 

संयुक्त किसान मोर्चा, गाजीपुर बार्डर-

 

एसकेएम गाजीपुर ने मई दिवस पर किसान मजदूर एकता दिवस मनाया, सभी ट्रेड युनियनों, व्यापार मण्डलों, किसान संगठनों द्वारा 3 कृषि कानून वापस कराने, एमएसपी कानून बनाने, निजीकरण तथा 4 श्रम कोड का व्यापक संघर्ष करने की अपील की।

मंच से 2 मिनट का मौन रखकर कोरोना से स्वास्थ्य अव्यवस्था के कारण मारे गए 2 लाख भारतवासियों तथा मई दिवस शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

आज गाजीपुर बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान मजदूर एकता दिवस का आयोजन किया जो लॉकडाउन के दमघोटू हालात, जनवादी अधिकारों पर बढ़ते हमलों, महामारी के बढ़ते प्रकोप और अहंकारी शासन की संवेदनहीनता के माहौल में मनाया जा रहा है। ये नये कानून कारपोरेट पक्षधर, विदेशी कम्पनी पक्षधर ‘सुधार’ अमल कर रहे हैं जो औद्योगिक मजदूरों, किसानों व गरीबों के जीने के अधिकारों पर हमला करते हैं।

शिकागो कें 1886 के आंदोलनों को याद करते हुए, वक्ताओं ने 8 घंटे कार्यदिवस की मांग और संगठित होने व संघर्ष करने के अधिकार की चर्चा की। इस घटना में पुलिस फायरिंग मे कई मजदूर मारे गए और बाद में 7 नेताओं पर फर्जी केस दर्ज करके उन्हें मौत की सजा दी गयी थे, इसके बावजूद आंदोलन जारी रहा।

आज भारत सरकार ने न केवल 4 लेबर कोड पर अमल करके मजदूरों द्वारा न्यूनतम वेतन, मानवीय काम के हालात, औद्योगिक दुर्घटनाओं से रक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा की कल्याणकारी योजनाओं के मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष के हक पर हमला किया है, उसने पर्यावरण की रक्षा के पैमाने कमजोर करके विनाशकारी उद्योग कों को भी छूट दी है। आज बहुत सारे बुद्धिजीवियों को किसानों व मजदूरों के संघर्ष का समर्थन करने के लिए फर्जी केसों में जेल में डाला जा रहा है, जैसा कि 1886 में किया गया था।

वक्ताओं ने स्वास्थ्य, शिक्षा, एलाआईसी, बैंक, रेल आदि का निजीकरण करने की निन्दा की और कहा कि इससे आम जन की परेशानियां बढ़ जाएंगी। उन्होंने कहा कि खेती के 3 काले कानून किसानों द्वारा फसल उगाने की स्वतंत्रता समाप्त कर देंगे, वे कारपोरेट नियंत्रित बाजार से पाबंध हो जाएंगे जिसमें महंगी लागत के सामान खरीदेंगे और फसल सस्ते में बेचने को मजबूर हांगे। यह कानून सरकारी सब्सिडी समाप्त करा देंगी, सरकारी खरीद बंद करा देंगे, सिंचाई का संकट बढ़वा देंगे और राशन व्यवस्था ध्वस्त करके 82 करोड़ देशवासियों को कारपोरेट बाजार से खाना खरीदने को मजबूर करेंगे। इसके बाद खाना जीने के लिए आश्यक वस्तु नहीं बचेगा और औद्योगिक विकास का आधार बनेगा।

वक्ताओं ने किसानों व मजदूरों से अपील की कि वे बहादुरी के साथ आगे आकर सरकार को उसकी नींद से झकझोर दे और कोरोना महामारी के चिकित्सकीय प्रबंध करने के लिए मजबूर करे, यानी अस्पताल चलाए, गांव की सीएचसी चलवाए, आक्सीजन की व्यवस्था कराए, पुलिस जुर्माना बंद कराए और उसे मास्क व सैनिटाईजर बाँटने का काम कराए, बिस्तर, आक्सीजन व दवाओं की कालाबाजारी बंद कराए और कालाबाजारी करने वालों को जेल भेजे।

एक व्यापक आंदोलन खड़ा करने की अपील करते हुए आज की सभा को ट्रेड यूनियन नेता इफ्टू के दिल्ली महासचिव राजेश, सीटू एनसीआर उपाध्य़क्ष गंगेश्वर शर्मा, इंकलाबी मजदूर केन्द्र के रोहित, प्रगतिशील महिला संगठन दिल्ली की महासचिव पूनम और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राजबीर सिह जादौन, डा0 आशीष मित्तल, डीपी सिंह, बलजिंदर सिह मान, गुरनमीत मांगत, आदि ने संबोधित किया।

जगतार बाजवा
प्रवक्ता, एसकेएम, गाजीपुर बार्डर