नदी अधिकार यात्रा: निषादों के शोक को शक्ति बनाती ‘गाँव-गाँव-पाँव-पाँव’ काँग्रेस!

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राजनीति Published On :


कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की अगुवाई में यूपी कांग्रेस अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिशों में जी जान से जुटी है। इसी क्रम में निषाद समाज को पार्टी से जोड़ने और उनके सवालों को उठाने के लिए ‘नदी अधिकार यात्रा’ निकाली है। प्रयागराज से 20 दिन पहले शुरू हुई नदी अधिकार यात्रा 443 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है। कांग्रेस ने प्रयागराज में निषादों की नावें तोड़े जाने की प्रशासनिक कार्रवाई को सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा मुद्दा बनाते हुए इस पदयात्रा का आयोजन किया है। ख़ुद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी इस यात्रा की शुरूआत करने प्रयागराज गयी थीं।

दरअसल प्रयागराज के यमुना के किनारे बसे बसवार गांव में 4 फरवरी को निषाद समुदाय के ऊपर पुलिसिया उत्पीड़न हुआ था। कथित अवैध खनन के नाम पर पुलिस ने निषादों की 18 नाव को क्षतिग्रस्त कर दिया था। पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिलाओं और बच्चों के ऊपर भयानक लाठीचार्ज किया था। सिर्फ इतना ही नहीं गांव के सैकड़ों लोगों के ऊपर पुलिस ने कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर बर्बर कार्यवाही की थी।

यह खबर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को मौनी अमावस्या के दिन उनकी नाव चलाने वाले नाविक ने दी। महासचिव प्रियंका गांधी को खबर मिलने के बाद 48 घंटे नहीं बीते कि वे बसवार पहुंच गईं। बसवार जाने के बाद कांग्रेस महासचिव ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। यमुना के धूल भरे कछार में ढाई किलोमीटर पैदल चलकर नाव देखने गयीं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी प्रयागराज से दिल्ली रवाना होती उससे पहले ही अपने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि निषाद समाज की मांगों को लेकर वे पदयात्रा निकालें। यूपी कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग विभाग ने 1 मार्च से बसवार गांव से नदी अधिकार यात्रा को निकाला जोकि अब 20 वें दिन बलिया जिले में पहुंची। यात्रा ने अबतक 443 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी की है। नदी अधिकार यात्रा में लगे कांग्रेसजन हर दिन लगभग 7 से 10 निषाद बाहुल्य गांवों में सघन जनसंपर्क करते हैं।

प्रियंका ने कहा गांव गांव से उठ रही है आवाज़, निषाद समाज को उनका हक मिले

महासचिव प्रियंका गांधी ने नदी अधिकार यात्रा पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि यूपी कांग्रेस, पिछड़ा वर्ग विभाग की नदी अधिकार यात्रा 19 दिन से 418 किमी चलकर निषाद समाज के बीच जाकर उनके हक की आवाज उठा रही है। निषाद नदियों के राजा और रक्षक हैं। नदी, नालों, तालाब, झील  के संसाधनों पर उनका नैसर्गिक हक है।

उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि निषाद समाज के गांव-गांव से एक ही आवाज उठ रही है कि उनकी सुख-दुख की साथी नदियों के संसाधनों बालू, मछली, नदी किनारे की जमीन इत्यादि के इस्तेमाल को बड़े पूजीपतियों-ठेकेदारों के चंगुल से निकालकर निषादों को इनके उपयोग का हक मिलना चाहिए।

यूपी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गाँधी ने कहा कि ये उनकी जीविका का सवाल है और हम निषाद समाज की जीविका के हक को दिलाने की लड़ाई पूरी प्रतिबद्धता से लड़ेंगे।

उन्होंने ट्वीट के अंत में कहा लिखा है कि यात्रा की अगुवाई कर रहे देवेंद्र निषाद, कुंवर निषाद (विधायक) वंदना निषाद व यात्रा में शामिल सभी साथियों का मैं दिल से धन्यवाद करती हूँ।

23 फरवरी को महासचिव प्रियंका गांधी ने बसवार से पीड़ितों से मिलकर जाने के बाद पीड़ित परिवारों को 10 लाख रुपये की संयुक्त मदद की घोषणा की, साथ ही साथ निषाद समाज के परंपरागत अधिकारों की मांग की। कुछ दिनों बाद प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने 18 पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद करने बसवार पहुंचे।


नदी अधिकार पदयात्रा की प्रमुख मांगे, गांव-गांव बंट रहा है पर्चा

नदी अधिकार पदयात्रा में गांव गांव में पर्चे बांटे जा रहे हैं। अबतक 2 लाख पर्चे निषाद बाहुल्य गांवों में बांटे जा चुके हैं। पर्चे में लिखा है कि नदी अधिकार यात्रा के जरिये कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि

  1. नदियों पर निषादों के पारम्परिक अधिकार को सुनिश्चित किया जाय।
  2. एनजीटी की गाइडलाइंस का हवाला देकर यूपी सरकार द्वारा नदियों में नाव द्वारा बालू खनन पर लगी रोक को हटाया जाय।
  3. नदियों से बालू निकालने के पारम्परिक अधिकार को सुनिश्चित किया जाय।
  4. बालू खनन से माफिया राज खत्म किया जाय।
  5. मशीन द्वारा होने वाले बालू खनन पर रोक लगाई जाय।
  6. नदियों के किनारे खेती के पारम्परिक अधिकार को सुनिश्चित किया जाय।
  7. नदियों में मछली मारने का निर्बाध अधिकार दिया जाय।
  8. निषाद समाज पर पुलिसिया उत्पीड़न बन्द हो, निर्दोष लोगों के ऊपर से मुकदमें वापस ले सरकार।
  9.  बसवार की बर्बर घटना की न्यायिक जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही हो।

 

बसवार गांव के पीड़ित निषाद बाहुल्य गांवों में जाकर बता रहे हैं अपना दर्द

गोद में चार महीने का बच्चा, सर पर पल्लू रखीं 35 साल की वंदना निषाद अपने संबोधन में अक्सर भावुक हो जाती हैं। वे रोकर लोगों के बीच में कहती हैं कि मेरे गांव की महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के पैर पकड़ लिए थे। बहुत गिड़गिड़ाते हुए कहा था कि साहब रोजी रोटी चलती है नाव से हमारी, मत तोड़िये लेकिन पुलिस ने नहीं सुना। नावें तोड़ डालीं। गांव में लाठीचार्ज किया। शिकारी कुत्ते छोड़ें। अब कुछ बाकी नहीं योगी सरकार ने सब तबाह  कर दिया है। लेकिन अब निषाद समाज अत्यचार नहीं सहेगा।

बसवार से बलिया तक ही नहीं, पूरे प्रदेश में एकजुट हो रहा है निषाद समाज

इस यात्रा की अगुवाई कांग्रेस के प्रदेश सचिव देवेंद्र निषाद कर रहे हैं। 20 दिन से लगातार चल रहे देवेंद्र निषाद की तबियत खराब है। लेकिन उनके हौसले कम नहीं हैं। वे कहते हैं कि यह बसवार से बलिया तक की यात्रा नहीं है। इस यात्रा के जरिये निषाद समाज पूरे प्रदेश में एकजुट हो रहा है। वे आगे कहते हैं कि निषाद जाति सबसे बड़ी अतिपिछड़ी जाति है लेकिन सपा, बसपा और भाजपा समेत सबने हमें ठगा है। भाजपा ने निषाद समाज को ठगने के लिए कई दुकानें खोली हैं लेकिन अब समाज जाग चुका है।

https://twitter.com/anilinsaf/status/1373263059083423744


कतार के आखिरी आदमी की लड़ाई मजबूती से लड़ेगी कांग्रेस

यूपी कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष के पैरों में कई पट्टियां लगीं हैं। छाले अब फूट गए हैं। लोगों को जगह जगह संबोधित करते हुए मनोज यादव कहते हैं कि कांग्रेस की प्रतिबद्धता कतार के आखिरी आदमी के लिए हैं। यह सामाजिक न्याय और इंसाफ की लड़ाई है। इसे पार्टी मजबूती के साथ लड़ेगी।


नदी अधिकार कानून बनाकर देंगे निषाद समाज का हक़

कांग्रेस महासचिव मक़सूद खान और विश्वविजय सिंह कहते हैं कि निषाद समाज को उनका हक मिलना चाहिए। कांग्रेस ने अन्य राज्यों में निषाद समाज के लिए कई हितकारी योजनाएं चलाईं हैं। यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो नदियों पर निषादों का हक़ कायम होगा।


हर गांव में यात्रा का स्वागत, महिलाएं एक गांव से दूसरे गांव तक कर रहीं हैं विदा

इस यात्रा में सबसे अधिक भागीदारी महिलाओं की रही है। महिलाएं हर गांव में यात्रा का स्वागत कर रहीं हैं। कांग्रेसजनों को दाना-पानी करा रही हैं। साथ ही साथ अपने गांव से दूसरे गांव तक यात्रा को विदा कर रहीं हैं।

1 मार्च से शुरू हुई यह यात्रा बसवार से चली है और बलिया के माझी घाट पर खत्म होगी। यह यात्रा करीब 500 किलोमीटर पैदल चली है। कुछ दुर्गम्य स्थलों पर नाव से भी सफर तय किया है। इस यात्रा में छत्तीसगढ़ के विधायक कुँवर सिंह निषाद लगातार चल रहे हैं।


निषाद गांवों में रात्रि विश्राम, सांस्कृतिक कार्यक्रम से जागरूकता

रात्रि में यात्रा निषाद गांवों में गंगा के किनारे रुकती है। अबतक 19 पड़ाव पूरे हो चुके हैं। निषाद गांवों में भोजपुरी बिरहा के जरिये बसवार गांव की घटना और भाजपा के जनविरोधी नीतियों को लोकगायक बता रहे हैं।


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