आज की खबरों में एक महत्वपूर्ण खबर है, हलद्वानी स्थित गफूर बस्ती में अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी गई है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का फैसला दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। यहां रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर गफूर बस्ती बसी है। इस फैसले से बस्ती में रहने वाले करीब 50 हजार लोगों को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे को भी नोटिस जारी किया है। मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी। तब तक हल्द्वानी में बुलडोजर नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक हफ्ते में लोगों का हटाना उचित नहीं है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि यह रेलवे की जमीन है। इस मामले में हम कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे बढ़ेंगे।
सरकार विरोधी लोगों के खिलाफ भाजपा की डबल इंजन वाली सरकारों की चुस्ती और फुर्ती के मुकाबले इस मामले में भाजपा सरकार की यह लाचारी रेखांकित करने लायक है। आप जानते हों या नहीं, इस मामले में उत्तराखंड में हजारों लोग परेशान थे और कई दिनों से आंदोलन चल रहा था। उसकी खबरों को अखबारों में जो महत्व मिला या नहीं मिला वह अपनी जगह है पर आज यह दिल्ली के मेरे पांच अखबारों में से चार में लीड नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने सिंगल कॉलम में निपटा दिया है जबकि द टेलीग्राफ ने आज अपनी लीड खबर के जरिए बताया है कि अमित शाह ने राहुल गांधी के मुकाबले राम मंदिर का मुद्दा फिर खड़ा कर दिया है। द टेलीग्राफ की इस खबर का फ्लैग शीर्षक है – “हेलो 2024; हेलो, मंदिर मु्द्दा।” दूसरे शब्दों में 2024 करीब आया तो मंदिर शुरू हो गया।
द टेलीग्राफ ने आज पहले पन्ने पर एक और खबर छापी है, “उत्तर प्रदेश में यात्रा को मुश्किलें; बत्ती चली गई, बाधाएं सामने आईं।”हलद्वानी वाली खबर द टेलीग्राफ में सिंगल कॉलम में है। इसका शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मानवीय रहिये और बड़े पैमाने पर विस्थापन (अतिक्रमण हटाने) की कार्रवाई रोक दी। ऐसी और इन खबरों के बीच द हिन्दू ने हलद्वानी की खबर को चार कॉलम में लीड छापा है और फोटो के साथ दो लाइन का शीर्षक लगाया है। इसका हिन्दी अनुवाद कुछ इस तरह होगा, सु्प्रीम कोर्ट ने हलद्वानी में रेलवे की भूमि से विस्थापन को रोका।
राम मंदिर पर अमित शाह का एलान, राम मंदिर एक जनवरी 2024 को खुलेगा इसके नीचे चार कॉलम में है। इंडियन एक्सप्रेस में यही दो खबरें उलट गई हैं। अमित शाह का पक्ष भी कुछ ज्यादा है। फ्लैग शीर्षक, त्रिपुरा में एक रैली में, (अमित) शाह ने कहा, राहुल (गांधी) को मेरा संदेश …. राम मंदिर अगले एक जनवरी से तैयार हो जाएगा। एक्सप्रेस में हलद्वानी की खबर फोल्ड के नीचे तीन कॉलम में है। हालांकि इसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट के बाहर की तस्वीर है और इसका कुछ हिस्सा फोल्ड से कुछ ऊपर है। इसके साथ दो और शीर्षक हैं। एक तो मुख्य खबर का ही शीर्षक है जबकि दूसरा शीर्षक वहां के लोगों की खुशी बताता है और इसीलिए यह खबर लीड है, हो सकती थी और होनी चाहिए थी।
देश में जो माहौल और स्थितियां हैं उसमें सुप्रीम कोर्ट में यह मामला इस समय सुना गया और बुलडोजर चलने से पहले रोक दिया गया – यह भी बड़ा और गंभीर मामला है। जब नोटबंदी पर सुनवाई अब हुई, 370 पर सुनवाई बाकी है, गुजरात दंगे का एक मामला अभी हाल में सुना जा सका। ऐसे में अतिक्रमण हटाने का मामला बुलडोजर चलने से पहले सुप्रीम कोर्ट में सुना गया यही बड़ी खबर है। हालांकि वह अलग मुद्दा है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर बताती है कि प्रदर्शनकारियों के बीच इस आदेश से बड़ी राहत है और उनका कहना है, हम आज ईद मनाएंगे।
इंडियन एक्सप्रेस का मुख्य शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने हलद्वानी के विस्थापन आदेश को रोका : 7 दिन में 50,000 लोगों को नहीं उखाड़ सकते। बल के इस्तेमाल के उपयोग पर नाराजगी जताई; कहा, लोगों को पुनर्वास की आवश्यकता है। सरकारी या रेलवे की ऐसी मनमानी की खबर को इंडियन एक्सप्रेस ने खुद ही फोल्ड के नीचे छापा है। हालांकि आज अपनी एक्सक्लूसिव खबर, को टॉप र चार कॉलम में छापा है। इस खबर के अनुसार यूजीसी के नए नियम घोषित हुए हैं, अब विदेशी विश्वविद्यालय कैम्स स्थापित कर सकते हैं, फीस का फैसला कर सकते हैं और धन अपने देश भेज सकते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर हलद्वानी की खबर का शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने हलद्वानी के 4,000 परिवारों के विस्थापन आदेश को स्टे किया। यह खबर द हिन्दुस्तान टाइम्स में तो टॉप पर लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे नीचे की तरफ सिंगल कॉलम में निपटा दिया है। हालांकि आधे पन्ने के विज्ञापन के कारण नीचे जाने की भी सीमा है। यहां दो साल में सबसे ठंडी सुबह की खबर लीड है और आयानगर स्टेशन पर तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। तीन लाइन के शीर्षक और 20 लाइन से भी कम की खबर यही है कि विवरण जानना चाहें तो पेज 12 देखें। कहने की जरूरत नहीं है कि इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुकाबले यह पहले पन्ने पर जो बताती है वह बहुत कम है। हालांकि, यहां और भी कई खबरें हैं जो दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। इसमें दिलचस्प यह है कि द टेलीग्राफ ने बताया है कि भारत जोड़ो यात्रा के मौके पर उत्तर प्रदेश में बत्ती गुल हो गई तो टीओआई ने बताया है कि ठंड के मारे दिल्ली में बिजली की मांग तीन साल की सर्दियों से ज्यादा है। यही मीडिया की आजादी और विविधता है जो वर्षों से अक्षुण्ण है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।