राहुल गाँधी को एसपीजी सुरक्षा कवच मिले

विकास नारायण राय विकास नारायण राय
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इसे अभूतपूर्व कहा जाएगा कि राहुल गांधी की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संगठन सीआरपीएफ ने प्रेस सूचना में स्वयं उनके द्वारा ही सौ से अधिक सुरक्षा उल्लंघन करने का जिक्र किया है। भारत में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के लिए सुरक्षा नियमों का अक्षरशः पालन करना संभव नहीं होता और राहुल भी इसके अपवाद नहीं हो सकते। लेकिन इस पहलू को बहस तलब करने से सुरक्षा चुस्त नहीं हो जाती।

अटल जी के निधन के तुरंत बाद पूर्व प्रधानमंत्रियों से एसपीजी का सुरक्षा कवच वापस ले लिया गया था। इस क्रम में गांधी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का काम सीआरपीएफ को सौंपा गया। क्या एसपीजी भी राहुल द्वारा सुरक्षा उल्लंघनों को सार्वजनिक करती? मुझे संदेह है; उसने आज तक ऐसा किसी भी रक्षित व्यक्ति के मामले में नहीं किया है। गत पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी एसपीजी सुरक्षा काफिले के साथ पाक सीमा से ज्यादा दूर नहीं एक सड़क ओवरब्रिज पर फंस गए थे। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक जांच कमेटी बनाई थी लेकिन तब भी खामोशी से कमियां दूर की गईं, न कि कमियों को सार्वजनिक बहस में लाया गया।

वर्ष अंत में जब 8 राज्यों से होते हुए भारत जोड़ो यात्रा ने राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया तो पहली बार सार्वजनिक रूप से राहुल गांधी की सुरक्षा में सेंध की आशंका कांग्रेस पार्टी की ओर से व्यक्त की गई। हालांकि, एक बहुप्रचारित मार्ग पर महीनों चलने वाले पैदल मार्च में उमड़ती भीड़ के चलते फूल प्रूफ सुरक्षा दे पाना बेहद तनावभरा काम रहा होगा। सुरक्षा एवं इंटेलिजेंस एजेंसियों के लिए एक निरंतर नाइटमेयर जैसा। पर वे इसी काम के लिए बनी हैं और रक्षित व्यक्ति के उल्लंघनों का हवाला सार्वजनिक करने से उनकी जिम्मेदारी कम नहीं हो जाती।

गांधी जी, इंदिरा जी और राजीव गांधी को देश ने राजनीतिक हत्याओं की भेंट चढ़ते भुगता है। तीनों त्रासदी रोकी जा सकती थीं। लेकिन घटना उपरांत जांच में पर्याप्त इंटेलिजेंस के बावजूद तमाम सुरक्षा कमियां सामने आईं। इंदिरा जी की हत्या के बाद पीएम सुरक्षा के लिए एसपीजी नामक विशिष्ट सुरक्षा एजेंसी बनी। राजीव गांधी की हत्या के बाद पूर्व पीएम को भी एसपीजी सुरक्षा कवच दिया गया, और तब गठित वर्मा आयोग ने सभी संबंधित के लिए व्यापक दिशा निर्देश बनाए। क्या, राहुल गांधी के मामले में, उन निर्देशों की पालना कराई जा रही है? ध्यान रहे कि अब वे एसपीजी रक्षित व्यक्ति नहीं हैं।

मैने 12 वर्ष एसपीजी के शुरुआती वर्षों में सेवा दी है। मुझे कोई शक नहीं कि आज राहुल गांधी को एसपीजी जैसी वक्त पर खरी उतरने वाली विशिष्ट सुरक्षा एजेंसी के कवच की जरूरत है। अच्छा हो सभी संबंधित इस मांग को उठाएं और सरकार इसके पक्ष में तुरंत निर्णय ले।

 

लेखक रिटायर्ड आईपीएस रहे हैं क़ानून-व्यवस्था और मानवाधिकार के मुद्दों पर लगातार सक्रिय हैं। वो हरियाणा के डीजीपी और नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद के निदेशक रह चुके हैं।