देश में बेरोज़गारी दर 8-9 फ़ीसदी जा पहुँची है, और शिक्षित बेरोज़गारी दर 16 फ़ीसदी के आसपास है. साल 2018 में ही एक करोड़ से अधिक रोज़गार कम हुआ है.
आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है। इसका मक़सद सदियों से वंचित समुदायों को शासन-प्रशासन में हिस्सेदारी देकर उन्हें राष्ट्र का अंग होने का अहसास दिलाना है।
चीन ने चन्द्रमा के दूरस्थ हिस्से पर कदम रख दिये हैं
इस तरह आप जिसपर काम कर रही हैं वह सही है और दूसरे जिसपर काम कर रहे थे वह?"
क्या 57 महीने की सत्ता भोगने के बाद कोई शर्म, कोई अपराधबोध नहीं है?
उज्ज्वल भट्टाचार्य के साप्ताहिक स्तंभ का सोलहवां अध्याय
अभी हिंदी बोलने, पढ़ने वाले युवा में रीढ़ की वह हड्डी विकसित नहीं हुई है कि वह अपने लेखकों के औचित्य पर सवाल उठा सके
बीजेपी नेता ने ही कंपनी (अगस्ता वेस्टलैंड) का नाम ब्लैकलिस्ट की सूची से हटाने के लिए सिफारिश की थी।
राफेल मामले में सवाल प्रधानमंत्री से पूछा जा रहा है। जवाब वित्त मंत्री दे रहे थे, कल रक्षा मंत्री ने दिया और दस्तावेज पूर्व रक्षा मंत्री के पास गोवा में होने का दावा…
50% औरतें तलाक चाहती हैं। युवाओं में अफीम की लत बढ्ती जा रही है।अफीम को सस्ती दरों पर चोरी-छिपे बेचा जाता है।
सुभाष गाताड़े की नई पुस्तक में पहचान की राजनीति और वाम के बीच आपसी संबंधों पर एक ज़रूरी अध्याय
नेहरू पर पीयूष बबेले की नई पुस्तक के अहम अंश
कांग्रेस सांसदों ने अपनी बांह पर काले पट्टे बांधने की कोशिश की जिसे पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नाकाम कर दिया.
इस शिया प्रधान इस्लामी देश में हिन्दू युवक और शिया युवती वैवाहिक सूत्र में बंधे मिले।
'मोदी ने प्रशांत से कहा कि वे आपको कभी माफ नहीं करेंगे और उन्हें जब भी मौका मिलेगा वे बदला लेंगे।'
स साल पुरस्कार पाने वालों में एक, द टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार अक्षय मुकुल भी थे और उन्होंने यह पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेने से मना कर दिया था।
भारत की पहली महिला प्रशिक्षित शिक्षक के जन्मदिवस 3 जनवरी पर विशेष
यह शायद भारत में ही हो सकता है कि विज्ञान कांग्रेस में एक विशेष व्याख्यान एक ऐसे अर्द्धशिक्षित व्यक्ति का कराया जाए जो विद्वतजनों को बताए कि किस तरह हजारों साल पहले यहां…
आप का अपना सकारात्मक एजेंडा सामने नहीं आ सका और पंजाब में सरकार बनाने की हसरत धूल में मिल गई।
उस जमाने में नेहरू चेता रहे थे कि इससे पूरी दुनिया में हमारी छवि को धक्का लगेगा, लेकिन आज तो छवि की परिभाषाएं ही बदल गई हैं.
अगर कल टेलीविजन पर यह इंटरव्यू आ ही गया तो आज के अखबारों में नया क्या है
सफ़दर की मौत के आठवें दिन शुरू हुए IFFI के उद्घाटन सत्र का आंखों देखा हाल
ममता बनर्जी ने इस फ्रंट के बारे में चुप्पी साध ली।
जितने किसान खुदकुशी करते हैं उससे दोगुना युवा-छात्र-बेरोजगार खुदकुशी करते हैं पर कहेगा कौन ?
सवाल उठता है कि और कितनी मौतों के बाद हम जागेंगे और समाज के कर्णधारों को कुछ रैडिकल करने के लिए प्रेरित करेंगे