राहुल गांधी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जिस तरह फर्जी अभियान चलता है (हाल में दुबई के आयोजन को लेकर भी चला) उससे लगता है कि नाम जानने का जोर ऐसे ही अभियान…
रफाल पर नई जानकारी गोल, हिन्दी में पहले पन्ने लायक तो नहीं !!
ऐसा लगता है कि बीजेपी की सरकार रहते कुंभ में पत्रकारों का पिटना कोई रस्म बन गई है।
अजीत डोभाल और उनके बेटों की ‘डी कंपनी’ का करनामा किसी अखबार में दिखा?
अमित शाह का एक मामले में बरी होना संदेह से परे नहीं है लेकिन उसपर नेता बयान नहीं देता तो वह खबर नहीं बनती है
रोजा लक्जमबर्ग की आज से कोई 100 साल पहले 15 जनवरी 1919 को हत्या कर दी गई थी
रथयात्रा की अनुमति नहीं मिली तो जागरण ने छापा, “भाजपा को बंगाल में रैलियों की मंजूरी, रथयात्रा में पेंच”
सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस के साथ नहीं रहने से जो त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला होगा उसके कारण भाजपा को और भी ज्यादा नुकसान होगा।
टेलीग्राफ की आज की लीड का शीर्षक है- “डरावनी संक्रांति”.. उपशीर्षक, “हमारी मातृभूमि के ‘राष्ट्रद्रोही’ विलेन और देशभक्त ‘हीरो’'' है
'हम इंतजामिया और आइडियोलॉजी में फ़र्क नहीं कर रहे हैं. रूस में जो हारा है, वह मैनेजमेंट हारा है, आइडियोलॉजी नहीं हारी है।'
संजय कुमार सिंह सोशल मीडिया की खबरें आमतौर पर अखबारों में नहीं आतीं। लेकिन आज एक खबर कई अखबारों में प्रमुखता से है। खबर है, “जस्टिस एके सीकरी ने ठुकराया सरकार का प्रस्ताव,…
उज्ज्वल भट्टाचार्य के साप्ताहिक स्तंभ का सतरहवां अध्याय
गढ़वाली बोलती दादी के लजाने और हंसने के बीच रैप संगीत के धड़ाके से खुलने का मजा है
प्रतिपक्ष के संपादक जार्ज फर्नाडीस ने इसे अपनी इस संपादकीय टिप्पणी के साथ प्रकाशित किया था : ‘‘ लेखक आरएसएस के जानेमाने नीति निर्धारक एवं विचारक हैं।
अभी जो नियुक्त होगा वही, 2019 में भाजपा सरकार अगर वापस सत्ता में नहीं आई तो उसकी जांच करेगा
टेलीग्राफ ने प्रधानमंत्री से सीधे पूछा सवाल सीबीआई में दागी अफसर लाना अपराध है तो दोषी और भी हैं !!
आरोप है कि आलोक वर्मा रफाल मामले में प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच करने वाले थे इसलिए उन्हें आधी रात की कार्रवाई में हटाया गया।
अब ऐसे राजनेता गिनती के भी नहीं बचे जो वोटों के नुकसान की क़ीमत पर सत्य बोल सकें।
आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को मैच जिताने वाला छक्का बताया।
यह पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने किसी अदालती विवाद में खुद को उसके एक पक्ष का पैरोकार बना लिया
तनख्वाह देने जैसी जरूरतों के लिए उसे करीब 1000 करोड़ रुपए उधार लेने पड़े हैं।
'संघ बोलता नहीं बुलवाता है। और कौन बोल रहा है, और आने वाले वक्त में कौन -कौन बोलेगा....इंतजार कीजिये, फरवरी तक बहुत कुछ होगा।
अमित शाह ने कहा, 'युति होगी तो साथी को जिताएंगे नहीं तो पटक देंगे।
औसतन हर बरस बीस लाख करोड़ से ज्यादा का चूना, खनन माफिया देश को लगाते हैं।
धारा-66 ए निरस्त किए जाने के बावजूद अब तक 22 से ज्यादा मुकदमे चलाए गए हैं