पाकिस्तानी शायर और लेखक इब्ने इंशा के व्यंग्य संग्रह, “उर्दू की आखिरी किताब”, की ख़ास बात ये है कि उसमें लिखी हुई हर बात आज की घटनाओं पर बहुत सटीक बैठती हैं. लेखिका…
रवीश कुमार 20 साल बाद क्यों याद किया Y2K को मोदी ने, 21 वीं सदी का पहला ग्लोबल झूठ था Y2K भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई के अपने…
कोविड-19 के गम्भीर और मृतप्राय रोगी किस तरह से अन्य संक्रमित लोगों से अलग हैं ? डॉ.स्कन्द शुक्ल वर्तमान कोविड-19 पैंडेमिक में किसी भी वय , लिंग , नस्ल ,…
कोरोना वायरस की महामारी ने पूंजीवाद के इंजन को रोक दिया है. परन्तु यह एक अस्थायी स्थिति है. आज जब पूरी मनुष्य जाति कुछ समय के लिए अपने घरों में कैद है तब…
हिंदी के महान कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित महाकाव्य ‘हुंकार’ की दो पंक्तियां हैं, जो हमारे वक़्त में सच होनी थी, ये न तो कवि को पता था-न ही हम में से…
कल्याणी सिंह स्त्री, समाज का एक अभिन्न अंग है, ऐसा कुछ लोग समझतें है, शायद उसमें आप, हम और मैं भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन क्या हमारी ये स्त्रियों वाली तस्वीर सब…
इस कोरोना क्वारंटीन समय में भी सरकार वह सब करने से बाज़ नहीं आ रही है जिसका आरोप अरसे से उसके सर है। यानी थैलीशाहों के चारण के रूप में श्रम और श्रमिकों…
(इस कठिन कठोर क्वारंटीन समय में संजय जोशी दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से आपका परिचय करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ ‘सिनेमा-सिनेमा’ की छठीं कड़ी…
हर रोज़, हर घंटे हम किसी न किसी अख़बार में, किसी वेबसाइट अथवा सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर कोविड-19 के आंकडें देखते हैं। इन आंकड़ों को मुख्य तौर पर चार श्रेणियों में विभाजित करके…
सुधांशु वाजपेयी लखनऊ विश्वविद्यालय के चर्चित छात्रनेता रहे हैं। आजकल कांग्रेस में सक्रिय सुधांशु ने पिछले दिनों लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के तमाम नेताओं पर चले मुकदमों का संदर्भ लेते…
शशिभूषण द्विवेदी (1975-2020): एक शोकालाप अनिल यादव लखनऊ के पीएसी गेस्टहाउस में नामवर-राजेंद्र-निर्मल की ओर गरदने खींचे और छातियों पर गिलास दाबे लेखकों की पार्टी थी. बहुतों से बता चुका हूं, हमारी पहली…
एक मई को विश्व मजदूर दिवस होता है, इस साल भी मनाया गया। दुनिया भर से मजदूरों के हक और बेहतरी की बातें उठाई गयीं। इस दिन भारत के करोड़ों मजदूर और उनके…
इतिहास आज़ादी के लिए लड़ने वालों को हमेशा सलामी देता है। राणा प्रताप की वीरगाथा भी इसी श्रेणी में आती है। उन्होंने अपने ‘राज्य’ मेवाड़ को बचाने के लिए उस समय की ‘केंद्रीय…
मजदूरों को हक़ नहीं मिलता , सिर्फ दुआएं मिलती हैं पिछले कई हफ़्तों से मजदूरों को अखबारों में, सम्पादकीय लेखों में, हमारे सोशल मीडिया में और हमारी बातों में बहुत जगह मिल रही…
प्लॉट ताली-थाली बजाओ, दिया जलाओ के सरकारी धारावाहिक के तीसरे एपिसोड की स्क्रिप्ट में इस बार सैन्य बलों ने जोर शोर से हिस्सा लिया है. इस धारावाहिक की पृष्ठभूमि, कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ते…
डॉ. वर्तिका इतिहास के पन्नों में अक्सर महिलाएँ खो जाती हैं और तब ये सिर्फ़ ज़रूरी नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी सी लगती है कि ऐसी महिलाओं के बारे में लिखा-पढ़ा जाए और बातें…
मार्क्स पूरी तरह से क्रांतिकारी यथार्थवादी थे। उनके लिए बुनियादी पदार्थ ही यथार्थ था। गति पदार्थ के अस्तित्व का रूप है। उनके चिंतन की जड़ें ठोस सामाजिक यथार्थ में धंसी हुई थीं। लेकिन…
14 मार्च को अपरान्ह पौने तीन बजे महानतम जीवित विचारक के विचार थम गए, उन्हें बमुश्किल दो मिनट के लिए अकेला छोड़ा गया था. लौटने पर हमने उन्हें अपनी आरामकुर्सी में पाया. वह…
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में 24 मार्च से लॉकडाउन की स्थिति है पर कश्मीर पिछलेसाल के अगस्त महीने से ही लॉकडाउन की स्थिति में चल रहा था। कश्मीर का लॉकडाउन पूरी…
मंगलवार को कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब पर राहुल गांधी की संवाद श्रृंखला की दूसरी कड़ी में नोबेल विजेता भारतीय अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी के साथ राहुल गांधी के संवाद का…
धर्मराज कुमार पूरी दुनिया में कोरोना महामारी ने वैश्वीकरण के झूठे दावे और राष्ट्रवाद की अवधारणा के खोखलेपन को उजागर कर दिया है. अतीत में, दुनिया में हुए विषाणु जनित रोगों से…
सुभाष गाताडे वह मार्च का आखरी सप्ताह था जब डॉ सिरौस असगरी, जो ईरान में मटेरियल्स साईंस और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं तथा फिलवक्त़ अमेरिका की इमिग्रेशन और कस्टम्स एनफोर्समेण्ट सेन्टर में…
(इस कोरोंटाइन समय में आपको दुनिया की बेहतरीन फ़िल्मों से परिचय संजय जोशी करवा रहे हैं. यह मीडिया विजिल के लिए लिखे जा रहे उनके साप्ताहिक स्तम्भ सिनेमा-सिनेमा की पांचवीं कड़ी है। मक़सद…
जब केंद्र सरकार के पहल पर अन्य राज्यों में फंसे राज्य के मजदूरों को लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और पहली खेप में 1250 अप्रवासी मजदूर झारखंड लाए गए हैं. तब…
फ्रांसीसी क्रांति के पहले और क्रांति के दौरान पेरिस और लंदन की पृष्ठभूमि में चार्ल्स डिकेन्स ने एक उपन्यास लिखा था ‘ए टेल ऑफ टू सिटीज’ जो बहुत चर्चित हुआ. इस उपन्यास में…