आज दो महत्वपूर्ण खबरें हैं। पहली यह कि उत्तर प्रदेश में 72 लोगों के मारे जाने के 36 साल बाद सभी 39 अभियुक्त बरी किए गए। अदालत ने कहा सबूत नहीं है। पीडि़त हाईकोर्ट में अपील करेंगे। मारे गए सभी मुस्लिम थे और यह मलियाना नरसंहार के नाम से जाना जाता है।
दूसरी ओर, अमित शाह ने कहा है, बिहार में सरकार बनी तो दंगाइयों को उल्टा लटका देंगे। इससे पहले, प्रधानमंत्री सरकार बनाने के लिए एक लाख 25 हजार करोड़ का पैकेज दे रहे थे और अब यह लॉलीपॉप। वैसे तो यह लॉली पॉप नहीं है पर जो आकर्षित हो सकते हैं उन्हें आकर्षित करने की कोशिश जरूर है।
तथ्य यह है कि न्याय प्रक्रिया की शुरुआती सीढ़ी पर ही 36 साल लग जाए और उसी सीढ़ी पर राहुल गांधी के खिलाफ मामले में चार साल पुराने मामले की सुनवाई कुछ ही महीने में हो जाए तो आम आदमी को न्याय मिलने की व्यवस्था पर चर्चा औऱ सुधार करना जरूरी है या बुलडोजर व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए कार्यपालिका को ही न्यायपालिका का काम भी हथिया लेना चाहिए और उल्टा लटकाने जैसे गैर कानूनी काम करने की घोषणा करनी चाहिए?
टाइम्स ऑफ इंडिया में बिना किसी टीका टिप्पणी के दोनों खबरें पहले पन्ने पर हैं। द टेलीग्राफ ने उल्टा लटकाने की खबर के शीर्षक में ही पूछा है, वाकई? द हिन्दू और हिन्दुस्तान टाइम्स में दोनों खबरें पहले पन्ने पर नहीं हैं। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस में यह सरकारी प्रचार खबर के रूप में पहले पन्ने पर है। और शीर्षक भी पूरे प्रचारक वाले अंदाज में है। बिहार में सत्ता में आई तो भाजपा दंगाइयों को उल्टा टांग देगी – अमित शाह।
रेखांकित करने योग्य आज की एक और खबर है – चुनावी राज्य कर्नाटक में एक व्यक्ति गौ रक्षकों का शिकार हो गया है। चुनाव से पहले इस तरह की हिन्सा से भाजपा को फायदा होता है और ऐसा होता है तो इसके लिए किसे जिम्मेदार मानना चाहिए या कौन करवाता होगा या क्यों होता है यह सब समझना रॉकेट साइंस नहीं है। फिर भी मतदाता भाजपा को वोट देते हैं तो भाजपा भी क्या करे? कोई भी वोट लेने का आसान तरीका ही अपनाएगा।
आइए, इस खबर की प्रस्तुति भी देख लें। इंडियन एक्सप्रेस में यह सिंगल कॉलम की खबर है। शीर्षक है, कर्नाटक में गौ रक्षकों ने मवेशियों के साथ गाड़ी रोककर हमला किया, एक मरा। टाइम्स ऑफ इंडिया में भी यह खबर सिंगल कॉलम है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस वाली के मुकाबले आधे से भी कम में। द हिन्दू में यह सेकेंड लीड है। शीर्षक है, “बैंगलोर के पास गौरक्षकों के हमले में मवेशियों को ले जा रही गाड़ी का चालक मरा पाया गया।”
हिन्दुस्तान टाइम्स में भी यह खबर सिंगल कॉलम में है। यहां शीर्षक है, मवेशियों के व्यापारी के मृत पाए जाने पर गौ रक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज। द टेलीग्राफ में यह खबर क्रोनोलॉजी बताने वाली खबरों में एक है। इसके अनुसार, 27 फरवरी को कर्नाटक के पशुपालन मंत्री प्रभु चह्वान ने कहा, यह चुनाव गौ रक्षकों और गौकशी करने वालों के बीच है। एक अप्रैल को मवेशी कारोबारी इदरीस पाशा की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। कथित रूप से गौरक्षकों द्वारा यह कार्रवाई चुनावी राज्य कर्नाटक में की गई हैं।
क्रोनोलॉजी समझिये शीर्षक वाली खबरों के दूसरे जोड़े में पहली खबर 31 मार्च की है। इसके अनुसार गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान कलोल गांव में दर्जन भर मुसलमानों की हत्या और सामूहिक बलात्कार के आरोपी सभी 26 अभियुक्तों को गुजरात की एक अदालत ने बरी कर दिया है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में 72 लोगों के मारे जाने के 36 साल बाद सभी 39 अभियुक्त बरी कर दिये गए। अदालत ने कहा है कि सबूत नहीं है। पीडि़त हाईकोर्ट में अपील करेंगे। मारे गए सभी मुस्लिम थे और यह मलियाना नरसंहार के नाम से जाना जाता है। इस मामले में सुनवाई की धीमी रफ्तार पर भी याचिका दायर करनी पड़ी थी। हालांकि यह खबर द टेलीग्राफ में नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में लीड है।
इन और ऐसी खबरों की दूसरी जोड़ी की अंतिम खबर है, अमित शाह ने कहा है कि बाहर में भाजपा की सरकार बनी तो दंगाइयों को उल्टा टांग देंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि दंगाई और बलात्काारी छूटते जा रहे हैं अगर ये नहीं थे तो कौन थे नहीं पता पर किसी को सजा तो नहीं ही हुई और हुई है तो इन्हीं लोगों को क्योंकि भारतीय अदालतों में इतने समय तक मुकदमा लड़ना सजा से कम नहीं है। बलात्कारियों को जेल से छोड़ देने और उन्हें मंच पर बैठाने का मामला भी है ही।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।