देशराज गोयल बीती सदी के आठवें दशक में आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्त्ता थे, पर मुस्लिम-विरोध पर उनका मोह भंग हुआ, और शीघ्र ही वह उससे अलग हो गए. उन्होंने अपने अनुभवों के आधार…
चूंकि चीन में इन्फ्रास्ट्रक्चर भी सरकार के दायरे में है, तो जाहिर है, उत्पादन सस्ता होता है। चीन अगर आर्थिक प्रतिस्पर्धा में आज आगे निकल गया है, तो उसकी असल वजह यही है।…
"अमेरिकी प्रोफेसरों ली झोंगजिन और डेविड कोट्ज ने कहा है कि चीन के पूंजीपतियों के अंदर भी वैसा साम्राज्यवादी रूझान है, जैसा किसी देश के पूंजीपतियों में होता है। लेकिन उनके इस रूझान…
जिस तरह चीन वैचारिक चुनौतियों और विश्व शक्ति संतुलन के बीच घिर गया था, वह खुद को बदलते हुए और झुक कर चलते हुए अपना विकास करने की राह पर नहीं चलता, तो…
शाहूजी महाराज का शासनकाल सामाजिक सुधारों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। खासतौर पर ब्राह्म्णवादी वर्चस्व को जैसी चुनौती उन्होंने दी, वह उस दौर में बेहद क्रांतिकारी कदम था। आरक्षण के विरुद्ध सवर्णों…
कांशीराम ने जब आरएसएस और भाजपा से हाथ मिलाया, तो उन्होंने अपना नारा भी बदला। वह सामाजिक परिवर्तन को छोड़कर सामाजिक न्याय की राजनीति के रथ पर सवार हो गए। जातीय सभाओं और…
बहरहाल, इस दौर में चीन जिस दिशा में चला है, उससे यह तो साफ है कि वह मार्क्सवादी समाजवाद की शास्त्रीय समझ के अनुरूप नहीं है। उसके वैश्विक प्रभाव को देखते हुए उस…
सोवियत संघ में निकिता ख्रुश्चेव के सत्ता में आते ही स्टालिन की विरासत से सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी ने न सिर्फ खुद को अलग कर लिया, बल्कि पार्टी से स्टालिन के प्रभाव को खत्म…
क्रांति के बाद माओ ने ‘हजारों फूलों को खिलने दो, हजारों विचारों को पनपने’ दो का आदर्श वाक्य चीनी समाज को दिया था। इसके तहत पार्टी के भीतर और बाहर भी असहमति रखने…
हालात को समझते हुए डा.गया प्रसाद कटियार अपनी पत्नी रज्जो देवी के पास पहुँचे और बोले- "मैं क्रांतिकारी पार्टी का सदस्य बनना चाहता हूँ। तुम अपना सिंदूर पोछ लो और समझो लो कि…
"ख्रुश्चेव के दौर में जब सीपीएसयू ने पूंजीवादी व्यवस्थाओं के साथ सह-अस्तित्व का सिद्धांत अपनाया, तो दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच मतभेद और तीखे हो गए। उसी दौर में सीपीसी और सीपीएसयू के…
पूरी सुनवाई के दौरान यह होता रहा कि जज उसे टोकते रहे और वह अपनी बात कहती रही. एक बार उसने कहा, “जिस तरह गुलामों ने आपके अन्यायपूर्ण कानून के क्रूर हाथों से…
सीपीसी के सत्तारोहण के बाद का इतिहास भी अब 71 साल से अधिक का हो चुका है। चीन की जो उपलब्धियां हैं, उनकी जमीन इसी दौर तैयार हुई और इसी दौरान वे साकार…
जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी शताब्दी मनाने की तैयारियों में जुटी है, तब बाकी दुनिया के लिए दिलचस्पी का विषय यही समझना है कि आखिर चीन ने अपनी ऐसी हैसियत कैसे बनाई?…
'मुझे यकीन है, कांग्रेस ख़त्म नहीं होगी। क्या रूप होगा, मैं नहीं कह सकता। लेकिन मेरा अनुमान है परिस्थितियाँ कॉंग्रेस को आत्मबदलाव के लिए मजबूर कर देंगी। यह प्रकृति का नियम है। उसका…
नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना क्वींस कॉलेज, वाराणसी की नवीं कक्षा के तीन छात्रों - बाबू श्यामसुंदरदास, पं. रामनारायण मिश्र और शिवकुमार सिंह ने इसी कॉलेज के छात्रावास के बरामदे में बैठकर की. बाद…
सन्तराम जी और उनके ‘जातपात तोड़क मण्डल’ ने अपने जाति-विरोध से पूरे देश का ध्यान खींचा था। पर उसे जितना समर्थन मिला था, उससे कहीं ज्यादा रूढ़िवादियों ने उसका विरोध किया था। विरोधियों…
मीडियाविजिल ने शनिवार, 6 मई,2017 को दिल्ली के राजेंद्र भवन में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी आयोजित की थी। विषय था- ”मीडिया: आज़ादी और जवाबदेही” …राजधानी के पैमानों के हिसाब से एक कामयाब आयोजन था।…
27 मई को नेहरू का पुण्यदिवस था तो अगले ही दिन सावरकर का जन्मदिन. ज़ाहिर है सोशल मीडिया पर वबाल मचना था, मचा. वैसे इन सबलोगों को आभारी होना चाहिए पिछले कुछ…
‘समय और चित्रकला ‘शीर्षक से प्रख्यात चित्रकार अशोक भौमिक की लेख शृंखला की यह नौवीं कड़ी पहली बार 14 जून 2020 को मीडिया विजिल में प्रकाशित हुई थी। कोरोना की पहली लहर के…
समय और चित्रकला ‘ शीर्षक से प्रख्यात चित्रकार अशोक भौमिक की लेख शृंखला की यह आठवीं कड़ी पहली बार 7 जून 2020 को मीडिया विजिल में प्रकाशित हुई थी। कोरोना की पहली लहर…
समय और चित्रकला ‘ शीर्षक से प्रख्यात चित्रकार अशोक भौमिक की लेख शृंखला की यह सातवीं कड़ी पहली बार 31 मई 2020 को मीडिया विजिल में प्रकाशित हुई थी। कोरोना की पहली लहर…
1656 में बने एक चित्र, 'रोम का चोंच वाला डॉक्टर' (डॉक्टर स्नेबेल ऑफ़ रोम ) में ऐसे चिकित्सकों की वेश भूषा का सटीक विवरण मिलता है। ऐसे डॉक्टरों का मुखौटा किसी पक्षी के…
युगों से महामारी के दौर को चित्रकारों ने अपनी रचनाओं में चित्रित किया है। इन चित्रों को हम शुद्ध दस्तावेज़ के रूप में अगर न मानें तो भी, ऐसी कृतियाँ हमें महामारी के…
धर्म ने मनुष्य के मन में बार बार एक काल्पनिक 'डर' के संचार करने का प्रयास किया, और जिसे ज्यादा भयावह बनाने के लिए 'सामूहिक मृत्यु' यानी एक ही समय में-एक ही कारण…